Tuesday, December 2, 2025
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भारत रत्न कलाम की याद में गूंजा देश

आज पूरा भारत “मिसाइल मैन” और देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती मना रहा है। विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्र-निर्माण के प्रति उनका समर्पण आज भी हर भारतीय को प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री, वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और छात्र सभी ने अपने-अपने तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने भारत को मिसाइल तकनीक और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वस्तर पर पहचान दिलाई।


🚀 भारत के “मिसाइल मैन” की यात्रा

डॉ. कलाम ने DRDO और ISRO में काम करते हुए भारत के रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
उन्होंने अग्नि, पृथ्वी, और त्रिशूल जैसी मिसाइलों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उनका योगदान ऐतिहासिक माना जाता है।
वर्ष 1998 में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण के दौरान उन्होंने वैज्ञानिक टीम का नेतृत्व किया, जिससे भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना।


🎓 शिक्षा के प्रति समर्पण

राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी डॉ. कलाम ने अपने जीवन का अधिकांश समय युवाओं के बीच बिताया।
उनका मानना था – “सपना वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं, बल्कि वह है जो आपको सोने नहीं देता।”
वे हमेशा कहा करते थे कि भारत का भविष्य उसके युवाओं और छात्रों में बसता है।
इसी सोच के कारण उन्होंने हजारों छात्रों से संवाद किया और उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया।


💫 “जनता के राष्ट्रपति” की पहचान

डॉ. कलाम को देश ने केवल वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक लोकप्रिय राष्ट्रपति के रूप में भी याद किया।
वर्ष 2002 से 2007 तक उन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला और अपने सादगीपूर्ण स्वभाव, सरल जीवनशैली और जनता से जुड़ाव के कारण उन्हें “People’s President” कहा गया।

राष्ट्रपति भवन में भी उन्होंने कभी भव्यता नहीं अपनाई; वे बच्चों से मिलते, शिक्षकों से संवाद करते और हमेशा कहते थे –
“भारत को महान बनाने के लिए हमें तीन चीज़ों की ज़रूरत है – युवा ऊर्जा, शिक्षा और नवाचार।”


🌍 वैज्ञानिक से दूरदर्शी विचारक तक

डॉ. कलाम केवल वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक विचारक, लेखक और स्वप्नद्रष्टा थे।
उनकी किताबें जैसे “Wings of Fire”, “Ignited Minds” और “India 2020” आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करती हैं।
उन्होंने हमेशा कहा –
“अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूरज की तरह जलो।”


🙏 देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम

डॉ. कलाम की जयंती पर आज पूरे देश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
स्कूलों में निबंध प्रतियोगिताएँ, विज्ञान प्रदर्शनियाँ और प्रेरक भाषणों का आयोजन किया गया।
राष्ट्रपति भवन, ISRO, DRDO, और अन्ना विश्वविद्यालय में विशेष श्रद्धांजलि सभाएँ हुईं।
युवा वैज्ञानिकों ने उनके “Vision 2020” को साकार करने का संकल्प दोहराया।


🌱 डॉ. कलाम का संदेश आज भी प्रासंगिक

आज जब दुनिया तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रही है, डॉ. कलाम का संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।
उन्होंने कहा था –
“Technology should not create inequality; it should empower the weakest.”
उनके ये विचार भारत के वैज्ञानिक और सामाजिक विकास की दिशा तय करते हैं।

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🕊️ निष्कर्ष: एक प्रेरणा जो कभी नहीं मिटेगी

डॉ. कलाम का जीवन सिखाता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद भी कोई व्यक्ति असंभव को संभव बना सकता है।
उनका हर शब्द, हर विचार और हर कार्य भारत को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
वह केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि भारत के सपनों के संरक्षक थे।

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