हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का पर्व विशेष महत्व रखता है। इसे ‘देवोत्थान एकादशी’ भी कहा जाता है, और यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की नींद समाप्त होती है, जिसके साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
2024 में देवउठनी एकादशी की तारीख
2024 में देवउठनी एकादशी 7 नवंबर (बृहस्पतिवार) को मनाई जाएगी। इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य शुरू होने की परंपरा है।
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों के शयन के बाद जागते हैं, जिसे ‘चातुर्मास’ कहा जाता है। इस दिन से मांगलिक कार्यों, जैसे शादी, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसे लेकर लोगों में विशेष उत्साह रहता है क्योंकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
मांगलिक कार्यों की शुरुआत
1. विवाह समारोह:
देवउठनी एकादशी से विवाह समारोह की अनुमति मिलती है। इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों का आरंभ होने से लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है। कई लोग इस दिन को शुभ मानते हैं और विवाह की तैयारियों में जुट जाते हैं।
2. गृह प्रवेश:
घर में नए सदस्यों का स्वागत करने के लिए गृह प्रवेश भी इस दिन से प्रारंभ होता है। यह अवसर घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
3. अन्य संस्कार:
इसके अलावा, मुंडन, नामकरण संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी इस दिन से किए जा सकते हैं। मान्यता है कि इस दिन किए गए सभी कार्य सफल और फलदायी होते हैं।
कैसे मनाएं देवउठनी एकादशी?
- पूजन विधि:
देवउठनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु का पूजन करें। पूजा में तुलसी के पत्ते, कर्पूर, दीपक और मिठाई अर्पित करें। - व्रत और उपवासी:
इस दिन व्रत रखने का भी महत्व है। भक्त लोग पूरे दिन उपवासी रहकर भगवान की आराधना करते हैं। रात को विष्णु जी का जागरण किया जाता है। - सामाजिक गतिविधियाँ:
इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर धार्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं। सामूहिक पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
कब से शुरू होंगे मांगलिक कार्य?
देवउठनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इसे लेकर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं:
- शादी: 21 नवंबर 2024 से विवाह समारोहों का आयोजन शुरू होगा। इस दिन से विवाह समारोहों में काफी बढ़ोतरी देखी जाती है।
- गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश करने के लिए भी देवउठनी एकादशी को शुभ माना जाता है।
- मुंडन और अन्य संस्कार: इस दिन से मुंडन संस्कार और अन्य धार्मिक संस्कार भी किए जा सकते हैं।
पूजा विधि और उपाय
- पूजा विधि: इस दिन भक्तों को भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। व्रति धारण करके इस दिन उपवासी रहकर भगवान विष्णु की पूजा करें। घर में दीप जलाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र का पूजन करें।
- उपाय: इस दिन कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं जैसे पीले वस्त्र पहनना, घर में साफ-सफाई करना और लक्ष्मी जी के प्रति आभार व्यक्त करना।
निष्कर्ष
देवउठनी एकादशी केवल मांगलिक कार्यों की शुरुआत का दिन नहीं है, बल्कि यह एक नया आरंभ करने का प्रतीक है। इस दिन सभी भक्त भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। 2024 में देवउठनी एकादशी के अवसर पर, सभी को इस खास दिन का लाभ उठाना चाहिए और अपने जीवन में खुशियों का स्वागत करना चाहिए।
इसलिए, इस देवउठनी एकादशी पर अपने सभी मांगलिक कार्यों की योजना बनाएं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।