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U17 चैंपियनशिप में भारत की दहाड़, गोल्ड पर नजर

चैम्पियन बनने की राह पर – लैकी ने फाइनल में बनाई जगह

2 अगस्त 2025, एथेंस (ग्रीस) में चल रही Under‑17 World Wrestling Championship में भारत के लैकी (110 किग्रा फ्रीस्टाइल) ने फाइनल में प्रवेश कर भारत को गौरवान्वित किया है। लैकी ने शीर्ष स्थान के करीब अपनी चौकोर तैयारी के साथ:

अब उनका फाइनल मैच World Wrestling Federation (UWW) की बैनर तले पहलवान मैगोमेद्रसल ओमारोव से होगा। यह मुकाबला लैकी के करियर का सबसे बड़ा क्षण साबित हो सकता है।


🥋 गौरव पूनिया ने बरकरार रखी संभावनाएँ – ब्रॉन्ज की राह खुली

65 किलोग्राम वर्ग में भारत के गौरव पूनिया ने अपने अभियान की शुरुआत भी जोरदार तरीके से की। उन्होंने पहले दो मुकाबले बिना अंक खोए तकनीकी श्रेष्ठता (Technical Superiority) से जीत दर्ज की। लेकिन क्वार्टरफाइनल में उन्हें अमेरिका के आर्सेनी किकिनिउ से हार का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी पदक यात्रा खतरे में पड़ गई थी।

खुशनसीबी रही कि किकिनिउ ने फाइनल तक जगह बनाई, जिससे गौरव पूनिया को रेपेचेज राउंड में एक अतिरिक्त मौका मिला। अब यदि वे रेपेचेज़ में अपने दोनों मुकाबले जीतते हैं, तो ब्रॉन्ज पदक उनकी झोली में आ सकता है।


शिवम और जयवीर की चुनौती समाप्त – रेपेचेज़ बंद

48 किग्रा फ्रीस्टाइल में शिवम ने कजाकिस्तान के सबिरजान राखातोव से बेहद करीबी मुकाबले में 6‑7 से हारकर क्वार्टरफाइनल में आउट हो गए। दुर्भाग्य से राखातोव आगे बढ़ने में असफल रहे, जिससे शिवम को रेपेचेज़ का मौका नहीं मिला। वहीं, 55किग्रा वर्ग में जयवीर सिंह ने अपने पहले मुकाबले में स्थानीय खिलाड़ी इयोनिस केसिडिस को तकनीकी श्रेष्ठता से पराजित किया, लेकिन क्वार्टरफाइनल में उन्हें अमेरिका के ग्रेटन एफ. बर्नेट के हाथों 0‑3 से शिकस्त मिली। बर्नेट सेमीफाइनल तक न पहुँच पाने के कारण जयवीर की पदक उम्मीदें भी समाप्त हो गई हैं।


📘 भारतीय टीम की कुल स्थिति और महत्व

यह टूर्नामेंट भारत के लिए कई मायनों में खास रहा है—जहां लैकी ने फाइनल में जगह बनाकर गोल्ड की दौड़ में प्रवेश किया, वहीं गौरव पूनिया के पास ब्रॉन्ज जीतने का मौका बना हुआ है। शिवम और जयवीर हालांकि आगे नहीं बढ़ पाए, लेकिन उनकी मेहनत ने उम्मीदों को मजबूत रखा।

इस चैंपियनशिप में भारतीय महिलाओं ने भी शानदार प्रदर्शन किया है—6 पदक (2 गोल्ड, 3 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज) जीतकर टीम चैंपियनशिप Trophy पर कब्जा जमाया। हालांकि हमारा लेख पुरुष वर्ग पर केंद्रित है, लेकिन यह उपलब्धि युवा पहलवानों के उज्जवल भविष्य का संकेत है।


🧠 रणनीतिक मोर्चों का विश्लेषण – क्या बना सफलता का आधार?

लैकी की विशेषताएँ:

  1. तकनीकी श्रेष्ठता: उनके शुरुआती मुकाबलों में तकनीकी श्रेष्ठता से जीतना दर्शाता है कि वे सिर्फ ताकतवर नहीं, बल्कि सम्यक तकनीकी समझ रखने वाले पहलवान हैं। जापान और जॉर्जिया जैसे रेसलिंग देशों के पहलवानों को रणनीतिक मात देना यही दिखाता है।
  2. मानसिक मजबूती: सेमीफाइनल में ईरान जैसे परिपक्व खिलाड़ी को पिन करना न केवल ताकत दिखाता है, बल्कि निर्णायक समय में फैसले लेने की क्षमता भी।
  3. फोकस और निरंतरता: लगातार तीन मुकाबलों में निरंतर जारी प्रदर्शन, फाइनल की उम्मीद को मजबूत करता है।

गौरव की राह:


🕰️ आगे की संभावनाओं की रूपरेखा


📝 निष्कर्ष

Under-17 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भारत के युवा पहलवानों ने मंच स्थापित करना शुरू कर दिया है। लैकी ने न केवल फाइनल तक पहुंचकर देश को गौरवशाली किया है, बल्कि विश्व स्तर पर चैंपियनशिप जीतने की दौड़ में शामिल होने जैसा सपना भी साकार किया है। गौरव पूनिया की एक हार के बाद भी पदक की संभावना बनी हुई है, जो उनकी क्षमता और मानसिक दृढ़ता को दर्शाती है। शिवम और जयवीर ने नजदीकी मुकाबलों में संघर्ष दिखाया, जो आने वाले समय में बेहतर परिणामों की नींव रखता है।

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आने वाले दिनों में इन युवा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और अनुभव भारत को यकीनन Wrestling के वरिष्ठ स्तर पर और भी मजबूत बनाने में सहायक होगा। वे राष्ट्र को लंबे समय तक गर्व देने की क्षमता रखते हैं।

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