Tuesday, February 4, 2025
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क्या CM बिरेन सिंह ने भड़काई हिंसा? SC ने मांगी फॉरेंसिक जांच

मणिपुर में जारी हिंसा और तनाव ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य में जातीय संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के चलते बढ़ती हिंसा ने न केवल मणिपुर के निवासियों की जिंदगी को प्रभावित किया है, बल्कि इसने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है। इस हिंसा के पीछे मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर हिंसा के मामले में गंभीर सवाल उठाए हैं और मामले की जांच के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट की मांग की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य और केंद्र सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और क्या मुख्यमंत्री बिरेन सिंह की भूमिका को लेकर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।

मणिपुर में बढ़ती हिंसा:

मणिपुर में जातीय संघर्ष की जड़ें कई दशकों पुरानी हैं। मणिपुर के विभिन्न समुदायों के बीच इतिहास से जुड़े कई विवाद और तनाव रहे हैं। हाल के महीनों में, यह तनाव हिंसा में बदल गया है। मणिपुर के विभिन्न हिस्सों में आगजनी, हत्या, लूटपाट और हिंसक संघर्ष की घटनाएं सामने आई हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन घटनाओं के दौरान सुरक्षा बलों की लापरवाही और राज्य सरकार की असफलता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। हिंसा की शुरुआत मई 2024 में एक जातीय संघर्ष से हुई थी, जो बाद में राज्य के कई हिस्सों में फैल गई।

मुख्यमंत्री बिरेन सिंह की भूमिका पर सवाल:

मणिपुर की इस हिंसा पर राज्य सरकार और मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह पर विपक्ष और स्थानीय नागरिकों द्वारा आरोप लगाए गए हैं। विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री बिरेन सिंह और उनकी सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से विफलता दिखाई है। मुख्यमंत्री बिरेन सिंह के खिलाफ कई आरोप हैं, जिनमें उनकी सरकार द्वारा सुरक्षा बलों के सही तरीके से इस्तेमाल न करना, जातीय हिंसा को रोकने में असफल रहना और विपक्षी नेताओं के साथ सही संवाद न होना शामिल हैं।

राज्य में हिंसा की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कई बार बयान दिए, लेकिन उनके बयानों में स्थिति को काबू करने का कोई स्पष्ट रास्ता नजर नहीं आया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने हिंसा को रोकने की बजाय एकतरफा कार्रवाई की, जिसके कारण स्थिति और बिगड़ी। अब इन आरोपों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने मामले की गंभीरता से जांच करने का निर्णय लिया है और इस पूरे मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट की मांग की है।

SC का हस्तक्षेप:

मणिपुर हिंसा पर उच्चतम न्यायालय का हस्तक्षेप इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर में बढ़ती हिंसा और राज्य सरकार की निष्क्रियता पर चिंता व्यक्त की। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है और साथ ही फॉरेंसिक जांच की मांग की है। अदालत ने कहा कि इस हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और दोषियों को सजा दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पीड़ितों को तुरंत सहायता मुहैया कराएं और राज्य के विभिन्न हिस्सों में शांति बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाएं। अदालत ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार इस मामले में अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में असफल रही, तो उसे कड़ी चेतावनी दी जाएगी।

फॉरेंसिक रिपोर्ट की अहमियत:

मणिपुर हिंसा की जांच में फॉरेंसिक रिपोर्ट की अहम भूमिका होगी। उच्चतम न्यायालय ने जो फॉरेंसिक जांच की मांग की है, वह इस हिंसा के कारणों और उसमें शामिल लोगों के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान करने में मददगार होगी। इस रिपोर्ट में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि हिंसा की शुरुआत कैसे हुई, क्या प्रशासनिक लापरवाही थी और क्या किसी तरह की साजिश इस हिंसा को बढ़ावा देने के लिए रची गई थी।

फॉरेंसिक जांच में इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि हिंसा के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों की भूमिका क्या थी, क्या उन्होंने अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन किया और क्या सरकार ने समय रहते इस हिंसा को रोकने के लिए कदम उठाए थे। इसके साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि मुख्यमंत्री बिरेन सिंह की भूमिका इस मामले में कितनी गंभीर है और क्या उनकी सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे।

राजनीतिक उथल-पुथल:

मणिपुर की हिंसा ने राज्य और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री बिरेन सिंह पर विपक्ष के लगातार हमलों के बाद, राज्य में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने हिंसा को बढ़ावा दिया और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने इस पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। वहीं, बीजेपी ने मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए जवाबों को सही ठहराया है और दावा किया है कि राज्य सरकार ने हमेशा हिंसा को काबू में करने की कोशिश की है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मणिपुर हिंसा को लेकर प्रदर्शन किए और मुख्यमंत्री बिरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अपनी नाकामी छुपाने के लिए मामले को राजनैतिक रूप से तूल दे रहे हैं और नागरिकों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील हैं।

यह भी पढ़ें: महाकुंभ भगदड़ पर संसद में हंगामा, विपक्ष ने सरकार को घेरा

निष्कर्ष:

मणिपुर में हुई हिंसा ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और फॉरेंसिक रिपोर्ट की मांग ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। अब यह देखना होगा कि क्या मणिपुर की सरकार और मुख्यमंत्री बिरेन सिंह इस मामले में कोई ठोस कदम उठाते हैं या यह मामला लंबित रह जाता है। फिलहाल, मणिपुर की जनता और विपक्षी दल इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री बिरेन सिंह की भूमिका इस हिंसा में किसी न किसी रूप में शामिल रही है या नहीं?

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