चर्चित यूट्यूबर से नेता बने मनीष कश्यप ने आज पटना के बापू भवन में आयोजित ‘डिजिटल योद्धा समागम’ में औपचारिक रूप से प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) की सदस्यता ग्रहण की। साथ ही, उन्होंने घोषणा की कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में चनपटिया से अपने चुनावी भीड़ के दम पर चुनाव लड़ सकते हैं।
इस दौरान ऑनलाइन उनके सोशल मीडिया पोस्ट से यह भी स्पष्ट हुआ कि उन्होंने PK को भारतीय संविधान की प्रति भेंट की और “नया बिहार बनाने का भागीदार बनने” का नारा सार्वजनिक किया । मनीष ने लिखा:

“जन सुराज के सूत्रधार… प्रशांत किशोर जी को आज मैंने भारतीय संविधान भेंट किया… नया बिहार बनाने का भागीदार बन रहा हूं।” prabhatkhabar.com+1bhaskar.com+1
🔍 बीजेपी से मोहभंग – चुनावी रणनीति का पहला कदम
अप्रैल 2024 में मनीष कश्यप बीजेपी में शामिल थे, लेकिन 8 जून 2025 को उन्होंने फेसबुक लाइव में पार्टी से तत्काल त्यागपत्र दे दिया । इस फैसले के पीछे बताया गया कि वे पीएमसीएच की घटना के बाद उपेक्षित महसूस कर रहे थे और “मजबूर किया गया” ।
पीएमसीएच के विवाद में मनीष कश्यप वहां बंधक बनकर मारपीट की शिकार बन गए; उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर कटाक्ष लगाए, और NDA शासन पर सवाल खड़े किए । इसे उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान बदलने का अवसर माना।
🗳️ चनपटिया सीट पर उनकी दावेदारी – युवा चेहरे का चुनावी प्रयोग
शनिवार को वह बोले कि वे चनपटिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि 2020 में भी उन्होंने इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर ≈9,000 वोट हासिल किये थे ।
चनपटिया, पश्चिम चंपारण जिले में स्थित, राजनीतिक दृष्टि से NDA/बीजेपी का परंपरागत गढ़ है। वहां जीतना BJP के लिए चुनौती बन सकता है । मनीष का सोशल मीडिया पर युवा और EBC वर्ग में खासा प्रभाव है, जिसे JSP भुनाने की कोशिश में है।
🎙️ PK-जैन सुराज की रणनीति – डिजिटल + जन आंदोलन का कोलाज
प्रशांत किशोर की “जन सुराज” रणनीति का मूल मंत्र है: जाति और वंशवाद से ऊपर मुद्दों पर वोटिंग। उनका दावा है कि बिहार विधानसभा चुनाव NDA और JSP के बीच सीधा मुकाबला होगा, RJD तीसरे रूप में पीछे रह जाएगी ।
JSP पिछले साल अक्टूबर में चार उपचुनावों में 10% वोट हासिल कर चुका है, और अब 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है । मनीष जैसे सोशल मीडिया स्टार और युवा नेता JSP को ग्रामीण-शहरी युवा वर्ग तक पहुंचने में मददगार साबित हो सकते हैं।
⚖️ विवाद और आलोचना – नए चेहरों की चुनौती
हालांकि, मनीष कश्यप विवादों से भी अछूते नहीं हैं। वे 2023 में तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर फर्जी वीडियो तैयार करने के आरोप में गिरफ्तार भी हुए थे। इसके अलावा PMCH विवाद ने भी उनकी छवि विवादित की।
Reddit पर उनके और JSP पर सवाल उठते रहे हैं, जैसे:
“I PERSONALLY feel this… candidates with criminal backgrounds… Is this the ‘new Bihar’ he’s promising?” timesofindia.indiatimes.com+15statemirror.com+15aajtak.in+15reddit.com+8reddit.com+8reddit.com+8
“Jan Suraaj party भी वही ब़ेड चाल वाली निकली…” navbharattimes.indiatimes.com+15reddit.com+15reddit.com+15
लेकिन प्रधानमंत्रियों का तर्क यह है कि “you have to be in the system, to change the system”
📊 युवा वर्ग और डिजिटल जोड़ – चुनावी गणित की नयी चाल
मनीष कश्यप के 8.75 मिलियन यूट्यूब सब्सक्राइबर्स उन्हें ऑनलाइन जोड़ते हैं। JSP का उद्देश्य इन्हीं युवा-महत्वाकांक्षी वर्ग को जोड़ कर पारंपरिक दलों को चुनौती देना है । मनीष ने चनपटिया में बन रही सड़क की मरम्मत की मांग करते हुए यह दिखाया कि वे स्थानीय मुद्दों पर सक्रिय हैं ।
उनकी यात्रा जाति-धर्म से उपर उठकर मुद्दों और युवाओं की आकांक्षाओं को मध्य में रख जाती है।
🔮 आगे की राह – क्या होगा मनीष का राजनीतिक भविष्य?
जन सुराज में शामिल होकर मनीष कश्यप ने राजनीतिक बदलाव की दिशा में पहला कदम उठाया है। अगर उन्होंने चनपटिया में मुकाबला कर लोकभावना को सही तरह से जोड़ा, तो उन्हें NDA के गढ़ में सेंध लगाने का मौका मिल सकता है।
लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं:
- बीजेपी की मजबूती – चनपटिया पर BJP का जनाधार गहरा है।
- विवादों का असर – फर्जी वीडियो, PMCH विवाद, और आपराधिक पृष्ठभूमि के अरसे तक बचना मुश्किल।
- JSP का संगठनात्मक बल – नवगठित पार्टी होने के कारण उसे स्थिर संगठन तैयार करना आवश्यक है।
अगर ये तीन मुश्किलें पार हो गईं, तो मनीष का ‘डिजिटल योद्धा’ चेहरा भी राजनेता के रूप में मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकता है।
📝 निष्कर्ष
• मनीष कश्यप ने आज जन सुराज में शामिल होकर अपनी राजनीतिक खोज एक नए मुकाम पर पहुँचाई है।
• उन्होंने चनपटिया सीट पर चुनाव लड़ने का इशारा देकर विधानसभा मैदान में उतरने की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
• उनका युवा और डिजिटल-फ्रेंडली व्यक्तित्व JSP को एक नया मोड़ दे सकता है, अगर वह जमीन पर मुद्दों से जुड़ पाते हैं।
• लेकिन विवादों और बीजेपी के मजबूत संगठनात्मक फ्रेमवर्क के बीच उन्हें बड़ी चुनौतियों से जूझना होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में मनीष कश्यप का ‘जन सुराज’ रणनीति कितनी गहराई तक असर करती है – क्या यह सिर्फ डिजिटल चर्चा बनकर रह जाती है या चनपटिया में वास्तविक परिवर्तन की चमक दे सकती है?
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इस लेख में मनीष कश्यप के राजनीतिक सफर, जन सुराज में शामिल होने की प्रक्रिया, उनकी चुनौतियों और संभावनाओं का विस्तार से विश्लेषण किया गया है। चर्चा का पहला अध्याय तो अभी खुला है – चुनावी असली रोमांच अभी बाकी है।