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IDFC First में Warburg की वॉर एंट्री RBI ने कहा- ओके

भारत की बैंकिंग प्रणाली में विदेशी निवेश के प्रति बढ़ती रुचि के बीच, IDFC First Bank ने एक नई पूंजी संरचना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। अमेरिका की प्रख्यात निजी इक्विटी फर्म Warburg Pincus की इकाई Currant Sea Investments B.V. को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से बैंक की कुल चुकता पूंजी में 9.99% हिस्सेदारी खरीदने की स्वीकृति मिल गई है।

यह मंजूरी ऐसे समय में आई है जब कुछ ही दिन पहले बैंक के शेयरधारकों ने Currant Sea को बोर्ड में स्थायी सदस्य (non-retiring director) बनाए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

1. प्रस्तावना: IDFC First Bank में विदेशी निवेश का नया अध्याय

हाल ही में IDFC First Bank ने निवेश के एक बड़े प्रस्ताव को लेकर भारतीय शेयर बाजारों और नियामक मंडलियों के बीच भूचाल ला दिया है। अमेरिका की निजी इक्विटी फर्म Warburg Pincus की सहायक Currant Sea Investments B.V. को भारत के तीन प्रमुख संस्थागत निकायों – आरबीआई (RBI), सीसीआई (CCI) और बैंक के स्वयं के शेयरधारकों – से मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के चलते यह मामला सुर्खियों में है।


2. RBI की मंज़ूरी – 9.99% तक स्टेक का रास्ता खुला

19 जुलाई 2025 को IDFC First Bank ने अपने फ़ाइलिंग में कहा:

“Currant Sea Investments B.V. को RBI की मंज़ूरी मिल गई है, जो बैंक के भुगतान पूंजी के 9.99% तक निवेश की अनुमति देती है।” Retail Banker International+15NDTV Profit+15Moneycontrol+15

इससे स्पष्ट हो गया कि विदेशी इक्विटी निवेश की सम्भावनाएं — जो कि CCPS (Compulsorily Convertible Preference Shares) के माध्यम से बनेगी — अब आरबीआई की हरी बत्ती के बाद गति पकड़ सकती है।


3. सीसीआई की मंज़ूरी – प्रतिस्पर्धा की नजर में समाधान

सीसीआई ने 3 जून 2025 को Currant Sea Investments B.V. को 9.99% स्टेक हासिल करने के लिए बगैर किसी शर्तें लगाए अनुमति दे दी
इस निर्णय में कई वित्तीय और ऋण बाज़ारों—जैसे रिटेल, होम लोन, एमएसएमई फाइनेंस और लाइफ इंश्योरेंस वितरण—में प्रतिस्पर्धा संबंधी जोखिम न होने की बात को रेखांकित किया गया ।


4. CCPS जारी करने की योजना – ₹7,500 करोड़ का कैपिटल इनफ्यूजन

17 अप्रैल 2025 को IDFC First Bank बोर्ड ने प्रस्तावित किया था कि Currant Sea (₹4,876 करोड़) और ADIA की Platinum Invictus (₹2,624 करोड़) को कुल ₹7,500 करोड़ CCPS जारी किये जाएँ। यह CCPS ₹60 प्रति इकाई मूल्य पर जारी होकर यहाँ से सतत इक्विटी में बदल जाएंगे 

इन CCPS के पूर्ण रूप से कन्वर्ट होने से बैंक का CET‑1 कैपिटल बढ़कर 16.1% से 18.9% हो जाएगा, जिससे बैंक की पूंजी संरचना समीचीन एवं मजबूत बनेगी ।


5. शेयरधारकों का मोर्चा – बोर्ड सीट पर अस्वीकृति

17 अप्रैल के बाद बैंक ने एक विशेष प्रस्ताव (special resolution) के तहत ज़ोर देने की कोशिश की कि Currant Sea को एक “non-retiring non-executive director” (board में एक स्थायी प्रतिनिधि) भेजने का अधिकार मिले। इसके लिए आवश्यक 75% बहुमत नहीं जुट पाया, केवल 64.10% वोट्स समर्थन में आए। दुखद रूप से, संस्थागत निवेशकों ने 51.3% वोट्स से विरोध में योगदान दिया, जबकि खुदरा निवेशकों का समर्थन 98.67% था ।

5.1 संस्थागत निवेशकों की आपत्ति

‘Institutional Investor Advisory Services’ ने इस प्रस्ताव का कड़ों शब्दों में विरोध किया, क्योंकि उन्होंने मांग की थी कि बोर्ड सीट का अधिकार कम से कम 10% शेयरधारक स्थिति पर निर्भर होना चाहिए 
संस्थागत निवेशकों की ऐसी चिंता यह संकेत देती है कि कंपनियों में प्रशासनिक संतुलन और नियंत्रण को लेकर वे संवेदनशील हैं।

5.2 खुदरा निवेशकों की प्रतिक्रिया

वहीं खुदरा निवेशक इसके पक्ष में ज़ोरदार समर्थन दे रहे थे, ताकि बैंक को एक मजबूत पूंजी-आधार मिल सके। यह इस बात को दर्शाता है कि छोटे निवेशकों की प्राथमिकता पूंजी सुदृढ़ीकरण रही।


6. दो अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों की मंज़ूरी

बोर्ड सीट के असफल प्रयास के बावजूद, बैंक ने दो प्रमुख प्रस्तावों में सफलता पाई:

प्रस्तावसमर्थन प्रतिशत
₹7,500 करोड़ CCPS जारी करने का प्रस्ताव99.18% समर्थन
अधिकारित पूंजी (authorised share capital) पुनर्वर्गीकरण99.61% समर्थन 

इससे स्पष्ट है कि बैंक का पूंजीयोजन एवं संरचनात्मक सुधार को व्यापक सहमति प्राप्त है।


7. पुनर्निवेश का मकसद – बैंक की विकास आकांक्षाएं

बोर्ड की समीक्षा में MD & CEO वी. वैद्यनाथन ने उल्लेख किया कि पिछले वर्षों में बैंक ने अवसंरचना वित्तपोषण मॉडल से खुद को एक डिजिटल-संचालित खुदरा बैंक में तब्दील किया है।

Warburg Pincus और ADIA का ₹7,500 करोड़ का निवेश बैंक के इमरजिंग लॉन-बुक (₹2.31 ट्रिलियन) का 20% वार्षिक वृद्धि लक्ष्य साकार करने में सहायक होगा ।


8. Gouvernance और नियंत्रण का संतुलन

बोर्ड सीट अस्वीकृति यह संकेत देती है कि सार्वजनिक शेयरधारक—विशेष रूप से संस्थागत वर्ग—सेवाओं में नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं। उनकी चिंता यह थी कि बिना सीमा निर्धारण के बोर्ड सीट देने से स्वतंत्र संस्थागत निर्णय लेने में रुकावट आ सकती थी।

इस परिभ्रमण में उन्होंने यह कहा:

“हम board nomination rights का समर्थन नहीं करते, जब तक कि कम से कम 10% शेयरधारक स्थिति न हो।”


9. परिणाम: पूंजी सुरक्षित, नियंत्रण बहाल

इस पूरे घटनाक्रम का सार यह है कि:

  1. RBI और CCI ने 9.99% तक निवेश की मंज़ूरी दी—
    • RBI: अंतिम रूप से निवेश की अनुमति
    • CCI: प्रतिस्पर्धा दृष्टिकोण से सुरक्षित माना
  2. बोर्ड सीट की ख़ास अपील पर संस्थागत निवेशकों ने निर्मम विरोध किया—
    • विशेष प्रस्ताव 64.10% समर्थन पर ठंडा पड़ा 
  3. पूंजी जुटाने वाले अन्य प्रस्तावों को भारी समर्थ मिली – CCPS (99.18%) और पूँजी पुनर्वर्गीकरण (99.61%)

इससे यह स्पष्ट हुआ कि बैंक पूंजी संरचना सुदृढ़ करता रहेगा, लेकिन केंद्रीय नियंत्रण संरचना में अड़चन बनी हुई है।


10. आगे की राह: बैंक, निवेशक और नियामक दृष्टिकोण

संभावित आगामी प्रक्रिया:


11. निष्कर्ष

IDFC First Bank की यह पूंजी और शासन की पेचीदा लड़ाई समकालीन भारतीय बैंकिंग में विदेशी निवेश बनाम लोक नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटना है।

इससे स्पष्ट है कि निवेश की दिशा में मंज़ूरी मिली, लेकिन शासन का ढांचा अभी अस्थिर है। आगे का गणित इस पर निर्भर करेगा कि क्या Currant Sea एवं ADIA बोर्ड सीट पर नए सिरे से समर्थन हासिल कर सकते हैं, या बैंक शासन सुधार हेतुगुण संपन्न ढांचे की ओर बढ़ेगा।

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