मुंबई: देश में बढ़ते साइबर अपराधों के बीच एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मुंबई में एक बुजुर्ग महिला से साइबर ठगों ने चतुराई से ₹3.8 करोड़ की ठगी कर ली। इस घटना ने न केवल साइबर सुरक्षा की खामियों को उजागर किया है, बल्कि बुजुर्गों के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
कैसे हुआ यह फ्रॉड?
पीड़िता, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं, के पास कुछ हफ्ते पहले एक फोन कॉल आया। कॉलर ने खुद को आयकर विभाग का अधिकारी बताते हुए महिला को बताया कि उनके बैंक खातों में गड़बड़ी हुई है और यदि इसे सही नहीं किया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
डरी हुई महिला ने कॉलर के निर्देशानुसार अपनी बैंकिंग जानकारी और ओटीपी साझा कर दी। इसके बाद ठगों ने विभिन्न बैंक खातों में ट्रांजेक्शन कर ₹3.8 करोड़ की राशि उड़ा ली।
ठगी का खुलासा
महिला को इस ठगी का एहसास तब हुआ, जब उनके बैंक से उनके खाते में हुए बड़े ट्रांजेक्शन के बारे में कॉल आया। इसके तुरंत बाद उन्होंने पुलिस को इस घटना की जानकारी दी।
पुलिस की कार्रवाई
मुंबई साइबर सेल ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी है। बैंकिंग डिटेल्स और ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड की मदद से आरोपी को ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस का मानना है कि यह ठगी एक संगठित गिरोह का काम हो सकता है।
बुजुर्गों के लिए बड़ा खतरा
साइबर ठग अक्सर बुजुर्गों को निशाना बनाते हैं, क्योंकि वे तकनीक और डिजिटल सुरक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते। इस घटना ने इस समस्या को और उजागर कर दिया है।
कैसे बचें साइबर ठगी से?
- ओटीपी न करें साझा: बैंक या सरकारी अधिकारी कभी भी ओटीपी या पासवर्ड नहीं मांगते।
- संदिग्ध कॉल पर ध्यान दें: किसी भी कॉल पर बैंकिंग या निजी जानकारी न दें।
- डिजिटल साक्षरता: खासतौर पर बुजुर्गों को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करना जरूरी है।
- सतर्क रहें: अज्ञात लिंक पर क्लिक करने से बचें और ऑनलाइन फ्रॉड की रिपोर्ट तुरंत करें।
कैसे हुआ ठगी का खेल?
जानकारी के मुताबिक, यह ठगी एक सुनियोजित तरीके से की गई थी। महिला को एक फोन कॉल आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके नाम एक बड़ा नकद पुरस्कार है या फिर उनके बैंक खाता से संबंधित कोई समस्या है, जिसे हल करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी होगी। महिला को विश्वास दिलाने के लिए ठगों ने खुद को सरकारी एजेंसी के अधिकारी बताकर पेश किया और विश्वास दिलाया कि वे उनकी मदद कर रहे हैं।
इसके बाद, ठगों ने महिला से कई बार पैसे ट्रांसफर करने को कहा और यह सब करते वक्त उन्होंने एक-एक करके ₹3.8 करोड़ की भारी रकम उनके खातों से निकाल ली। महिला को तब तक यह समझ में नहीं आया कि वह ठगी का शिकार हो चुकी हैं, जब तक कि उन्होंने एक दिन अपने बैंक खाते की स्थिति की जांच नहीं की और सब कुछ सामने आ गया।
पुलिस ने शुरू की जांच
महिला द्वारा मामले की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने तुरंत साइबर क्राइम विभाग को मामला सौंप दिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के ठगी के मामलों में ठगों का नेटवर्क बहुत बड़ा हो सकता है, और वे विभिन्न तकनीकी माध्यमों का इस्तेमाल कर लोगों को झांसा देते हैं।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अपराधों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि लोग आसानी से ठगों का शिकार हो जाते हैं। इस मामले में पुलिस ने महिला के बैंक खातों से जुड़ी जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दिया है और जल्दी ही ठगों का पता लगाने की उम्मीद जताई है।
साइबर सुरक्षा के उपाय
साइबर ठगों के इस प्रकार के धोखाधड़ी से बचने के लिए पुलिस और विशेषज्ञों ने कुछ अहम सलाह दी है:
- कभी भी अनजान नंबर से फोन पर बात करते समय अपने निजी जानकारी जैसे बैंक विवरण या पिन कोड साझा न करें।
- ऑनलाइन लॉटरी, पुरस्कार या किसी भी ‘फ्री ऑफर’ से जुड़ी कॉल्स से बचें।
- अपने बैंक के सभी लेन-देन पर नजर रखें और कोई संदिग्ध गतिविधि पाए जाने पर तुरंत रिपोर्ट करें।
आखिरी शब्द
यह घटना एक और चेतावनी है कि साइबर अपराधियों का तरीका लगातार और अधिक उन्नत होता जा रहा है, और लोगों को इससे बचने के लिए सतर्क रहना जरूरी है। पुलिस ने इस मामले में शीघ्र कार्रवाई करते हुए ठगों का पता लगाने का आश्वासन दिया है, लेकिन इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए जनता की जागरूकता बेहद अहम है।
निष्कर्ष
यह घटना दिखाती है कि साइबर अपराध किस हद तक बढ़ चुका है। जरूरत है कि सरकार, पुलिस और नागरिक एक साथ आकर डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ मजबूत कदम उठाएं। बुजुर्ग महिला का मामला हमें यह सीख देता है कि सतर्कता ही सुरक्षा है।