बिहार ने एक अद्वितीय विद्वान, धर्मगुरु और समाज सुधारक को खो दिया है। आचार्य किशोर कुणाल, जो बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट के संरक्षक थे, का रविवार को निधन हो गया। उनके निधन की खबर से बिहार सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
कौन थे आचार्य किशोर कुणाल?
आचार्य किशोर कुणाल केवल एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। उनका जीवन न केवल आध्यात्मिकता से प्रेरित था, बल्कि उन्होंने समाज सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में भी गहरी छाप छोड़ी। वे भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी भी रह चुके थे और अपनी ईमानदारी और निष्ठा के लिए जाने जाते थे।
- धार्मिक योगदान: महावीर मंदिर ट्रस्ट को सामाजिक और शैक्षणिक कार्यों में अग्रणी बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
- राम जन्मभूमि आंदोलन: उन्होंने अयोध्या विवाद को सुलझाने में मध्यस्थता की थी और अपनी तटस्थ भूमिका के लिए प्रशंसा पाई।
- साहित्य और इतिहास: आचार्य किशोर कुणाल ने धर्म, इतिहास और साहित्य पर कई ग्रंथ लिखे, जो आज भी विद्वानों के लिए मार्गदर्शक हैं।
बिहार में शोक की लहर
उनके निधन के बाद बिहार में शोक का माहौल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा,
“आचार्य किशोर कुणाल के निधन से राज्य ने एक महान संत, विचारक और समाज सुधारक को खो दिया है। उनका योगदान अमूल्य था।”
पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे बिहार के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
महावीर मंदिर ट्रस्ट का योगदान
महावीर मंदिर ट्रस्ट के जरिए उन्होंने न केवल मंदिरों के विकास को प्राथमिकता दी, बल्कि अस्पतालों, स्कूलों और सामाजिक कल्याण योजनाओं की स्थापना कर समाज को नई दिशा दी।
- महावीर कैंसर संस्थान: उनके नेतृत्व में पटना में यह अस्पताल कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ।
- शिक्षा के लिए समर्पण: गरीब और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए वे हमेशा तत्पर रहे।
आध्यात्मिकता और सामाजिकता का मेल
आचार्य किशोर कुणाल का जीवन इस बात का प्रमाण था कि आध्यात्मिकता और सामाजिकता को एक साथ लाया जा सकता है। उनकी सोच और कार्यशैली ने समाज के हर वर्ग को प्रेरित किया।
धार्मिक और सामाजिक योगदान
- राम जन्मभूमि विवाद में भूमिका: आचार्य किशोर कुणाल को राम जन्मभूमि विवाद के समाधान के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए सभी पक्षों के बीच संवाद की भूमिका निभाई।
- महावीर कैंसर संस्थान: उनके नेतृत्व में पटना का महावीर कैंसर संस्थान एक प्रतिष्ठित चिकित्सा केंद्र बना।
- धर्म और शिक्षा का समन्वय: उन्होंने धार्मिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा के बीच सेतु का काम किया, जिससे युवा पीढ़ी को सही दिशा मिली।
मृत्यु पर शोक संदेश
उनके निधन पर राज्य और देश के कई गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त किया।
- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “आचार्य किशोर कुणाल जी का निधन बिहार और देश के लिए बड़ी क्षति है। उनके सामाजिक और धार्मिक योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।”
- उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, “आचार्य जी का जीवन सेवा और समर्पण का प्रतीक था।”
- महावीर मंदिर ट्रस्ट ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उनकी स्मृतियों को सहेजने की बात कही।
बिहार में शोक की लहर
उनके निधन के बाद बिहार के धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में शोक की लहर है। पटना में उनके निवास पर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ उमड़ रही है। लोग उनकी सादगी और दूरदर्शी सोच को याद कर रहे हैं।
आचार्य किशोर कुणाल की विरासत
आचार्य किशोर कुणाल अपने कार्यों के माध्यम से एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनके सामाजिक और धार्मिक कार्यों ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में धर्म और समाज के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद की।
जनता की प्रतिक्रिया
उनके निधन के बाद लोग सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
एक भक्त ने लिखा, “आचार्य किशोर कुणाल जैसे व्यक्ति सदियों में एक बार आते हैं।”
उनके करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने हमेशा दूसरों की भलाई के लिए काम किया और अपनी पूरी जिंदगी समाज की सेवा में लगा दी।
अंतिम विदाई
आचार्य किशोर कुणाल का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके जाने से बिहार ही नहीं, पूरे देश को एक ऐसी शख्सियत की कमी खलेगी, जिन्होंने धर्म, समाज और संस्कृति को एक नई दिशा दी।
निष्कर्ष
आचार्य किशोर कुणाल का जीवन सेवा, निष्ठा और समाज सुधार का प्रेरक उदाहरण है। उनका निधन न केवल एक युग का अंत है, बल्कि उनके कार्यों और विचारों से आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरणा लेंगी।
आचार्य किशोर कुणाल को शत-शत नमन।