Site icon Desh say Deshi

WHO बोला – दवा सिस्टम में ‘रेगुलेटरी गैप’

भारत में जहरीली सिपों की त्रासदी: बच्चों की मौतों पर WHO ने जताई गहरी चिंता, CDSCO को दिया समर्थन

📌 पृष्ठभूमि — क्या हुआ?


🌐 WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की भूमिका और प्रतिक्रिया


🧪 डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) एवं एथाइलीन ग्लाइकोल (EG) — शत्रु छिपा दुष्कर्म


🔍 निहित चुनौतियाँ और लीक हो रही कमियाँ

  1. नियमित जांच का अभाव
    भारत में दवाओं के प्रमुख घटकों (excipients) जैसे ग्लिसरीन या प्रोपलेन ग्लाइकोल पर DEG/EG जांच अनिवार्य नहीं थी, जिससे यह एक बड़े नियामक छेद बन गया। WHO ने इस नियामक अंतराल को चिंताजनक बताया है।
  2. आपूर्ति श्रृंखला की अस्पष्टता
    कई बार घटक आपूर्तिकर्ता द्वारा दिए गए COA (Certificate of Analysis) पर भरोसा कर लिया जाता है, लेकिन वास्तविक स्वच्छता परीक्षण नहीं होते।
  3. ग़ैर नियन्त्रित / अनियंत्रित चैनल
    दोषपूर्ण दवाएं अनियंत्रित विक्रेताओं, ग़ैर मान्यता प्राप्त फार्मेसियों या ऑनलाइन अवैध व्यापार मार्गों से अन्य राज्यों या देशों तक पहुंच सकती हैं। WHO ने इस संभावना को चेतावनी दी है।
  4. दुर्भाग्यपूर्ण रिकॉर्ड और पारदर्शिता की कमी
    घटना से जुड़े जावकायनत्रण, वितरण विवरण, निर्माण प्रक्रिया और दोष पहचान में पारदर्शिता का अभाव है, जिससे दोषियों की पहचान और उन्हें जवाबदेह ठहराना मुश्किल हो रहा है।

🏛️ भारत की प्रतिक्रिया: CDSCO और अन्य कदम


🌱 आगे की राह: सुधार और पुनर्स्थापन

✅ सुझाव और अनुशंसाएँ

  1. DEG / EG जांच को अनिवार्य करें
    हर दवा निर्माण प्रक्रिया में इन रसायनों की पहचान की जानी चाहिए।
    U.S. FDA ने इसी तरह की गाइडलाइंस जारी की हैं — दवा घटकों में DEG/EG पूरी तरह से स्क्रीनेबल हो।
  2. सप्लायर योग्यता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करें
    घटक आपूर्तिकर्ताओं की गुणवत्ता, COA सत्यापन, और ट्रेसबिलिटी (chain of custody) सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  3. परीक्षण लैबरटोरी नेटवर्क सुदृढ़ करें
    राज्य और केंद्र स्तर पर आधुनिक परीक्षण सुविधाएँ हों, ताकि संदिग्ध सैंपलों की त्वरित जाँच हो सके।
  4. पारदर्शिता और दोषी जवाबदेही
    निर्माण प्रक्रिया, आपूर्तिकर्ताओं, वितरण चेन — सभी का लेखा-जोखा सार्वजनिक होना चाहिए। दोष पाए जाने पर आपराधिक मामला दर्ज हो।
  5. नियमित अंडर कर्ब निगरानी (Post-market surveillance)
    बाजार से सैंपल लेना, याददाश्त दर को कम करना, और उपयोगकर्ता शिकायतों को गंभीरता से लेना आवश्यक है।
  6. जनसंपर्क और चेतना अभियान
    माता-पिता और चिकित्सा समुदाय को जागरूक करना — कि सिर्फ नुस्खे के बिना दवाएं नहीं लेनी चाहिए। डॉक्टर निर्देशों का पालन करना चाहिए।
  7. अंतरराष्ट्रीय तालमेल और सूचना साझेदारी
    WHO, अन्य देशों और ड्रग नियंत्रण एजेंसियों के साथ साझा डेटा, चेतावनियाँ और जांच सहायता होनी चाहिए। WHO ने कहा है कि वह भारतीय अधिकारियों को इस जांच में समर्थन देने के लिए तैयार है।

🏁 निष्कर्ष

यह दर्दनाक त्रासदी हमें यह याद दिलाती है कि दवा सिर्फ नाम नहीं, जीवन है। मानवीय सुरक्षा से खेलना अतिशय खतरनाक है।

WHO की चेतावनी — “नियामक अंतराल” — इस घटना को वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा मानदंडों की दृष्टि से भी गंभीर बनाती है।
भारत को इस घटना से मजबूत शिक्षा लेने की जरूरत है — न केवल दोषियों को पकड़ने की, बल्कि भविष्य में इसे रोकने की व्यवस्था बनाने की।

यह भी पढ़ें– दिवाली क्लीनिंग मंत्र: दूर करें दरिद्रता

एक माँ, एक बच्चा, एक परिवार की आँखों में चमक लाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
और अगर हम दवाओं के निर्माण, निरीक्षण और वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी लाएँ, तो डॉक्टर की दवाइयाँ हमें बचाने के बजाय मारने का ज़रिया नहीं बनेंगी।

Exit mobile version