दुनिया इस समय बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों से गुजर रही है। अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव, रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि और वैश्विक ऊर्जा संकट के बीच भारत और रूस के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। इसी कड़ी में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है।
पुतिन ने मोदी को “बुद्धिमान नेता” करार दिया और कहा कि वे सबसे पहले अपने देश और जनता के बारे में सोचते हैं। यह टिप्पणी उस समय आई है जब पुतिन दिसंबर 2025 में भारत आने वाले हैं।
पुतिन की टिप्पणी क्यों अहम?
पुतिन ने कहा—
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत ही बुद्धिमान नेता हैं, जो सबसे पहले अपने देश के बारे में सोचते हैं। भारत और रूस के बीच संबंध ‘विशेष’ हैं और यह रिश्ता कभी भुलाया नहीं जा सकता।”
यह बयान केवल प्रशंसा भर नहीं है। यह संदेश है—
- भारत-रूस संबंधों की मजबूती का।
- अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच भारत की स्वतंत्र नीति के समर्थन का।
- और पुतिन की दिसंबर में होने वाली नई दिल्ली यात्रा की पृष्ठभूमि में एक सकारात्मक संकेत का।
भारत-रूस संबंध : एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और रूस (सोवियत संघ) के रिश्तों की जड़ें गहरी हैं।

- 1971 : भारत-सोवियत मैत्री संधि पर हस्ताक्षर हुए।
- 1991 : सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रूस भारत का भरोसेमंद साझेदार बना रहा।
- 2000 : दोनों देशों ने विशेष और सामरिक साझेदारी (Special Strategic Partnership) की घोषणा की।
- रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में रूस लंबे समय से भारत का विश्वसनीय सहयोगी रहा है।
पुतिन ने अपने बयान में इन्हीं ऐतिहासिक रिश्तों को याद किया और कहा कि “लगभग 15 साल पहले हमने एक विशेष रणनीतिक साझेदारी की थी, जो अब भी कायम है।”
तेल और ऊर्जा : रिश्तों की नई धुरी
यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, तो भारत ने रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदा।
- इससे भारत की अर्थव्यवस्था को राहत मिली।
- रूस के लिए भी यह बड़ा बाज़ार साबित हुआ।
- आज भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया है।
पुतिन ने इसी संदर्भ में कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो उसे लगभग 9 से 10 अरब डॉलर का नुकसान होगा। यह चेतावनी भारत की आर्थिक विवशताओं और रणनीतिक समझदारी दोनों को रेखांकित करती है।
अमेरिकी दबाव और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता

अमेरिका और पश्चिमी देशों ने बार-बार भारत पर दबाव बनाया कि वह रूस से तेल और हथियार न खरीदे।
लेकिन पुतिन का कहना है—
“मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी किसी भी विदेशी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।”
यह बात भारत की रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) को मजबूती देती है।
भारत की विदेश नीति हमेशा से “India First” के सिद्धांत पर रही है। पीएम मोदी ने भी बार-बार कहा है कि भारत अपनी जनता के हित में फैसले लेगा।
दिसंबर 2025 की यात्रा : क्यों खास है?
रूसी राष्ट्रपति पुतिन इस साल दिसंबर में नई दिल्ली आने वाले हैं।
- इससे पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत आकर शिखर सम्मेलन की तैयारियाँ करेंगे।
- यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दुनिया कई संकटों से गुजर रही है—
- रूस-यूक्रेन युद्ध,
- अमेरिका-चीन तनाव,
- ऊर्जा सुरक्षा का सवाल,
- और वैश्विक दक्षिण (Global South) की भूमिका।
पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाई दे सकती है।
भारत-रूस द्विपक्षीय मुद्दे : चर्चा के मुख्य विषय
- ऊर्जा और तेल व्यापार : भारत रूस से दीर्घकालिक ऊर्जा अनुबंध चाहता है।
- रक्षा सहयोग : सुखोई-30, एस-400 और ब्रह्मोस जैसी परियोजनाएँ दोनों देशों को जोड़ती हैं।
- परमाणु ऊर्जा : कुडनकुलम परियोजना जैसे सहयोग को आगे बढ़ाना।
- वाणिज्य और निवेश : रूसी कंपनियाँ भारत में निवेश बढ़ाना चाहती हैं।
- भूराजनीति : अफगानिस्तान, एशिया-प्रशांत और ग्लोबल साउथ की भूमिका पर चर्चा।
पुतिन की प्रशंसा और मोदी की छवि
पुतिन द्वारा पीएम मोदी को “बुद्धिमान नेता” बताना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी की छवि को और मजबूत करता है।
- मोदी पहले ही G20 और SCO जैसे मंचों पर मजबूत नेतृत्व दिखा चुके हैं।
- रूस की यह टिप्पणी भारत की वर्ल्ड पॉलिटिक्स में बढ़ती ताकत को दर्शाती है।
विश्लेषण : भारत-रूस रिश्ता भविष्य में कैसा होगा?
- रूस भारत को सिर्फ एक साझेदार नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय दोस्त मानता है।
- भारत को रूस से ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और रणनीतिक समर्थन मिलता है।
- हालांकि चीन-रूस की नजदीकियाँ भारत के लिए चुनौती भी हैं, लेकिन भारत संतुलन बनाकर चल रहा है।
- पुतिन की यात्रा के बाद यह उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच व्यापार और रक्षा सहयोग नई ऊंचाई पर पहुँचेगा।
निष्कर्ष : साझेदारी का नया अध्याय
पुतिन की यह टिप्पणी और दिसंबर यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत-रूस संबंध सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं, बल्कि रणनीतिक और भावनात्मक दोनों हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता की तारीफ करके पुतिन ने यह साफ कर दिया कि भारत-रूस का रिश्ता बदलते हालातों में भी अटूट है। आने वाले समय में यह साझेदारी वैश्विक राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।