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VI के Q1 नतीजे – नुकसान घटा, ARPU ने दी राहत

भारत की तीसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea Ltd.) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) के नतीजे घोषित किए हैं। कंपनी का घाटा कुछ हद तक कम हुआ है, लेकिन रेवेन्यू में बढ़ोतरी लगभग नगण्य रही।

इन नतीजों के बाद निवेशकों और विश्लेषकों के बीच कंपनी की लंबी अवधि की रणनीति और भविष्य को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि वोडाफोन आइडिया के लिए यह तिमाही कैसी रही, किन चुनौतियों का सामना कंपनी कर रही है और भविष्य का रास्ता कैसा दिख रहा है।


तिमाही नतीजों की झलक (Q1 FY26 Highlights)


कंपनी का कहना क्या है?

कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा है कि घाटे में कमी आई है, लेकिन यह अब भी बहुत बड़ा है। वोडाफोन आइडिया का फोकस अब अपने नेटवर्क को मज़बूत करने, 4G सेवाओं का विस्तार करने और जल्द से जल्द 5G लॉन्च करने पर है।

कंपनी ने माना कि भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा बेहद कड़ी है और फिलहाल रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के मुकाबले कंपनी पीछे चल रही है।


शेयर बाज़ार में असर

नतीजों के ऐलान से पहले निवेशकों को उम्मीद थी कि घाटा और कम हो सकता है और रेवेन्यू में थोड़ी बेहतर ग्रोथ देखने को मिलेगी। लेकिन नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे।

विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी के शेयर में जोखिम बहुत ज़्यादा है। 21 में से केवल 4 विश्लेषकों ने “Buy” की रेटिंग दी है, जबकि 6 ने “Hold” और बाकी ने “Sell” की सलाह दी है।


वोडाफोन आइडिया की हालत क्यों बिगड़ी?

वोडाफोन आइडिया की मुश्किलें कोई नई नहीं हैं। 2018 में वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर का विलय हुआ था। उस समय कंपनी का उद्देश्य था कि मिलकर वे रिलायंस जियो और एयरटेल को टक्कर देंगे।

लेकिन हुआ इसके उलट—

  1. AGR बकाया: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंपनी पर Adjusted Gross Revenue (AGR) के रूप में हज़ारों करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का दबाव आया।
  2. नेटवर्क निवेश की कमी: जियो और एयरटेल ने आक्रामक तरीके से 4G और अब 5G में निवेश किया, लेकिन वोडाफोन आइडिया पीछे रह गई।
  3. ग्राहक आधार में गिरावट: करोड़ों ग्राहक जियो और एयरटेल की तरफ चले गए।
  4. निवेशकों की कमी: कंपनी को विदेशी निवेशक या स्ट्रैटेजिक पार्टनर नहीं मिल पाए।

कर्ज और नकदी की स्थिति

कंपनी का नेटवर्क कर्ज बहुत बड़ा है। हालांकि इस तिमाही में बैंक लोन ₹1,930 करोड़ और कैश-बैलेंस ₹6,830 करोड़ दिखाया गया है, लेकिन AGR और स्पेक्ट्रम पेमेंट्स मिलाकर कंपनी का कुल कर्ज कई गुना अधिक है।

इस वजह से कंपनी के पास निवेश करने और नेटवर्क विस्तार करने की क्षमता सीमित हो जाती है।


ग्राहकों के लिए इसका क्या मतलब?

  1. सेवा गुणवत्ता (Service Quality): कई यूज़र्स शिकायत करते हैं कि वोडाफोन आइडिया का नेटवर्क कमजोर है और कॉल ड्रॉप्स व इंटरनेट स्पीड की समस्या है।
  2. टैरिफ (Tariffs): कंपनी अगर घाटा कम करना चाहती है, तो आने वाले समय में टैरिफ बढ़ा सकती है।
  3. 5G लॉन्च: एयरटेल और जियो पहले ही 5G सेवाएं शुरू कर चुके हैं, जबकि वीआई अभी भी तैयारी कर रही है। इससे ग्राहकों का भरोसा और कमजोर हो सकता है।

सरकार और कंपनी की भूमिका

केंद्र सरकार पहले ही वोडाफोन आइडिया को राहत देने के लिए कई कदम उठा चुकी है। इसमें मोरटोरियम और कर्ज को इक्विटी में बदलना शामिल है।

फिर भी कंपनी की स्थिति सुधरने में वक्त लग रहा है। सरकार के लिए यह चिंता की बात है, क्योंकि अगर वोडाफोन आइडिया बंद होती है तो भारतीय टेलीकॉम सेक्टर “डुओपॉली” (सिर्फ दो कंपनियों का दबदबा) बन जाएगा।


विश्लेषकों की राय


भविष्य का रास्ता

  1. 5G लॉन्च: कंपनी को जल्द से जल्द 5G लॉन्च करना होगा।
  2. कैपिटल इन्फ्यूज़न: विदेशी निवेशक लाना बेहद ज़रूरी है।
  3. कस्टमर सर्विस में सुधार: नेटवर्क गुणवत्ता सुधारने से ग्राहक टिके रहेंगे।
  4. डिजिटल सेवाओं पर फोकस: सिर्फ कॉल और इंटरनेट से आगे बढ़कर कंपनी को फिनटेक और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में एंट्री करनी होगी।

निष्कर्ष

वोडाफोन आइडिया ने घाटा घटाकर कुछ राहत ज़रूर दी है, लेकिन यह राहत बहुत छोटी है। रेवेन्यू में ग्रोथ लगभग न के बराबर है और बाजार में भरोसा अब भी कमजोर है।

कंपनी को अगर लंबी अवधि तक टिकना है तो आक्रामक निवेश, तेज़ी से 5G रोलआउट और ग्राहक अनुभव में बड़े बदलाव करने होंगे।

अन्यथा, दूरसंचार सेक्टर में “जियो और एयरटेल” की ही बादशाहत रह जाएगी और वोडाफोन आइडिया सिर्फ एक संघर्षरत खिलाड़ी बनकर रह जाएगी।

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