ग्रामीण रोजगार का बड़ा बदलाव: मनरेगा समाप्त, नई योजना VBGAR लॉन्च, 100 से बढ़कर 125 काम के दिन!
केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला, भविष्य के रोजगार保障 का नया अध्याय
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार क्षेत्र में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। लंबे समय से देश के ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार保障 के सबसे बड़े कानून मनरेगा (MGNREGA) को खत्म करने का ऐलान किया गया है। इसकी जगह अब “विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)” यानी VBGAR योजना लाने की तैयारी सरकार कर रही है। इस नई योजना में रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिनों तक करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे ग्रामीण श्रमिकों को अधिक अवसर और बेहतर रोजगार保障 मिलेगा।
यह नई योजना न सिर्फ रोजगार का विस्तार करेगी, बल्कि वित्तीय जिम्मेदारी, फंडिंग पैटर्न और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने की दिशा में भी बड़े बदलाव लाएगी।
यह निर्णय सामाजिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसके प्रभाव का असर आने वाले समय में ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकता है।
क्यों आया यह बड़ा निर्णय?
पिछले दो दशकों में मनरेगा ने देश के लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार और आजीविका का आधार दिया है।
लेकिन बदलते समय, तकनीकी बदलाव, अर्थव्यवस्था में नई चुनौतियों और खेती-बाड़ी पर निर्भरता में परिवर्तनों को देखते हुए सरकार ने मनरेगा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता महसूस की।

सरकार का अनुमान है कि वर्तमान रोजगार ढांचे को मजबूत, अधिक समावेशी और युवाओं तथा अनस्किल्ड श्रमिकों के लिए अनुकूल बनाना अब और भी जरूरी हो गया है। यही कारण है कि मनरेगा का स्थान बदलकर एक नई, अधिक विस्तृत और लचीली योजना के रूप में लेने का निर्णय लिया गया है।
नई योजना: विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (VBGAR)
नई योजना का नाम — विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) — यह संकेत देता है कि सरकार ग्रामीण रोजगार को केवल एक काम का अवसर नहीं समझ रही, बल्कि इसे ग्रामीण विकास के व्यापक मिशन के रूप में देख रही है।
VBGAR की मुख्य विशेषताएं:
- 125 दिनों की रोजगार गारंटी:
अब ऐसे वयस्क ग्रामीणों को, जो बिना कौशल के काम करने को तैयार हैं, सरकार 125 दिनों तक रोजगार का अवसर देगी — जो पहले 100 दिनों तक ही मिलता था। - कौशलहीन से लेकर अनस्किल्ड तक रोजगार:
योजना का मुख्य लक्ष्य उन ग्रामीणों को रोजगार देना है जो बिना किसी विशेष प्रशिक्षण या कौशल के भी काम करने को तैयार हैं। - केंद्र और राज्य सरकार की साझेदारी:
योजना की फंडिंग में केंद्र और राज्य के बीच 60:40 का अनुपात तय किया गया है — जो पहले मनरेगा के तहत 90:10 का था। इस बदलाव से राज्यों की भी योजना में भागीदारी और जिम्मेदारी बढ़ेगी। - राज्यों को योजना संचालन का अधिकार:
राज्य सरकारों को यह अधिकार मिलेगा कि वे फसल कटाई के मुख्य मौसम के दौरान योजना को 2 महीने तक रोक सकती हैं, ताकि खेती से जुड़े कार्यों में विकर्षण न आए। - क्षेत्र का चयन केंद्र को अधिकार:
सरकार को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह देश के किन-किन क्षेत्रों में नई योजना लागू करना चाहती है, ताकि संसाधनों का अधिकतम और कारगर उपयोग हो सके।
मनरेगा का इतिहास और प्रभाव

मनरेगा की शुरुआत 2005 में हुई थी, जिसका उद्देश्य था ग्रामीण भारत में कम से कम 100 दिनों का रोजगार गारंटी प्रदान करना। यह दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम माना जाता है।
मनरेगा ने ग्रामीण इलाकों में गरीबी, पलायन और बेरोजगारी के खिलाफ एक मजबूत कवच प्रदान किया।
मनरेगा ने क्या किया?
✔ ग्रामीणों को स्थानीय श्रम पर आधारित रोजगार उपलब्ध कराया
✔ मजदूरों के लिए आय का स्थिर स्रोत बनाया
✔ ग्रामीण मजदूरों को शहरों की ओर पलायन से रोका
✔ कृषि एवं गैर-कृषि कार्यों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए
✔ ग्रामीण बुनियादी ढांचे (सड़कों, तालाबों, नलों आदि) का विकास किया
इन सब कारणों से मनरेगा ग्रामीण भारत की सामाजिक आर्थिक संरचना में एक महत्वपूर्ण आधार रहा है। लेकिन बदलते समय और नई आर्थिक जरूरतों को देखते हुए सरकार ने इसे और अधिक मजबूत, लचीला और लक्ष्य-उन्मुख बनाने का निर्णय लिया है।
क्या बदलाव होंगे और क्यों?
1. रोजगार के दिनों में वृद्धि: 100 → 125
अब ग्रामीण परिवारों को पहले की तुलना में 25 दिनों अधिक रोजगार मिल सकेगा। यह कदम उन परिवारों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगा जिनका निर्वाह केवल 100 दिनों के रोजगार पर निर्भर था। इस वृद्धि से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद और भी मजबूत होगी।
2. वित्तीय साझेदारी में बड़ा बदलाव: 60:40 मॉडल
मनरेगा के समय केंद्र और राज्य की साझेदारी 90:10 थी। इसका मतलब था कि केंद्र सरकार 90% खर्च वहन करती थी और राज्य सरकार मात्र 10%।
लेकिन नई योजना में यह अनुपात 60:40 किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि राज्य भी योजना के संचालन में अधिक जिम्मेदार भूमिका निभाएं और स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजना को अनुकूलित कर सकें।
3. केंद्र सरकार का क्षेत्र चयन अधिकार
नई योजना के तहत केंद्र सरकार यह तय करेगी कि देश के किन इलाकों में इसे लागू करना है, ताकि संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके और रोजगार की गारंटी वास्तविक तौर पर जरूरतमंद क्षेत्रों तक पहुंचे।
4. फसल कटाई के दौरान रोक का विकल्प
राज्य सरकार को हक है कि वे योजना को मुख्य फसल कटाई के मौसम (जैसे खरीफ या रबी) के दौरान 2 महीनों तक रोक सके, ताकि ग्रामीण श्रमिक खेती-बाड़ी में अपने परिवार की सहायता कर सकें।
सरकार का कहना: सामाजिक-आर्थिक बदलाव की प्रतिक्रिया
सरकार का मानना है कि पिछले 20 वर्षों में मनरेगा ने जहां ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्रदान किया है, वहीं बदलते सामाजिक-आर्थिक परिवेश में इसे और मजबूत और प्रभावी बनाना अब आवश्यक हो गया है।
ग्रामीण भारत की बदलती जरूरतें, अधिक शिक्षा प्राप्त युवाओं की आकांक्षाएं, खेती से हटकर विविध क्षेत्रों में रोजगार की मांग और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के सूत्रों के अनुसार, “VBGAR योजना न सिर्फ रोजगार का अधिकार देती है, बल्कि ग्रामीणों को आजीविका के बेहतर अवसरों और विकसित भारत की दिशा में कदम जोड़ने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।”
ग्रामीण भारत पर असर: क्या होगा बड़ा बदलाव?
✔ ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि
125 दिनों के काम से परिवारों को पहले से अधिक आय मिलेगी, जिससे उनकी जीवन-स्तर और खर्चों की क्षमता बढ़ेगी।
✔ पलायन में कमी
काम और आय के निरंतर अवसर मिलने से बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा बाहर शहरों की ओर रोजगार की तलाश में नहीं जाएंगे।
✔ नई कौशल सीखने की प्रेरणा
हालांकि नई योजना मुख्यतः अनस्किल्ड श्रमिकों पर केंद्रित है, लेकिन इसके विस्तार के साथ ग्रामीणों को भविष्य में कौशल विकास और ट्रेनिंग के अवसर भी मिल सकते हैं।
✔ राज्य सरकारों की भागीदारी बढ़ेगी
60:40 फंडिंग मॉडल से राज्यों को योजना के संचालन और स्थानीय अनुकूलन का अधिक अधिकार मिलेगा।
✔ फसल कटाई के समय योजना का लचीला संचालन
यह बदलाव ग्रामीण कृषि-समुदाय के लिए मददगार साबित होगा क्योंकि श्रमिक खेती का काम प्राथमिकता दे सकेंगे और उसी हिसाब से रोजगार योजना में भागीदारी कर सकेंगे।
नए भारत का ग्रामीण रोजगार: 2047 की दिशा में एक कदम
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कदम “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य की ओर एक मजबूत पहल है। प्रधानमंत्री की सोच है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है और इसका आधार मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था ही होगा।
नयी रोजगार योजना — VBGAR — का लक्ष्य सिर्फ रोजगार देना ही नहीं है, बल्कि ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से सक्षम कराना, उन्हें भविष्य-उन्मुख नौकरी या व्यवसाय के रास्ते देना, और एक संगठित सामाजिक सुरक्षा ढांचा तैयार करना भी है।
क्या इससे मनरेगा का स्थान समाप्त हो गया?
सरकार के निर्णय के बाद मनरेगा का अस्तित्व कदम-दर-कदम समाप्त हो जाएगा और VBGAR योजना को पूरी तरह लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
योजना की रूपरेखा, फंडिंग, कार्यान्वयन तंत्र और समय-सीमा को लेकर उच्च-स्तरीय मंत्रिमंडल समिति समीक्षा कर रही है और जल्द ही संसद में इसे पेश किया जाएगा।
निष्कर्ष: ग्रामीण रोजगार की नई सुबह
ग्रामीण भारत के लिए यह निर्णय एक नई उम्मीद, नई ऊर्जा और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। 125 दिनों के रोजगार गारंटी, वित्तीय साझेदारी में बदलाव, राज्य-केंद्र जिम्मेदारी का संतुलन, और स्थानीय जरूरतों के प्रति लचीला रवैया — यह सब मिलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगे।
यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं बल्कि ग्रामीण भारत के जीवन में बदलाव लाने वाली एक क्रांति-समान पहल है। आने वाले वर्षों में इससे लाखों परिवारों की जीवन-शैली, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी।
ये भी पढ़ें: एशेज में स्टार्क का बड़ा मौका, इतिहास करीब


