उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तुरंत प्रभाव से स्वीकार किया

🇮🇳 इस्तीफा स्वीकार: क्या हुआ आधिकारिक तौर पर?
- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार (21 जुलाई 2025) शाम अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अगले दिन, मंगलवार 22 जुलाई को तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया
- इस्तीफे के पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा: “To prioritise health care and abide by medical advice, I hereby resign as the Vice President of India, effective immediately, in accordance with Article 67(a) of the Constitution.”
- राष्ट्रपति कार्यालय ने इसे अनुच्छेद 67(a) के तहत मान्य बताया, जो कोई उपराष्ट्रपति लिखित रूप से इस्तीफा देने पर लागू होता है
🩺 पीएम मोदी का संदेश: स्वास्थ्य की चिंता साथ योगदान की सराहना
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: “श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित अनेक भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।”
- मोदी ने धनखड़ के लंबे सार्वजनिक जीवन, संवैधानिक भूमिका और संसद में योगदान की सराहना की
🏛️ राज्यसभा में आधिकारिक घोषणा
- गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आधिकारिक अधिसूचना राज्यसभा में पढ़कर सदन को अवगत कराया गया।
- सभापति घनश्याम तिवारी ने मर्यादित रूप से जानकारी दी कि इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत तुरंत प्रभाव से लागू हो चुका है
⚖️ Article 67(a): एक संवैधानिक विवरण
- इस अनुच्छेद के तहत उपराष्ट्रपति लिखित इस्तीफा देकर तुरंत पदस्वी हो सकते हैं
- इससे पहले तीन उपराष्ट्रपतियों ने अपने कार्यकाल से पहले इस्तीफा दिया—धनखड़ चौथे ऐसे पदाधिकारी हैं
🩺 स्वास्थ्य इतिहास: क्या थे संकेत?
- मार्च 2025 में दिल की समस्या के चलते AIIMS में CCU में भर्ती हुए थे; पीएम मोदी ने भी उनसे मिलने पहुंचे थे
- जून में उत्तराखंड में एक सार्वजनिक सभा के दौरान बेहोश होने की घटना हुई, जिससे स्वास्थ्य पर आशंकाएँ गहराईं
- इस्तीफे में उन्होंने कोई विवरण साझा नहीं किया, पर उनके लिखित नोट में “health care और medical advice” प्रमुख हवाले थे
📜 विदाई पत्र: भावनाओं का बयान
- उनके इस्तीफे के पत्र में इन बातों का उल्लेख था:
- राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ “soothing wonderful working relationship” की सराहना
- सांसदों, मंत्रिपरिषद और सांसदों की “warmth, trust and affection” के लिए आभार
- “इंडिया की remarkable economic growth and unprecedented exponential development” के दौरान देश को सेवा देने का सौभाग्य बताया
🗨️ राजनीतिक प्रतिक्रिया: सवाल भी, समर्थन भी
- कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस्तीफा “More than meets the eye?” यानी कहीं कुछ और घटित तो नहीं?
- वहीं BJP के जे.पी. नड्डा ने इसे महज स्वास्थ्य कारणों पर आधारित बताया और किसी संदेह से इंकार किया
🔜 संवैधानिक प्रक्रिया: आगे क्या होता है?
- इमीडिएट रिक्त पद: उपराष्ट्रपति का पद खाली; राज्यसभा के कार्यवाहक मध्यस्थ संभालेंगे
- Election Commission जल्दी ही चुनाव की तिथि घोषित करेगा — सूत्रों के अनुसार 4–6 सप्ताह के भीतर चुनाव संभावित है
- प्रक्रिया में शामिल हैं:
- नामांकन, ₹15,000 डिपॉजिट, और 20 सांसद समर्थक का समर्थन
- वोटिंग—लोकसभा + राज्यसभा सभी सांसद — Single transferable vote सिस्टम से
🤔 मध्यावधि इस्तीफा: स्वास्थ्य या राजनीति?
- स्वास्थ्य वजहें स्पष्ट—AIIMS में भर्ती, fainting, और डॉक्टर सलाह
- राजनीतिक संदेह भी रहे—विशेषकर विपक्ष से सवाल उठे कि कहीं इसमें अंतःक्रिया या परिस्थिति की भूमिका तो नहीं?
- इस्तीफा मानसून संसद सत्र के पहले दिन आया, जिसे कुछ ने स्टेज मैनेज बताकर असमय कहा
🧭 क्या बदलता है संसद के कामकाज में?
- राज्यसभा की कार्यवाही: एक कार्यवाहक अध्यक्ष पकड़ी गई जिम्मेदारी संभालेंगे—कार्यक्रम प्रभावित नहीं होगा
- उपाध्यक्ष चुनाव: NDA और UPA दल अब समानता बनाने को चुने जाएंगे, नए चेहरे सामने आएंगे
🔍 अगला उपराष्ट्रपति: संभावनाओं का क्रम
- योग्यता: आयु 35+, नागरिकता भारतीय, राज्यसभा के लिए चयन योग्य
- NDA और UPA की सियासी रणनीति—कई नाम उभर सकते हैं जैसे कि राज्यसभा में अनुभवी सांसद, अनुभवी राजनीतिक चेहरे या संतुलित चुनाव उम्मीदवार।
- चुनाव आयोग जल्द नोटिस जारी करेगा, और फिर सियासी दलों में दलगत राय तेज़ होगी
✅ लेख का सारांश और निष्कर्ष
- भावनात्मक विदाई: धनखड़ ने संवेदनशील और मर्यादित इस्तीफा दिया।
- संवैधानिक प्रक्रिया: अनुच्छेद 67(a) की सहायता से पद रिक्त हो गया और संविधान का पालन हुआ।
- राजनीतिक संतुलन: पीएम मोदी, राष्ट्रपति, और सांसदों ने सराहना की; विपक्षीय सवालों के बीच जवाब मिला।
- भविष्य: मानवीय कारणों को प्राथमिकता देकर संवैधानिक प्रक्रिया पूरी—अगला चुनाव आनन-फानन में होगा।
- देश में संदेश: स्वास्थ्य और सरकार व्यवस्था के बीच समंजन बेमिसाल; एक लोकतांत्रिक आदर्श स्थापित।
🗨️ आपकी राय:
– क्या आप मानते हैं कि किसी संवैधानिक पदाधिकारी के स्वास्थ्य कारण इस्तीफा देना उचित है?
– नए उम्मीदवार चुनते समय किन गुणों — अनुभव, पारदर्शिता, नेताओं का संतुलन — को महत्व दिया जाना चाहिए?
– संसद के मानसून सत्र में क्या इसकी वजह से रोक-टोक उत्पन्न होगी?
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