“सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अब दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की अनुमति, दिवाली पर ‘संतुलित उत्सव’ की अपील”
🌿 नई दिल्ली | 15 अक्टूबर 2025
दिवाली से पहले देश की सर्वोच्च अदालत — सुप्रीम कोर्ट — ने एक अहम फैसला सुनाया है। अब दिल्ली और नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में ग्रीन पटाखों के उपयोग की सशर्त अनुमति दी गई है। कोर्ट ने कहा है कि 18 से 21 अक्टूबर के बीच सीमित समय में लोग ग्रीन पटाखे फोड़ सकते हैं, लेकिन प्रदूषण पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब देश की राजधानी हर साल दिवाली के बाद वायु प्रदूषण की गिरफ्त में आ जाती है और AQI खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। अदालत ने इस बार “संतुलित दृष्टिकोण” अपनाते हुए परंपरा और पर्यावरण दोनों को साथ रखने की बात कही है।
🎆 क्या हैं ग्रीन पटाखे?

“ग्रीन पटाखे” यानी ऐसे आतिशबाज़ी उत्पाद जो कम प्रदूषण फैलाते हैं, कम रासायनिक तत्वों से बने होते हैं और वायु गुणवत्ता पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव डालते हैं।
इन पटाखों को CSIR-NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान) ने विकसित किया है। पारंपरिक पटाखों की तुलना में इनकी संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं —
- कम रॉ मटेरियल का प्रयोग
- राख (ash) का उपयोग नहीं
- छोटे शेल (Shell) साइज
- धूल को दबाने वाले यौगिक (Dust Suppressants)
- सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर को कम करने वाले घटक
CSIR-NEERI के अनुसार, ग्रीन पटाखे कम से कम 30% तक प्रदूषण घटाने में सक्षम हैं।
💨 क्या फर्क पड़ता है ‘ग्रीन पटाखों’ से?
पारंपरिक पटाखे PM (Particulate Matter) यानी हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों की मात्रा कई गुना बढ़ा देते हैं। PM10, PM2.5 जैसे कण हमारे फेफड़ों और रक्त प्रवाह तक पहुंच सकते हैं, जिससे अस्थमा, हृदय रोग, और सांस की समस्याएं बढ़ती हैं।
ग्रीन पटाखे PM स्तर को लगभग एक-तिहाई तक घटा देते हैं, जिससे हवा में धुएं और जहरीले गैसों का स्तर कम होता है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने कहा —
“दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के दौरान ग्रीन पटाखे सीमित समय में फोड़े जा सकते हैं। यह फैसला परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए लिया गया है।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली-एनसीआर के बाहर से लाए गए पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा, क्योंकि “बाहर से तस्करी कर लाए गए पटाखे ग्रीन नहीं होते और वे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।”
⏰ कब और कितने समय तक मिल सकेगी छूट?
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के इस्तेमाल के लिए सीमित समय सीमा तय की है —
- दिवाली से एक दिन पहले: शाम 8 बजे से रात 10 बजे तक
- दिवाली के दिन: सुबह 6 बजे से 7 बजे तक, और रात 8 बजे से 10 बजे तक
इन समयावधियों के बाहर किसी भी प्रकार के पटाखे चलाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
🚫 बाहर से आने वाले पटाखों पर सख्ती
अदालत ने कहा है कि एनसीआर के बाहर से आने वाले पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे।
पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया गया है कि वे सीमा क्षेत्रों की निगरानी करें और किसी भी अवैध पटाखे की बिक्री या तस्करी पर तुरंत कार्रवाई करें।
🏭 प्रदूषण नियंत्रण निकायों की जिम्मेदारी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इस अवधि में AQI (Air Quality Index) पर लगातार निगरानी रखी जाए और 21 अक्टूबर के बाद रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाए।
इससे यह तय किया जाएगा कि ग्रीन पटाखों की अनुमति का प्रदूषण स्तर पर क्या प्रभाव पड़ा।
💬 विशेषज्ञों की राय
पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि यह निर्णय “आंशिक राहत” तो है, लेकिन असली चुनौती इसके पालन और निगरानी में है।
पर्यावरणविद् डॉ. रश्मि नायर कहती हैं —
“ग्रीन पटाखे भी पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त नहीं हैं। वे केवल 30-35% कम नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए लोगों को जिम्मेदारी के साथ इस अनुमति का उपयोग करना चाहिए।”
🎇 जनता की प्रतिक्रिया
दिल्ली के लोगों के बीच इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली।
कुछ लोगों ने इसे “खुशियों की वापसी” बताया, तो कुछ ने “प्रदूषण को बढ़ावा देने वाला फैसला” कहा।
अमन वर्मा (नॉएडा निवासी) कहते हैं —
“दिवाली खुशियों का त्योहार है। ग्रीन पटाखों की इजाजत से संतुलन बना रहेगा।”
वहीं, सीमा गुप्ता (दिल्ली यूनिवर्सिटी) का कहना है —
“हमें उत्सव मनाना है, लेकिन अपनी आने वाली पीढ़ियों के फेफड़े दांव पर नहीं लगाने चाहिए।”
🌍 पर्यावरण बनाम परंपरा — संतुलन की चुनौती
हर साल दिवाली के बाद दिल्ली की हवा “गंभीर” (Severe) श्रेणी में पहुंच जाती है।
वाहनों, पराली जलाने, और पटाखों का संयुक्त प्रभाव धुंध (Smog) पैदा करता है, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसीलिए इस बार “संतुलित उत्सव” की अवधारणा पर जोर दिया —
“न तो पूरी तरह प्रतिबंध, न पूरी छूट। बस संयम और जिम्मेदारी।”
📊 आंकड़े क्या कहते हैं?
2024 की दिवाली के दौरान दिल्ली में औसत AQI 457 दर्ज किया गया था —
जो “Severe” श्रेणी में आता है।
पिछले साल कोर्ट ने पूरी तरह से पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अवैध रूप से बिक्री जारी रही।
इस बार उम्मीद है कि ग्रीन पटाखों की अनुमति से “कानूनी नियंत्रण” और “व्यवहारिक अनुपालन” दोनों संभव हो सकें।
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✍️ निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संतुलन और जिम्मेदारी की दिशा में एक कदम है।
अगर लोग नियमों का पालन करें, ग्रीन पटाखों का सीमित प्रयोग करें और पर्यावरण की रक्षा को प्राथमिकता दें,
तो दिवाली रोशनी और स्वच्छता दोनों का प्रतीक बन सकती है।


