ब्रेस्ट कैंसर आजकल दुनिया भर में महिलाओं के बीच एक आम बीमारी बन चुकी है। यह एक ऐसी बीमारी है जो यदि समय रहते पहचान में न आए तो गंभीर रूप ले सकती है, लेकिन समय पर जाँच और सही उपचार से इस पर काबू पाया जा सकता है। जैसा कि कहा जाता है, “प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर”, ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में भी यही सिद्धांत लागू होता है। अगर महिलाएं समय रहते अपने शरीर में बदलावों को समझें और जरूरी टेस्ट करवाएं, तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
आजकल ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता काफी बढ़ी है, लेकिन फिर भी बहुत सी महिलाएं इस बीमारी के लक्षणों के बारे में अनजान रहती हैं और इसे नजरअंदाज कर देती हैं। ऐसे में नियमित जांच और खुद से शरीर की मॉनिटरिंग करने से आप इस खतरनाक बीमारी से बच सकती हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए कौन से टेस्ट और उपाय जरूरी हैं, जिन्हें हर महिला को समय-समय पर कराना चाहिए।

ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब स्तन के कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यह ट्यूमर बेंजीन (benign) या मैलिगनेंट (malignant) हो सकता है। अगर यह ट्यूमर मैलिगनेंट है तो वह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। हालांकि, यदि ब्रेस्ट कैंसर का पता समय रहते चल जाए और उपचार तुरंत शुरू किया जाए, तो इससे बचाव किया जा सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं?
कई बार ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता नहीं चलता, लेकिन इसके कुछ आम लक्षण निम्नलिखित हैं:
- ब्रेस्ट या ब्रेस्ट के आसपास गांठ या सूजन महसूस होना।
- ब्रेस्ट का आकार या रूप में अचानक बदलाव आना।
- निप्पल से खून या अन्य तरल पदार्थ का आना।
- निप्पल का दर्द या खिंचाव महसूस होना।
- ब्रेस्ट में जलन या नमकीन त्वचा का अनुभव होना।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो बिना समय गवाएं डॉक्टर से सलाह लें।

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए जरूरी टेस्ट
- मैमोग्राफी (Mammography)
यह एक X-ray आधारित स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो ब्रेस्ट कैंसर का पहला और सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। यह टेस्ट महिलाओं के लिए 40 वर्ष के बाद साल में एक बार करवाना चाहिए। मैमोग्राफी ब्रेस्ट के टिश्यू में कैंसर की किसी भी शुरुआती गांठ को पहचानने में मदद करती है, जो आंखों से नहीं देखी जा सकती। अगर आप परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास रही है, तो यह टेस्ट और भी जरूरी हो जाता है।
- ब्रेस्ट सेल्फ-एक्जामिनेशन (BSE)
ब्रेस्ट सेल्फ-एक्जामिनेशन (BSE) एक आसान और मुफ्त तरीका है जिससे आप खुद अपने ब्रेस्ट का परीक्षण कर सकती हैं। इसे हर महीने किसी भी एक दिन, पीरियड्स के बाद किया जा सकता है। यह परीक्षा महिला को अपने शरीर में किसी भी असामान्यता या बदलाव को पहचानने में मदद करती है। यदि आपको कोई गांठ, सूजन, दर्द, या त्वचा में बदलाव महसूस हो, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कैसे करें BSE?
- ब्रेस्ट को सामने खड़े होकर आईने में देखें और किसी भी बदलाव का पता लगाएं।
- अब, ब्रेस्ट को अपने हाथों से धीरे-धीरे महसूस करें, ताकि किसी गांठ या असामान्यता का पता चले।
- आपको यह प्रक्रिया महीने में एक बार करनी चाहिए।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
अगर मैमोग्राफी के दौरान कोई असामान्यता दिखती है, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं। यह एक साउंड वेव टेस्ट है जो ब्रेस्ट के टिश्यूज की सटीक तस्वीर देता है। अल्ट्रासाउंड उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिनकी उम्र 40 साल से कम है, क्योंकि उनके ब्रेस्ट में घने टिश्यू होते हैं, और मैमोग्राफी से सही जानकारी प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
- बायोप्सी (Biopsy)
यदि मैमोग्राफी और अल्ट्रासाउंड में ब्रेस्ट कैंसर का संदेह होता है, तो डॉक्टर बायोप्सी करवाने की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया में ब्रेस्ट से एक छोटी सी सैंपल ली जाती है और उसे लैब में जांचा जाता है। यह टेस्ट कैंसर के ट्यूमर के मैलिगनेंट या बेन्जिन होने का निर्धारण करता है।
- जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing)
कुछ महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के उच्च जोखिम में होती हैं, विशेष रूप से यदि उनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास हो। ऐसे मामलों में, जेनेटिक टेस्टिंग की जाती है, जिसमें BRCA1 और BRCA2 जैसी जीन म्यूटेशन की जांच की जाती है, जो ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के जोखिम को बढ़ाती हैं। यह टेस्ट आपके परिवार में कैंसर के इतिहास की गंभीरता को पहचानने में मदद करता है।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के उपाय
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें। ऑलिव ऑयल और मछली जैसी ओमेगा-3 से भरपूर चीजों का सेवन करें।
- शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं: नियमित रूप से व्यायाम करें। व्यायाम करने से शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर नियंत्रित रहता है, जो ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
- धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और शराब ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इनसे बचना जरूरी है।
- प्रसव के बाद स्तनपान करें: स्तनपान करने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। अगर आप बच्चों को स्तनपान कराती हैं, तो यह ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को 4-6 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
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निष्कर्ष
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव और उसका समय पर इलाज बेहद जरूरी है। मैमोग्राफी, ब्रेस्ट सेल्फ-एक्जामिनेशन, अल्ट्रासाउंड, बायोप्सी और जेनेटिक टेस्टिंग जैसे टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर का जल्दी पता लगाने में मदद कर सकते हैं। इसीलिए सभी महिलाओं को अपनी सेहत के प्रति सजग रहना चाहिए और नियमित रूप से इन टेस्ट्स को कराना चाहिए। अगर आप इन टेस्ट्स को समय पर कराती हैं, तो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से निपटना आसान हो सकता है।
साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और सही आहार लेना भी आपके शरीर को मजबूत और कैंसर से बचाव करने में मदद करता है। याद रखें, जितनी जल्दी पहचान होगी, उतना ही जल्दी इलाज संभव होगा। इसलिए, अपनी सेहत का ख्याल रखें और समय रहते जरूरी टेस्ट कराकर ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करें!