भारत के पूर्वी राज्यों, विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का पर्व एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह चार दिनों का महापर्व होता है जिसमें व्रत, स्नान, संध्या अर्घ्य, और उषा अर्घ्य जैसे विशेष अनुष्ठानों का महत्व होता है। इस वर्ष छठ पूजा 2024 का शुभारंभ 6 नवंबर से होगा। आइए जानते हैं हर दिन का महत्व और खास तिथियां।
छठ पूजा 2024 का कैलेंडर
- 6 नवंबर 2024 – नहाय-खाय (पहला दिन)
- महत्व: छठ पूजा का पहला दिन “नहाय-खाय” के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और शुद्धता का पालन करते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय का भोजन व्रतियों के लिए शुद्धता और संयम का प्रतीक है, जो पूरे व्रत में अनुशासन की नींव रखता है।
- अनुष्ठान: इस दिन खासकर कद्दू-भात और चने की दाल का सेवन किया जाता है।
- 7 नवंबर 2024 – खरना (दूसरा दिन)
- महत्व: दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जल उपवास रखते हैं और शाम को पूजा करके गुड़ और चावल की खीर, रोटी और फल ग्रहण करते हैं। इसे “खरना प्रसाद” कहा जाता है।
- अनुष्ठान: खरना की पूजा के बाद व्रती अगले 36 घंटे का निर्जल व्रत आरंभ करते हैं, जो बेहद कठिन माना जाता है और इसका पालन पूरी श्रद्धा से किया जाता है।
- 8 नवंबर 2024 – संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
- महत्व: छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती डूबते सूर्य को जल अर्पित करते हैं। इस अर्घ्य का उद्देश्य सूर्य देव की उपासना करते हुए संध्या में आभार प्रकट करना है।
- अनुष्ठान: व्रती जलाशयों या नदी के किनारे खड़े होकर अपने परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दौरान बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ और अन्य पूजा सामग्रियों को सजाया जाता है।
- 9 नवंबर 2024 – उषा अर्घ्य और पारण (चौथा दिन)
- महत्व: चौथे और अंतिम दिन उषा अर्घ्य होता है, जिसमें व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह पूजा उषा काल में की जाती है, जिसमें उगते सूर्य देव को ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।
- अनुष्ठान: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं। इसे “पारण” कहते हैं और इसमें प्रसाद बांटकर पूजा संपन्न की जाती है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महत्व हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह पर्व न केवल सूर्य देव की उपासना का होता है, बल्कि प्रकृति के साथ हमारा सामंजस्य स्थापित करने का संदेश भी देता है। छठ पूजा के दौरान व्रती अपनी सारी इच्छाओं और समस्याओं को छोड़कर पूरी निष्ठा और शुद्धता के साथ पूजा करते हैं, जिससे मन की शांति प्राप्त होती है।
समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक छठ पूजा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह उन भक्तों का विश्वास और श्रद्धा भी है, जो पूरे मन से सूर्य देव और छठी मइया की आराधना करते हैं। भक्त इस पर्व को कठिन व्रत और नियमों के साथ निभाते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
आखिर क्यों है छठ पूजा इतनी खास? छठ पूजा में समर्पण और संयम का जो महत्व है, वह अन्य किसी पर्व में देखने को नहीं मिलता। यह पूजा प्राकृतिक ऊर्जा के प्रति हमारी आस्था को दर्शाती है, और हमें सूर्य की शक्तियों से जुड़े रहने का संदेश देती है।
सूर्य देवता के प्रति आभार व्यक्त करने और नई ऊर्जा की प्राप्ति के साथ यह त्योहार संपूर्ण समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
विशेष बातें
- छठ प्रसाद: ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और अन्य प्रसाद छठ पूजा का अभिन्न हिस्सा होते हैं। ये प्रसाद घरों में महिलाएं मिल-जुलकर तैयार करती हैं।
- सामाजिक एकता: छठ पूजा के दौरान पूरा समुदाय एकसाथ आता है और पूजा स्थल पर विशेष धूमधाम देखने को मिलती है। नदी और तालाब किनारे सभी लोग मिलकर सूर्य अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा का यह पावन पर्व हर किसी को अपनी संस्कृति, धार्मिक आस्था और प्रकृति के प्रति प्रेम से जोड़ता है। अगर आप भी इस वर्ष छठ पूजा कर रहे हैं, तो इन तिथियों और विधियों के अनुसार तैयारी करें और इस महापर्व का आनंद लें।