भुवनेश्वर स्थित AIIMS‑ଭୁବନେଶ୍ୱର (एम्स) में एक घोर आरोप सामने आया है, जिसमें स्नातः जारी महिला कर्मचारी ने अस्पताल के नर्सिंग अधिकारी नानू राम चौधरी पर यौन उत्पीड़न और शील भंग की कोशिश का गंभीर आरोप लगाया है। आरोपित की गिरफ्तारी के बाद अस्पताल परिसर में अफरा‑तफरी मची है और कर्मचारी पूरे मामले में सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
⚖️ अभियोग, शिकायत और गिरफ्तारी का क्रम

🔍 शिकायत की शुरुआत
- पीड़िता (अन्य एजेंसी से नियुक्त महिला कर्मचारी) ने करीब रविवार मध्यरात्रि लगभग 1 बजे आरोप लगाया कि चौधरी ने उसे डॉक्टर के चैंबर में बुलाकर उससे अनुचित व्यवहार किया और शारीरिक रूप से छुआ। उन्होंने तुरंत वहां से भागकर नियंत्रण कक्ष को सूचित किया
- इसके बाद खांडागिरी पुलिस थाने में FIR दर्ज की गई जिसमें Sections 74, 75, और 79 (भारतीय न्याय संहिता) के तहत धाराएं शामिल हैं
👥 निगरानी समिति और प्रदर्शन
- FIR हो जाने पर एम्स में कार्यरत अन्य आउटसोर्सिंग कर्मचारियों (लगभग 3,000) ने मुख्य द्वार के बाहर धरना दिया, निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की और कहा कि अस्पताल में महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं कर सकतीं
- पुलिस ने धरना देखकर आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया, जिससे कर्मचारियों ने प्रदर्शन रोका
👮 गिरफ्तारी की प्रक्रिया
- खांडागिरी पुलिस ने आरोपी को रात में किसी मित्र के घर से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद प्रदर्शन शांत हुआ और अस्पताल सेवा बहाल कर दी गई
🧷 एम्स की आंतरिक कार्रवाई: ICC की जाँच
एम्स प्रशासन ने मामले की आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee – ICC) को सौंपकर ज़मीन पर मामले की जांच प्रारंभ कर दी है। समिति जल्द निष्कर्ष देकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति करेगी
#AIIMSBhubaneswar #भुवनेश्वर_समाचार

📋 पूरी घटना का विस्तृत वर्णन
- समय: रविवार रात लगभग 12:30–1 बजे
- स्थिति: पीड़िता रात की ड्यूटी पर ऑर्थोपेडिक्स विभाग में कार्यरत थी।
- घटनास्थल: एक डॉक्टर के खाली चैंबर में, जहाँ आरोपी ने दरवाज़ा बंद कर अधिनायकत्वपूर्ण व्यवहार किया
- प्रतिक्रिया: महिला भागकर नियंत्रण कक्ष गई और सहायता की गुहार लगाई।
- प्रदर्शन: आउटसोर्सिंग एजेंसियों के कर्मचारियों ने अस्पताल के मुख्य गेट पर धरना दिया और कार्य बहिष्कार किया।
- गिरफ्तारी: आरोपी को मित्र के घर से गिरफ्तार कर पुलिस ने कार्रवाई की।
🔍 समाज और मीडिया में प्रतिक्रिया
- स्थानीय पत्रकारों से पीड़िता का कहना था: “हमें न्याय चाहिए और नर्सिंग अधिकारी को गिरफ्तार होना चाहिए। अस्पताल में हम सुरक्षित नहीं हैं।”
- कर्मचारी संघ के बयान:
कर्मचारियों का आरोप था कि अस्पताल प्रबंधन ने मामले को दबाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “अगर संस्थान सुनवाई नहीं करेगा, तो कौन करेगा महिला की रक्षा?”
⚖️ कानूनी पहलू और FIR की धाराएँ
पुलिस ने घटना के आधार पर निम्नलिखित धाराओं में केस दर्ज किया है:
- धारा 74: शील भंग करना (outrage modesty)
- धारा 75: यौन उत्पीड़न (sexual harassment)
- धारा 79: किसी महिला की गरिमा को अपमानित करने का प्रयास (insulting modesty)
— सभी भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएँ हैं, जिनके अंतर्गत आरोपी को गिरफ्तार किया गया
🔒 महिला सुरक्षा पर गंभीर चेतावनी
यह घटना उस समय में सामने आई है जब:
- ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अन्य गंभीर मामले जैसे बलासोर कॉलेज छात्रा आत्मदाह और अन्य उत्पीड़नों की घटनाएँ पहले ही सुर्खियों में चल रही थीं
- बड़ासोर में एक कॉलेज छात्रा ने यौन उत्पीड़न की शिकायत के खिलाफ प्रचारात्मक आत्मआग प्ररंपरा अपनाई, जिससे व्यापक सार्वजनिक आक्रोश फैला। वह AIIMS‑ભુବନେଶ୍ୱର में 95% जलने की चोट के बाद त्रासदीपूर्ण रूप से मृत हो गई थी
यह सभी घटनाएं दर्शाती हैं कि महिलाओं की सुरक्षा और शिकायतों का त्वरित निवारण कितना महत्वपूर्ण है।
📊 विश्लेषण: संगठनात्मक नीतियों की कमी और सुधार की राह
🧠 आंतरिक शिकायत एवं सही प्रतिक्रिया
- ICC की महत्वपूर्ण भूमिका: लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों पर संस्थागत जांच समिति (ICC) सक्रिय और प्रभावी होनी चाहिए।
- प्रबंधन हस्तक्षेप: घटना के समय एम्स प्रशासन द्वारा तेजी से कार्रवाई न करना कर्मचारी असंतोष का कारण बना।
🛡️ महिला सुरक्षा की प्रणाली
- अस्पतालों में 24×7 निगरानी और CCTV, हेल्पडेस्क, और इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम्स का होना जरूरी।
- आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए विशेष शिकायत निवारण चैनल होना चाहिए ताकि वे डर या दबाव के बिना शिकायत दर्ज कर सकें।
🚨 कानूनी क्रियान्वयन और उदाहरणात्मक उपचार
- त्वरित FIR और गिरफ्तारी ने प्रबंधन और पुलिस की तत्परता दर्शाई।
- लेकिन अगर आरोपी भाग जाता, तो सिस्टम की क्षमता पर सवाल खड़ा होता।
- सरकारी स्तर पर महिला सुरक्षा पर नियमित प्रशिक्षण और नीतियाँ लागू होनी चाहिए।
📝 निष्कर्ष: एक चेतावनी और सबक
AIIMS‑ଭୁବନେଶ୍ୱର में यह घटना केवल एक व्यक्तिगत यौन उत्पीड़न का मामला नहीं है बल्कि महिला सुरक्षा में सिस्टमिक नाकामी और संस्थागत असहमति का प्रतीक है। हालांकि आरोपी गिरफ्ताफ्त किया गया है, लेकिन यह सवाल अभी भी कायम है कि:
- क्या कर्मचारियों को संस्थान सुरक्षित महसूस कराता है?
- क्या शिकायत दर्ज करने वाले कर्मचारियों को सही समर्थन मिला?
- और क्या भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिये ठोस नीतियाँ अपनाई जाएँगी?
हर संस्था पर यह जिम्मेदारी है कि वह महिला‑कर्मियों को सुरक्षित, सम्मानित और समर्थ महसूस कराए। वर्तमान मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं है—लेकिन व्यवस्था और विश्वास को पुनर्जीवित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
📰 संक्षिप्त सारांश (बुलेट पॉइंट्स में):
- AIIMS‑भुवनेश्वर में महिला कर्मचारी ने नर्सिंग अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।
- FIR कांड खांडागिरी पुलिस में दर्ज हुई, आरोपी गिरफ्तार।
- आउटसोर्सिंग स्टाफ ने अस्पताल के सामने धरना देकर कार्रवाई की मांग की।
- ICC जांच में लगी, मामले को कानूनी धाराओं के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है।
- ओडिशा में बढ़ते महिला अपराध की घटनाओं के बीच, यह मामला एक सिस्टमिक अलार्म है।
यह भी पढ़ें- Lenskart IPO में होगी बड़ी हिस्सेदारी की सेल