Thursday, November 20, 2025
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अटल की याद में पीएम मोदी हुए भावुक

भारतीय राजनीति के इतिहास में अगर किसी नेता को उनके अटूट व्यक्तित्व, अद्वितीय वक्तृत्व कला और राष्ट्रनिष्ठा के लिए याद किया जाता है तो वह नाम है भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी। 16 अगस्त 2025 को उनकी सातवीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य दिग्गज नेता उनके स्मारक ‘सदैव अटल’ पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर भावुक शब्दों में कहा –

“अटलजी का राष्ट्र के प्रति समर्पण और सेवा भाव हर भारतवासी को प्रेरित करता रहेगा। उनका सपना आत्मनिर्भर भारत था और हम सब उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”


‘सदैव अटल’ स्मारक पर उमड़ा सागर श्रद्धांजलि का

दिल्ली स्थित ‘सदैव अटल’ स्मारक शनिवार सुबह एक बार फिर भावनाओं से भर उठा। देश-विदेश से आए गणमान्य लोगों ने भारत माता के सच्चे सपूत को नमन किया। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू के अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और सैकड़ों कार्यकर्ता यहां पहुंचे।

यह दृश्य एक बार फिर याद दिला गया कि अटलजी केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वे भारतीय राजनीति की आत्मा थे जिन्होंने लोकतंत्र की गरिमा को हमेशा ऊँचा रखा।


अटल बिहारी वाजपेयी : जीवन परिचय

अटलजी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी संस्कृत के शिक्षक थे और माता कृष्णा देवी एक धार्मिक और सरल स्वभाव की महिला थीं।

अटलजी ने बचपन से ही हिंदी साहित्य, कविता और वाद-विवाद में रुचि दिखाई। यही कारण रहा कि आगे चलकर वे राजनीति के साथ-साथ एक महान कवि और चिंतक के रूप में भी जाने गए।


राजनीतिक सफर की शुरुआत

अटलजी छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। 1951 में जब भारतीय जनसंघ का गठन हुआ तो वे सक्रिय सदस्य बने। उनकी प्रभावशाली वाणी ने उन्हें जल्द ही एक लोकप्रिय नेता बना दिया।

  • 1957 में पहली बार लोकसभा पहुंचे।
  • 1977 में जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री बने।
  • 1980 में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे।

उनकी राजनीति का सबसे बड़ा आधार था लोकतंत्र में अटूट विश्वास और राष्ट्रहित सर्वोपरि का विचार।


तीन बार प्रधानमंत्री का कार्यकाल

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने—

  1. 1996 – मात्र 13 दिनों का कार्यकाल।
  2. 1998–1999 – 13 महीने तक सत्ता संभाली।
  3. 1999–2004 – इस बार उन्होंने पूर्ण कार्यकाल पूरा किया और पहले गैर-कांग्रेसी नेता बने जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

उनकी उपलब्धियाँ और योगदान

अटलजी का कार्यकाल भारत के लिए कई ऐतिहासिक उपलब्धियों का गवाह बना—

1. पोखरण परमाणु परीक्षण (1998)

उनके नेतृत्व में भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किए और दुनिया को भारत की ताक़त का एहसास कराया।

2. स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना

भारत की सड़कों को आधुनिक बनाने और राज्यों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना।

3. आर्थिक सुधार

उन्होंने उदारीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, जिससे विदेशी निवेश और विकास को गति मिली।

4. शिक्षा और स्वास्थ्य पर बल

‘सर्व शिक्षा अभियान’ और ग्रामीण स्वास्थ्य योजनाओं को बढ़ावा दिया।

5. विदेश नीति में संतुलन

अमेरिका से रिश्तों को नया आयाम दिया, वहीं पाकिस्तान से शांति वार्ता की पहल भी की।


अटलजी का व्यक्तित्व और कविता

राजनीति के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी का एक दूसरा रूप था—एक कवि हृदय नेता
उनकी कविताएँ आज भी लोगों के दिलों को छूती हैं। वे कहते थे—
“हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा, काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ, गीत नया गाता हूँ।”


पीएम मोदी का अटलजी से जुड़ाव

प्रधानमंत्री मोदी कई बार सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि अटलजी उनके लिए राजनीतिक प्रेरणा रहे हैं। मोदी ने कहा था—

“अटलजी ने भारत को 21वीं सदी की नींव दी। उनका विज़न, उनका धैर्य और उनका दूरदर्शी नेतृत्व हमें हमेशा मार्गदर्शन करता रहेगा।”


श्रद्धांजलि के भाव

पुण्यतिथि पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित हुए। जगह-जगह लोगों ने कवि सम्मेलन, स्मृति सभा और विचार गोष्ठियाँ आयोजित कर उन्हें याद किया।


निष्कर्ष

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। उनकी राजनीति ने हमें सिखाया कि विरोधी दल भी लोकतंत्र में सहयोगी हो सकते हैं। उनके शब्द और कार्य दोनों ही आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक हैं।

आज जब देश आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ा रहा है, अटलजी का सपना साकार होता नज़र आता है।

यह भी पढ़ें-बॉर्डर 2 में देशभक्ति का डबल डोज़

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