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गणेश चतुर्थी 2025:पूजा कब करें? जानिए शुभ मुहूर्त, विधि

1. गणेश चतुर्थी 2025 की तारीख और समय — क्या भ्रम दूर हो?

गणेश चतुर्थी, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह वर्ष 2025 में 26 अगस्त (दोपहर 1:54 बजे) से शुरू होकर 27 अगस्त (दोपहर 3:44 बजे) तक चलेगी। चूंकि हिंदू धर्म में उदयात्मक तिथि की महत्वपूर्णता होती है, इसलिए मुख्य उत्सव 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा

कुछ स्रोतों के अनुसार यह तिथि 27 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से 27 अगस्त शाम तक रही, लेकिन सर्वमान्य माने जाने वाले पंचांग के अनुसार यही दिन गणेश चतुर्थी का सही दिन है


2. पूजा का शुभ मुहूर्त — कब हों आगमन और आराधना?

वैदिक परंपरा में माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्नकाल में हुआ था। इसलिए पूजा के लिए मध्यदिन का समय सबसे मंगलमय होता है।
इस वर्ष, 27 अगस्त को सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक का समय (लगभग 2 घंटे 35 मिनट) पूजा एवं स्थापना के लिए अत्यंत शुभ है

कुछ स्रोतों में समय थोड़ा-बहुत अलग बताया गया है, जैसे 11:06 से 1:40 तक, या 11:05 से 1:35 तक, लेकिन सभी का सन्दर्भ मध्याह्न काल में ही आता है


3. चंद्र दर्शन से बचें — क्यों और कब?

धार्मिक मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा की दृष्टि मिथ्या दोष उत्पन्न कर सकती है, जिससे व्यक्ति पर झूठा दोष लगने की संभावना होती है। इसलिए चंद्र दर्शन से बचना चाहिए।
26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से रात 8:29 बजे तक तथा 27 अगस्त सुबह 9:28 बजे से रात 8:57 बजे तक चंद्र दर्शन से बचने की सलाह दी जाती है


4. पूजा विधि — चरणबद्ध मार्गदर्शन

पूर्व तैयारी:

स्थापना:

पूजा (षोडशोपचार):

आरती और कथा:


5. विसर्जन — कब और कैसे?

गणेश उत्सव लगभग 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर 2025) को विसर्जन होता है। इस दिन मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर जीवन चक्र का प्रतीक स्थापित किया जाता है

विसर्जन के शुभ समय:


6. महत्व और सांस्कृतिक अर्थ

गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उर्जा का प्रतीक है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है — हर शुभ तत्व की शुरुआत उनकी पूजा से होती है।
यह त्योहार महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र, और उत्तर भारत में विशेष जोर-शोर से मनाया जाता है, जहाँ सार्वजनिक पंडाल, भजन कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है


7. पर्यावरण-हितैषी गणेश उत्सव

हाल के वर्षों में, पारंपरिक प्लास्टर–ऑफ–पेरिस (PoP) मूर्तियों से जल प्रदूषण बढ़ा है। इसलिए अब इको-फ्रेंडली मूर्तियाँ (मिट्टी, प्राकृतिक रंग) का उपयोग बढ़ रहा है।
इससे जल-जंतु और पर्यावरण की रक्षा भी होती है।
समाज में जागरूकता फैल रही है कि पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिकता में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ।


8. जनजीवन व उत्सव की रंगत

शहरों में गणेश मंदिरों और पंडालों में “लालबागचा राजा” जैसे प्रसिद्ध प्रतিমाएं सजती हैं, जिन्हें लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन को आते हैं।

घर-घर दीप, रंगोली, भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण और “गणपति बप्पा मोरया!” के जयघोष से माहौल भक्तिमय और उत्साही हो जाता है।


निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी 2025 का यह लेख आपको बताएगा कि:

इस शुभ अवसर पर आप अपनी पूजा को और भी सार्थक, सुगठित और जागरूक बना सकते हैं।

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