भारत की डिजिटल क्रांति ने एक और ऐतिहासिक पड़ाव छू लिया है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने अब एक ऐसी सुविधा पेश की है जो भविष्य को आज के वर्तमान में ले आई है —
अब आप सिर्फ देखकर और बोलकर भुगतान कर सकते हैं, वो भी बिना मोबाइल निकाले, बिना पिन डाले!
एनपीसीआई ने मंगलवार को एक वीडियो जारी कर बताया कि कैसे “स्मार्ट ग्लास” (Wearable Smart Glasses) के जरिए अब यूपीआई लाइट (UPI Lite) से पेमेंट करना एक सहज और फ्यूचरिस्टिक अनुभव बन गया है।
स्लोगन भी बेहद सरल और भारतीय है —
“देखो, बोलो, पेमेंट करो!”
💡 क्या है यह नई सुविधा?
एनपीसीआई ने इस तकनीक को ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 के मंच पर लॉन्च किया।
इस कार्यक्रम में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने इसका उद्घाटन किया।
अब भारत में पहली बार, वियरेबल स्मार्ट ग्लासेस के जरिये यूपीआई लाइट पेमेंट करना संभव हो गया है।
इसके लिए न मोबाइल फोन की जरूरत है, न इंटरनेट डेटा की चिंता, और न ही किसी ओटीपी या पिन की झंझट।
आपको बस इतना करना है —
- क्यूआर कोड को देखना है,
- वॉयस कमांड देना है (“पेमेंट करो” या राशि बताना है),
- और पेमेंट तुरंत हो जाएगा।
📲 यूपीआई लाइट क्या है?
‘यूपीआई लाइट’ को एनपीसीआई ने खास तौर पर छोटी और बार-बार की जाने वाली पेमेंट्स के लिए डेवलप किया था।
जैसे —
- चाय-कॉफी खरीदना ☕
- बस टिकट लेना 🚌
- फास्ट फूड बिल चुकाना 🍔
- पेट्रोल पंप पर मामूली पेमेंट ⛽
इसमें बैंकिंग सिस्टम पर लोड बहुत कम रहता है क्योंकि यह कोर बैंकिंग सर्वर (CBS) से डायरेक्ट कनेक्ट नहीं करता।
इसी वजह से यह पेमेंट तेज़, आसान और निर्बाध (seamless) होता है।
🧠 टेक्नोलॉजी जो बदल देगी रोज़मर्रा की पेमेंट आदतें

एनपीसीआई ने अपने डेमो वीडियो में दिखाया कि कैसे यूज़र सिर्फ स्मार्ट ग्लास पहनकर क्यूआर कोड देखता है और कहता है —
“Pay 100 rupees via UPI Lite.”
और पेमेंट तुरंत पूरा हो जाता है।
इसमें इनबिल्ट कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन होते हैं जो वॉयस कमांड और विज़ुअल कोड डिटेक्शन के जरिए ट्रांजैक्शन प्रोसेस करते हैं।
यूज़र को अपने बैंक ऐप या मोबाइल स्क्रीन छूने की भी जरूरत नहीं।
एनपीसीआई के एक अधिकारी के अनुसार —
“यह कदम न सिर्फ पेमेंट को आसान बनाएगा बल्कि भारत को दुनिया में डिजिटल पेमेंट इनोवेशन का नेता भी बनाएगा।”
🌍 वियरेबल टेक्नोलॉजी में यूपीआई का पहला विस्तार

यह पहली बार है जब यूपीआई को वियरेबल एनवायरनमेंट (Wearable Environment) में उतारा गया है।
अब तक यूपीआई सिर्फ मोबाइल ऐप्स और क्यूआर-आधारित स्कैनिंग तक सीमित था।
लेकिन स्मार्ट ग्लास के जरिए अब यह “सहज, परिवेश भुगतान (Ambient Payment)” की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
एनपीसीआई ने कहा —
“यह भविष्य की पेमेंट टेक्नोलॉजी है, जो मानव की प्राकृतिक क्रिया — ‘देखना’ और ‘बोलना’ — को डिजिटल ट्रांजैक्शन से जोड़ देती है।”
🏦 बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए बड़ा बदलाव
यूपीआई लाइट स्मार्ट ग्लास पेमेंट से बैंकिंग सिस्टम पर दबाव भी घटेगा।
क्योंकि ये ट्रांजैक्शन नॉन-सीबीएस वॉलेट के माध्यम से होते हैं,
इससे बैंक के कोर बैंकिंग सर्वर को हर छोटे ट्रांजैक्शन में हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता।
इससे फायदे होंगे —
- बैंक सर्वर पर लोड कम होगा ⚙️
- नेटवर्क ट्रैफिक घटेगा 🚦
- और ट्रांजैक्शन स्पीड बढ़ेगी ⚡
एनपीसीआई ने कहा कि इससे “माइक्रो ट्रांजैक्शन इकोनॉमी” को बहुत गति मिलेगी — यानी भारत में छोटे भुगतान का बड़ा बाज़ार और तेज़ी से बढ़ेगा।
🔊 “देखो, बोलो, पेमेंट करो” — भारत का फ्यूचर पेमेंट मंत्र
एनपीसीआई का यह स्लोगन सिर्फ एक टैगलाइन नहीं बल्कि डिजिटल स्वतंत्रता की परिभाषा है।
अब कोई बुजुर्ग, विकलांग या तकनीकी रूप से अनभिज्ञ व्यक्ति भी आसानी से पेमेंट कर सकेगा।
क्योंकि उसे टाइप करने, फोन निकालने या ऐप खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यह सुविधा डिजिटल समावेशन (Digital Inclusion) की दिशा में बड़ा कदम है।
📈 भारत के लिए एक नई दिशा

भारत पहले ही दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट नेटवर्क बन चुका है।
हर महीने अरबों लेनदेन यूपीआई से होते हैं।
अब इस नई तकनीक के साथ भारत “कैशलेस और टचलेस इकोनॉमी” की ओर और तेजी से बढ़ेगा।
RBI के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने लॉन्च के समय कहा —
“भारत ने डिजिटल पेमेंट में जो नेतृत्व दिखाया है,
यह इनोवेशन उस मुकाम को और मजबूत करेगा।
हमारी कोशिश है कि हर भारतीय को सरल, सुरक्षित और त्वरित भुगतान का अनुभव मिले।”
💬 विशेषज्ञों की राय
फिनटेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह लॉन्च भारत को ग्लोबल पेमेंट इनोवेशन मैप के शीर्ष पर ले जाएगा।
आईटी विश्लेषक अनुराग भटनागर कहते हैं —
“वियरेबल टेक्नोलॉजी के साथ पेमेंट सिस्टम को जोड़ना भविष्य का संकेत है।
यह भारत के ‘टेक-सशक्त उपभोक्ता’ का युग है।”
वहीं डिजिटल स्ट्रेटेजिस्ट प्रिया मेहता का कहना है —
“स्मार्ट ग्लास आधारित यूपीआई लाइट सिस्टम सिर्फ तकनीकी प्रयोग नहीं,
बल्कि भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों के लिए भी वरदान साबित हो सकता है।”
👓 स्मार्ट ग्लास पेमेंट कैसे करेगा काम?
- यूज़र ग्लास पहनकर किसी भी व्यापारी के क्यूआर कोड को देखेगा।
- ग्लास का कैमरा उस कोड को अपने आप डिटेक्ट करेगा।
- यूज़र बोलेगा — “Pay 50 rupees using UPI Lite.”
- वॉयस रिकग्निशन सिस्टम पेमेंट की पुष्टि करेगा।
- पेमेंट सफल होने का नोटिफिकेशन ग्लास के अंदर डिस्प्ले या ऑडियो के रूप में सुनाई देगा।
पूरी प्रक्रिया 3 सेकंड से भी कम समय में पूरी हो सकती है।
⚙️ सुरक्षा कैसी होगी?
एनपीसीआई ने भरोसा दिलाया है कि यह पेमेंट सिस्टम मल्टी-लेयर सिक्योरिटी से सुरक्षित रहेगा।
- वॉयस ऑथेंटिकेशन
- डिवाइस बाइंडिंग
- बायोमेट्रिक ऑप्शन
- और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन
इससे किसी भी धोखाधड़ी या अनधिकृत ट्रांजैक्शन की संभावना बेहद कम होगी।
🛍️ किन क्षेत्रों में होगा सबसे ज्यादा उपयोग?
स्मार्ट ग्लास यूपीआई लाइट पेमेंट सबसे ज्यादा उपयोगी होगा —
- रिटेल शॉप्स में
- कैफे, रेस्टोरेंट्स में
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट में
- फूड स्टॉल्स या लोकल मार्केट्स में
यानि, यह तकनीक आम आदमी के रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाने वाली है।
🏁 भारत की डिजिटल यात्रा का अगला अध्याय
साल 2016 में जब यूपीआई लॉन्च हुआ था, किसी ने नहीं सोचा था कि
एक दिन “सिर्फ देखकर और बोलकर” पेमेंट संभव होगा।
लेकिन भारत ने यह कर दिखाया है।
एनपीसीआई ने कहा —
“हमारा लक्ष्य है कि आने वाले समय में पेमेंट उतना ही आसान हो,
जितना सांस लेना।”
🌐 भारत: ग्लोबल डिजिटल लीडर
दुनिया के कई देश भारत के यूपीआई मॉडल को अपनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
सिंगापुर, UAE, नेपाल, भूटान और मॉरीशस पहले ही यूपीआई सिस्टम से जुड़ चुके हैं।
अब वियरेबल पेमेंट के साथ भारत ने एक बार फिर फिनटेक लीडरशिप साबित कर दी है।
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🪔 निष्कर्ष
एनपीसीआई का यह इनोवेशन सिर्फ एक तकनीकी अपग्रेड नहीं, बल्कि
“भुगतान की आज़ादी” (Freedom of Payment) का प्रतीक है।
अब पेमेंट सिर्फ एक ट्रांजैक्शन नहीं रहेगा —
यह एक अनुभव होगा: देखो, बोलो और हो गया पेमेंट।
भारत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि इनnovation की भाषा अब भारतीय है।
और दुनिया अब भारत की डिजिटल दृष्टि से सीख रही है।