आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि दुनिया भर में बुरी ताकतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन जब ये ताकतें भारत पहुंचती हैं, तो उनका अंत निश्चित हो जाता है। उन्होंने कहा, “भारत में बुरी शक्तियों का अंतिम संस्कार किया जाता है।” यह टिप्पणी उन्होंने ‘वेदसेवक सम्मान सोहाला’ के दौरान की, जहां अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए 200 ‘गुरुजियों’ को सम्मानित किया गया, जिन्होंने 16 महीने तक चार वेदों के अनुष्ठान में भाग लिया था।
श्री भागवत ने कहा कि बुरी ताकतें दुनियाभर में सक्रिय रहती हैं और बिना किसी प्रशिक्षण के संगठित होकर काम करती हैं, जबकि अच्छे लोगों को एकजुट और जागरूक रहने के लिए निरंतर मार्गदर्शन और सहयोग की आवश्यकता होती है। उन्होंने बांग्लादेश और अन्य देशों में हाल के घटनाक्रमों को इसका उदाहरण बताते हुए कहा कि ये विभाजनकारी ताकतें पूरे विश्व में सांस्कृतिक गिरावट लाने का प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “बुरी ताकतों के बुरे काम केवल बांग्लादेश या अरब देशों तक सीमित नहीं हैं। अमेरिका में भी पिछले 100 वर्षों में सांस्कृतिक गिरावट देखी गई है, जिसे एक अमेरिकी लेखक ने अपनी किताब ‘कल्चरल डेवलपमेंट ऑफ अमेरिका’ में विस्तार से बताया है।”
आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि ऐसी प्रवृत्तियाँ राष्ट्रों के पतन का कारण बनती हैं, और हमें इन पर बिना किसी भय के नजर रखनी चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “जब ये बुरी ताकतें भारत तक पहुंचती हैं, तो यहां उनके बुरे प्रभावों का अंत होता है, क्योंकि भारत के पास इन्हें नियंत्रित करने और उनका अंतिम संस्कार करने का ज्ञान है।”
भागवत ने समाज में आदर्शों की कमी और बढ़ती अनास्था पर चिंता व्यक्त की, खासकर शिक्षित वर्ग में। उन्होंने कहा, “आदर्श मौजूद हैं, लेकिन लोगों को सही दिशा देने वाला कोई होना चाहिए।” उन्होंने अस्पृश्यता जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इसका शास्त्रों में कोई आधार नहीं है, फिर भी यह प्रचलित है, और जो लोग इससे निराश होकर धर्मांतरण करते हैं, उनके लिए दोषी कौन है?
यह वक्तव्य न केवल देश की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी है, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति एक चेतावनी भी है कि हमें बुरी ताकतों के खिलाफ सतर्क रहना होगा।