दशकों की मेहनत और पोलियो उन्मूलन की दिशा में बड़े कदम उठाने के बाद, यूरोप के कुछ हिस्सों से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यूरोपीय वेस्टवाटर (गंदे पानी) के नमूनों में पोलियोवायरस की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। यह खोज स्वास्थ्य विशेषज्ञों और संगठनों को सतर्क कर रही है, क्योंकि पोलियो जैसी बीमारी को दुनिया के कई हिस्सों से समाप्त मान लिया गया था।
पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी, जिसे दुनिया भर में काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया था, अब एक बार फिर से चिंता का कारण बनती दिख रही है। हाल ही में यूरोप के वेस्टवाटर (नाली के पानी) में पोलियोवायरस के निशान पाए गए हैं। यह घटना स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है।
क्या है पोलियोवायरस का मामला?
यूरोपीय देशों में किए गए वेस्टवाटर की नियमित जांच के दौरान पोलियोवायरस के जेनेटिक निशान पाए गए हैं। हालांकि, अभी तक किसी इंसान में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह खोज संभावित खतरे की ओर इशारा करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वेस्टवाटर में वायरस की मौजूदगी का मतलब यह हो सकता है कि यह वायरस अब भी कुछ क्षेत्रों में सक्रिय है।
कैसे काम करता है पोलियोवायरस?
पोलियोवायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है, जो फेकल-ओरल ट्रांसमिशन के जरिए फैलता है। यह वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला करता है, जिससे पक्षाघात (पैरालिसिस) हो सकता है।
मुख्य लक्षण:
- तेज बुखार
- मांसपेशियों में कमजोरी
- सिरदर्द और गर्दन में अकड़न
- गंभीर मामलों में स्थायी विकलांगता
क्या है वैज्ञानिकों की चिंता?
- टीकाकरण का अभाव:
- यूरोप और अन्य विकसित देशों में, पोलियो का टीकाकरण लगभग 90% से अधिक आबादी को दिया गया है। लेकिन कुछ समुदाय अब भी टीके से वंचित हैं, जिससे वायरस को पनपने का मौका मिल सकता है।
- वैश्विक यात्रा और संपर्क:
- अंतरराष्ट्रीय यात्रा और प्रवासन के कारण वायरस का फैलाव अन्य देशों में भी हो सकता है।
- म्यूटेशन का खतरा:
- वेस्टवाटर में पाया गया वायरस, टीके से उत्पन्न पोलियोवायरस (Vaccine-Derived Poliovirus) हो सकता है, जो समय के साथ म्यूटेट होकर खतरनाक रूप ले सकता है।
पोलियोवायरस की खोज कैसे हुई?
यूरोप के कुछ बड़े शहरों के वेस्टवाटर परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने पोलियोवायरस के जेनेटिक मटेरियल के संकेत पाए।
- लंदन, पेरिस और एम्स्टर्डम जैसे शहरों में वेस्टवाटर निगरानी कार्यक्रम के तहत यह परीक्षण किए गए।
- इन नमूनों में जो वायरस मिला है, वह मुख्य रूप से वैक्सीन-डेरिव्ड पोलियोवायरस (VDPV) है। यह वायरस उन जगहों पर पाया जा सकता है, जहां लोग ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) लेते हैं, लेकिन यह कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के बीच फैल सकता है।
क्या है वैक्सीन-डेरिव्ड पोलियोवायरस?
वैक्सीन-डेरिव्ड पोलियोवायरस (VDPV) एक दुर्लभ स्थिति है, जब पोलियो के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला ओरल वैक्सीन (OPV) वातावरण में लंबे समय तक रहने के कारण म्यूटेट होकर संक्रामक हो सकता है।
- यह वायरस कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों में फैल सकता है।
- हालांकि यह प्राकृतिक पोलियोवायरस की तुलना में कमजोर होता है, लेकिन यदि समय पर इसे रोका न जाए तो यह भी गंभीर प्रकोप का कारण बन सकता है।
यूरोप के लिए खतरा या चेतावनी?
यूरोप में पोलियोवायरस के इन संकेतों ने स्वास्थ्य एजेंसियों को अलर्ट पर डाल दिया है।
- पोलियो उन्मूलन के प्रयासों पर असर:
- यूरोप 2002 में पोलियो मुक्त घोषित हुआ था, लेकिन अब यह घटना चिंता का विषय बन गई है।
- वैक्सीन कवरेज की जरूरत:
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय वैक्सीन कवरेज को बढ़ाने और टीकाकरण अभियान को दोबारा तेज करने का है।
- इम्यूनिटी पर जोर:
- कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
क्या भारत पर इसका असर होगा?
भारत, जो 2014 में पोलियो मुक्त घोषित हो चुका है, इस घटना पर पैनी नजर रखे हुए है।
- टीकाकरण अभियान: भारत में हर साल पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है, जिसमें 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो वैक्सीन दी जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय यात्रा: भारत से विदेशों की यात्रा करने वालों और विदेश से भारत आने वालों पर भी निगरानी बढ़ाई जा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का बयान
WHO ने यूरोप में वेस्टवाटर में पोलियोवायरस के संकेतों को गंभीरता से लिया है और सभी देशों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
- जल्द पहचान: वायरस के फैलाव को रोकने के लिए निगरानी को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।
- वैक्सीन अभियान: WHO ने यह भी कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों में ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) और इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (IPV) दोनों का उपयोग करना जरूरी है।
पोलियो से बचाव के लिए सावधानियां
- सफाई और स्वच्छता:
- पीने के पानी और भोजन की स्वच्छता सुनिश्चित करें।
- वैक्सीन लें:
- बच्चों को पोलियो की सभी खुराक दिलवाना सुनिश्चित करें।
- अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर ध्यान:
- विदेश यात्रा करते समय पोलियो टीकाकरण का प्रमाणपत्र साथ रखें।
निष्कर्ष
यूरोप में वेस्टवाटर में पोलियोवायरस का मिलना एक चेतावनी है कि हमें अपने टीकाकरण और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत बनाए रखना होगा। भारत जैसे देश, जो बड़ी जनसंख्या के साथ पोलियो मुक्त घोषित हो चुके हैं, को सतर्क रहने की जरूरत है। क्या हम पोलियो की वापसी रोक पाएंगे? यह पूरी तरह से हमारी सतर्कता और प्रयासों पर निर्भर है।
आपकी राय क्या है? क्या हमें इस खतरे को और गंभीरता से लेना चाहिए? कमेंट में बताएं