हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला, जो धार्मिक दृष्टि से विश्वभर में महत्वपूर्ण है, एक भयानक हादसे का शिकार हो गया। भगदड़ की घटना ने न केवल भक्तों को भयभीत किया, बल्कि पूरे देश में हड़कंप मचा दिया। इस घटना को लेकर संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ, विपक्षी दलों ने सरकार से जवाब मांगते हुए नारेबाजी की और सदन को पूरी तरह से गूंजा दिया। इस दुर्घटना ने जहां लाखों लोगों की आस्थाओं को आहत किया, वहीं प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर किया है।
महाकुंभ में भगदड़ की घटना:
प्रयागराज में इस बार महाकुंभ मेला ऐतिहासिक रूप से आयोजित किया जा रहा था, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए आए थे। लेकिन 1 फरवरी 2025 को आयोजित शाही स्नान के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग घायल हो गए और कुछ की जान तक चली गई। भगदड़ की वजह से मेला क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल था। इसे लेकर प्रशासन की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया कि आखिर क्यों ऐसी घटना घटी, जबकि इतनी बड़ी संख्या में लोग जुटने के बावजूद कोई ठोस सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए थे।

संसद में विपक्षी दलों का हंगामा:
महाकुंभ मेला एक राष्ट्रीय घटना है, और इसे लेकर संसद में हर कोई अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त करने के लिए खड़ा हो गया। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार को घेरते हुए नारेबाजी की और सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और प्रशासन ने इस घातक हादसे को रोकने के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाए थे।
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में जोरदार नारेबाजी की और “महाकुंभ भगदड़ पर जवाब दो” के नारे लगाए। उन्होंने कहा कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोग एक स्थान पर जुट रहे थे, तब प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि सुरक्षा इंतजामों को सख्त किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

सरकार का जवाब:
सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य मंत्री ने सदन में बयान दिया और कहा कि इस हादसे के बाद सरकार ने तत्काल राहत कार्य शुरू कर दिया था और सभी घायलों को अस्पताल भेजा गया। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई गई है, जो इस घटना की गहनता से जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गृह मंत्री ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि महाकुंभ मेला भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, और प्रशासन ने हर संभव प्रयास किया था, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने के कारण हादसा हो गया।
विपक्ष का आरोप और सरकार की नाकामी:
विपक्षी नेताओं का कहना था कि सरकार ने इस घटना की गंभीरता को समझने में विलंब किया और प्रशासनिक लापरवाही के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। विपक्षी दलों का कहना था कि महाकुंभ मेला जैसे धार्मिक आयोजन में सुरक्षा इंतजामों को नजरअंदाज किया गया। उनका आरोप था कि प्रशासन ने मेला क्षेत्र में पर्याप्त पुलिस बल तैनात नहीं किया था और लोग बिना किसी नियंत्रण के आपस में भिड़ गए, जिससे यह हादसा हुआ।
सुरक्षा इंतजामों की कमी:
महाकुंभ मेला की सुरक्षा व्यवस्था पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं, खासकर तब जब इतनी बड़ी संख्या में लोग एक ही स्थान पर आते हैं। एक तरफ प्रशासन की ओर से मेले में श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान करने के लिए कई इंतजाम किए गए थे, लेकिन दूसरी तरफ कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया। मेला क्षेत्र में पर्याप्त बैरिकेडिंग, सीसीटीवी निगरानी, मेडिकल कैंप्स और ट्रैफिक नियंत्रण व्यवस्था की कमी रही, जो इस तरह की घटना के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
मेला आयोजकों की जिम्मेदारी:
महाकुंभ मेले के आयोजकों की जिम्मेदारी भी इस मामले में स्पष्ट है। आयोजकों को इस तरह की घटनाओं को पहले से भांपकर उचित कदम उठाने चाहिए थे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। मेला क्षेत्र में हर एक छोटे से छोटे पहलू का ध्यान रखा जाना चाहिए था, ताकि इस तरह की भगदड़ से बचा जा सके।
राजनीतिक उथल-पुथल:
महाकुंभ भगदड़ के मामले ने न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर विपक्षी दलों ने हमला बोल दिया है। उनका कहना है कि यह सरकार धार्मिक आयोजनों में केवल वोट बैंक की राजनीति करती है, लेकिन वास्तविक सुरक्षा और व्यवस्थाओं की ओर ध्यान नहीं देती।
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निष्कर्ष:
महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयोजन है, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी को उजागर करती हैं। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि प्रशासन को धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीरता से सोचना होगा। भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जाने चाहिए। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या इस तरह के हादसों को भविष्य में टाला जा सकेगा।


