मतदाता सूची का महासंकल्प”
बिहार—राजनीतिक संग्राम का मेला—फिर से तैयारियों के आख़िरी पड़ाव में है। विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जिन राज्यों की मतदाता सूची को अंतिम रूप देना अभी बाकी था, उनमें बिहार की प्रक्रिया अब चरम पर है।
इस बार चुनाव आयोग ने उठाया है एक “विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision / SIR)” का पहल जो पिछली बार 2003 में किया था। यानी इतने सालों में पहली बार बिहार में फोर्सफ़ुल और ज़मीनी तरीके से वोटर लिस्ट को फिर से खंगाला जा रहा है। और त्यौहार से पहले होने वाले इस ‘सफाई अभियान’ ने राजनीतिक तापमान भी बढ़ा दिया है। आइए, जानते हैं क्या है पूरा नज़रिया, विवाद और आगे की रणनीति:
1. 🗓️ प्रक्रिया और उसका कैलेंडर
चुनाव आयोग ने बताया है कि यह SIR अभियान 25 जून 2025 से शुरू होकर 26 जुलाई तक चलेगा, जिसमें बूथ‑स्तरीय अधिकारियों (BLOs) घर-घर जाएंगे और मतदाता फॉर्म जमा करवाएंगे । प्रक्रिया के पांच चरण हैं

- 25 जून–3 जुलाई: प्री‑फिल्ड फॉर्म घर-घर पहुंचे, जमा कराएं (ऑनलाइन भी उपलब्ध)।
- तत्पर्य: 25 जुलाई तक फॉर्म–डॉक्यूमेंट सबमिशन पूरी हो।
- 26 जुलाई: डेटा फाइनल कट‑ऑफ़, ऑनलाइन सिस्टम (ECINET) में अपडेट।
- 1 अगस्त: ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित, राजनीतिक दलों को मिले कॉपी।
- 1 अगस्त–1 सितंबर: दावा‑आपत्ति का चरण।
- 30 सितंबर: अंतिम मतदाता सूची जारी ।
2. 📌 कौन-कौन मोर्चे में हैं?
✅ मौजूद वोटरों की राहत
- जिनका नाम 2003 की वोटर सूची में था—उनके लिए कोई डॉक्यूमेंट जमा नहीं करना पड़ेगा; सिर्फ फॉर्म भरना है ।
- जिनके माता-पिता का नाम उसी सूची में दर्ज था—उनको भी सिर्फ पुष्टि करनी है, अन्य दस्तावेज़ नहीं देने हैं ।
❗ नए या संशोधित नामों के लिए दस्तावेज़?
- डॉक्यूमेंट की सूची में जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, बँक या पोस्ट ऑफिस प्रमाणपत्र, एडुकेशन सर्टिफिकेट, जाति प्रमाणपत्र, भूमि/परिवार रजिस्टर आदि शामिल हैं—कुल 11 प्रकार के दस्तावेज़ स्वीकार होंगे ।

🧑 मदद के लिए कौन-कौन जुटा?
- राज्य ने तैनात हैं—1.5 लाख बूथ स्तर एजेंट (BLA), 1 लाख से ज़्यादा BLO, और 4 लाख स्वयंसेवक (NCC, NSS, Anganwadi, Jeevika आदि) ।
3. ⚙️ तकनीक और नई पहल
Bihar ने तकनीकी भी लगाया है:
- ECINET ऐप और ऑनलाइन फॉर्म—कागज़ भरने से पहले शुरू ।
- मोटा‑मोबाइल इ-वोटिंग पर भी टेस्ट चल रहा है—कुछ नगर निकायों में, खासकर वरिष्ठ नागरिकों, प्रवासियों, विकलांगों के लिए ।
- वोटर‑स्लिप, बूथ‑सीरियल, ड्राफ्ट पब्लिशिंग में सुधार—वोट देना और पहचान आसान हो जाती है ।
4. 💥 विवाद की आग — विपक्षी आरोप
❌ ‘छीनने की साज़िश’
- Congress, RJD, INDIA एलायन्स, TMC समेत कई दलों ने आरोप लगाया कि यह योजना “निष्क्रिय वोटरों को हटाने” और NDA को लाभ देने की कवायद है ।
- Tejashwi Yadav ने कहा कि फाइलों में दस्तावेज़ीकरण के दोषों से करोड़ों प्रवासी मजदूर कालबाह्य हो जाएंगे ।
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली, माँगी कार्य रोक, 10 जुलाई सुनवाई की तारीख ।
❗ दस्तावेज़ में छूट क्यों?
- विपक्ष कहता है “आधार, MNREGA कार्ड” जैसे प्रमाण भी मान लेने चाहिए—फिर सशक्त आधार क्यों नहीं? ।
- Digvijaya Singh और Farooq Abdullah जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी इसे समयबद्ध और राजनीतिक सोच से प्रेरित बताया ।
5. ✅ चुनाव आयोग की सफ़ाई
- CEC Gyanesh Kumar ने कहा: “यह अभियान पारदर्शी और समावेशी है”, “कोई भी योग्य नागरिक बाहर नहीं रहेगा”।
- उन्होंने बताया कि 100,000 ऑफिसर लगातार काम कर रहे हैं, और लोगों को डॉक्यूमेंट सिर्फ 25 जुलाई तक या ऑब्जेक्शन चरण में जमा कराने की अनुमति है ।
- यह आदेश संविधान (Article 326) का अनुपालन है—हर चुनाव से पहले यह ज़रूरी होता है ।
6. 📊 भागीदारी का आंकड़ा — हकीकत सामने
- 2.88 करोड़ मतदाताओं ने अब तक फॉर्म भरा है — जो की 7.89 करोड़ में से 36.5% है ।
- 1 करोड़ फॉर्म ड्रॉप घर-घर वितरण तक पहुँचे, जिसमें ज़्यादातर पहले नाम दर्ज मतदाता थे ।
- BLOs ने 1.5 करोड़ घरों पर दस्तक दी, 87% तक फॉर्म पहुंच गए ।
7. 🔎 अनूठी नजर — कहानी का दिल
🌾 तफ़रीकी दस्तावेज़ी चुनौती
वोटर जो 2003 से हैं—उनके लिए सरल कार्य।
लेकिन जो 2003 के बाद आए या प्रवासी हैं—उनके लिए दस्तावेज़ी बाधाएँ बनी है।
इसका असर सबसे ज़्यादा प्रवासियों, दलित आदिवासी, खेतिहारों और मजदूर वर्ग पर होगा—और यही वोटर जनसंख्या का लगभग 40% है।
🗣️ राजनीतिक युद्ध का रण
विपक्ष के अनुसार यह अभियान चुनाव पूर्व ही संविधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक राजनीतिक हथियार है—जिसके तहत NDA को लाभ पहुचाने की कवायद है।
इसी बीच, संविधानिक अधिकारियों का कहना है—“हम लोकतंत्र को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
🌐 तकनीक का प्रयोग
हर मिलिसेकंड पर BLO डेटा अपडेट कर रहा है, ऐप से ऑनलाईन सुविधा भी मिल रही है।
और जो मोबाइल मतदान—मात्र एक परीक्षण है, लेकिन उस पर भी भविष्य में विकास का संकेत मिलता है।
8. 🚦अगला मोर्चा — क्या होगा आगे?
- सुप्रीम कोर्ट — 10 जुलाई सुनवाई तय, दोनों पक्ष—ECI और विपक्ष—अपने-अपने दलील रखेंगे ।
- मतदाता सूची ड्राफ्ट—1 अगस्त को प्रकाशित होगी, जिसमें दावा-आपत्ति की मंज़ूरी की प्रक्रिया शुरू होगी।
- अंतिम लिस्ट—30 सितंबर को जारी होगी, और तब से चुनावी रण में चली जाएगी।
- समय की चुनौती—बूँद लगाने वाला समय “बाढ़” की तरह कम है…और monsoon भी है…मतदान से पहले सबकुछ पक्का होना है।
9. 🕵️ निष्कर्ष — लोकतंत्र की तस्वीर
इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया का परिणाम किसी भी राजनीतिक पार्टी की सत्ता की दिशा तय कर सकता है—खासकर बिहार जैसे राज्य में, जहाँ “प्रवासी मजदूर वोट बैंक” नित नये बदलाव ला सकता है ।
- अगर सिस्टम अपनाया गया, पारदर्शी रहा—तो यह मील का पत्थर बनेगा।
- अगर मतदातायें सिस्टम से अछूती रह जाती हैं—तो यह लोकतंत्र में बड़ा दरार डाल सकता है।
वास्तव में, SIR नहीं सिर्फ वोटर लिस्ट है; यह लोकतंत्र के विश्वसनीय आधार को नापने और पकड़ने का ऐतिहासिक सबसेरा है—जिसका असर सभी राज्यों के चुनावी माहौल पर पड़ेगा।
बिहार 2025 का चुनाव सिर्फ निर्वाचन नहीं, बल्कि एक लोकतंत्र की मशाल परीक्षा भी है।
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