वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में, भारत एक उभरती हुई शक्ति के रूप में उभर रहा है। कोरोना महामारी के बाद से भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था में जबरदस्त सुधार किए हैं और उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक भारतीय जीडीपी में 6.5% से अधिक की वृद्धि देखने को मिलेगी। इस समय, जब अधिकांश देश वैश्विक मंदी और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार ने दुनिया के सामने एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत
भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेज़ बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन चुकी है। 2023-2024 के आर्थिक वर्ष में, भारतीय जीडीपी का आकार लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर था, और 2025 तक इसे 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य है। यह लक्ष्य न केवल भारत की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक शक्ति के रूप में उसकी बढ़ती भूमिका का भी संकेत देता है।
देश की विकास दर में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण इसके विभिन्न सेक्टर्स में सुधार है। कृषि, सेवा क्षेत्र, और निर्माण उद्योग जैसे क्षेत्रों में निवेश और विकास ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। इसके अलावा, भारतीय सरकार के विभिन्न सुधारात्मक कदमों ने व्यापार को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए कई सकारात्मक परिवर्तन किए हैं।

कोविड-19 के बाद का भारत
कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया था, लेकिन भारत ने इस चुनौती का सामना काफी मजबूत तरीके से किया। जहां दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था मंदी में चली गई, वहीं भारत ने अपनी आर्थिक स्थिति को फिर से पटरी पर लाने में सफलता प्राप्त की।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों जैसे आत्मनिर्भर भारत अभियान, प्रेरणा योजनाएं, और पीएम गरीब कल्याण योजना ने गरीबों और छोटे व्यवसायों को राहत पहुंचाई। इसके अलावा, डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस जैसी पहलें, भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं।
2025 में 6.5%+ GDP ग्रोथ का अनुमान
2025 तक भारतीय जीडीपी के 6.5% से अधिक बढ़ने की संभावना ने अर्थशास्त्रियों और निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। भारत का बढ़ता हुआ उपभोक्ता बाजार, डिजिटलाइजेशन, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हुई तरक्की इसके मुख्य कारण हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसी पहल शुरू की हैं, जिससे देश में नौकरी की संभावनाएँ बढ़ रही हैं। भारत सरकार की ये योजनाएँ विशेष रूप से युवाओं के लिए अवसरों का सृजन कर रही हैं।
इसके अतिरिक्त, भारत में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रेल, सड़क, और हवाई अड्डों के निर्माण में तेजी से काम हो रहा है, जिससे देश में कनेक्टिविटी बढ़ी है और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।
निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर
भारत एक प्रमुख निवेश गंतव्य बन चुका है। वैश्विक निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक बाजार बन गया है, खासकर ऐसे समय में जब चीन और अन्य देशों में व्यापार संबंधों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) के मामले में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

भारत में निवेश के लिए मुख्य आकर्षण उसकी बड़ी उपभोक्ता आबादी, बढ़ती डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकार की समर्थ नीतियाँ हैं। विशेष रूप से, एनर्जी ट्रांजिशन, ग्रीन टेक्नोलॉजी, और सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में निवेशकों को कई नए अवसर मिल रहे हैं।
भारत का वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य
भारत न केवल अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के तहत विश्व मंच पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है, जिसमें पर्यावरणीय और जलवायु संकट, व्यापार और विकास, और वैश्विक आर्थिक सहयोग की दिशा पर चर्चा की गई है।
भारत की अर्थव्यवस्था अब न केवल आयात-निर्यात पर निर्भर नहीं है, बल्कि घरेलू उत्पादन और सेवाओं में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। भारतीय कंपनियां अब वैश्विक स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं।
सकारात्मक संकेत
2025 में जब भारत का GDP 6.5% से अधिक बढ़ेगा, तो यह न केवल भारतीय नागरिकों के लिए रोजगार और आय के नए अवसरों का सृजन करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की शक्ति को भी प्रबल करेगा। इससे न केवल देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि भारतीय ब्रांड और कंपनियों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
भारत का आर्थिक विकास इस समय में एक प्रेरणा बन चुका है। वैश्विक मंदी, युद्ध, और अन्य बाहरी संकटों के बावजूद, भारत ने जो स्थिरता दिखाई है, वह आने वाले वर्षों में और भी मजबूत होगी।
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निष्कर्ष
भारत की इकोनॉमी 2025 तक 6.5%+ की वृद्धि दर प्राप्त करेगी, यह विश्वास और उम्मीद की बात है। इसके पीछे सरकार की नीतियाँ, डिजिटलाइजेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, और वैश्विक निवेशकों के बढ़ते विश्वास का बड़ा हाथ है। आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के इस प्रगति पथ पर चलते हुए भारत एक नई ऊँचाईयों तक पहुंचेगा और दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण जगह बनाए रखेगा।
यह विकास भारत के लिए एक नई शुरुआत होगी, जहाँ एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उसकी पहचान स्थापित होगी।