Sunday, August 3, 2025
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मणिपुर: 2 साल, 730 दिन, पर न्याय की खोज अधूरी

2 जुलाई 2023 की भोर में मणिपुर के चुराचंदपुर जिले के कुकि‑जो‑बहुल लैन्गज़ा गांव में हुई उस क्रूर घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। ३० से ३१ वर्ष के डीवीपी (ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवक) डेविड थिक (David Thiek) को कथित रूप से Arambai Tenggol/Meitei Leepun के लोगों ने पकड़कर अत्यधिक यातना दी—उनकी दाहिनी आंख निकाली, दोनों हाथ काटे, फिर गला रेत कर सिर अलग किया और बाँस की बाड़ पर लटका दिया। इस अत्याचार की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, लेकिन अगस्त 2025 तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, कोई प्रगति नहीं देखने को मिली।


1. भयावह घटना: मानवता पर पूर्ण आक्रमण

The Mooknayak की रिपोर्ट में कहा गया कि घटना लगभग सुबह 4 बजे हुई थी। एक प्रत्यक्षदर्शी लालमून पोई ने बताया कि उसने देखा कि डेविड को पकड़ा गया, उनसे पूछा गया कि क्या वह Hmar से हैं; जब उन्होंने हां कहा, तो उन पर थप्पड़ मारे गए और फिर क्रूरतापूर्वक मारा गया। उस समय लालमून भागकर बच गए और अभियान का विवरण बाद में मीडिया और समुदाय तक पहुँचा दिया गया ।

The Hindu ने भी एक वीडियो शेयर किया जिसमें डेविड को बेरहमी से थप्पड़ मारते हुए दिखाया गया, जब उनसे बार-बार उनका जातीय पहचान पूछा जा रहा था—उस वीडियो की पुलिस जांच चल रही है, पर फिर तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई ।


2. एफआईआर, जाँच की दिशा और सरकारी उदासीनता

डेविड के अंकल बुओन्खॉवलियेन् ने घटना के साथ ही चुराचंदपुर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई जिसमें हत्या और अवैध हथियारों का आरोप था। परन्तु, इस केस को बिष्णुपुर‑कुम्बी पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित कर दिया गया—जो मेटेई-बहुल क्षेत्र में आता है। चुराचंदपुर पुलिस अधीक्षक ने स्वीकार किया कि प्रारंभिक जाँच के बाद “कोई आगे की कार्रवाई नहीं हुई” और कुम्बी पुलिस की ओर से भी कोई जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है ।


3. संदिग्ध का नाम और जांच में पक्षपात

सोशल मीडिया और स्थानीय tribal संगठनों ने आरोप लगाया कि वायरल वीडियो में सिर पकड़े हुए व्यक्ति BJP विधायक श्री S. Premchandra Singh के PRO, Mairembam Romesh Mangang माना जा रहा है। वही व्यक्ति वीडियो में दिखता है—but पुलिस ने न तो उसे पूछताछ के लिए बुलाया, न गिरफ्तारी की कोई आधिकारिक सूचना दी ।


4. सुप्रीम कोर्ट में याचिका और प्रशासनिक निन्दा

Manipur Tribal Forum Delhi ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी, जिसमें उल्लेख किया गया कि आरोपी PRO वीडियो में सिर उठाकर घूमता दिखाई देता है, पर उस पर कार्रवाई नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें “संविधानिक पतन / constitutional breakdown” जैसी भाषा उपयोग की और कुकि‑जो समुदाय के प्रति चयनात्मक निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए ।


5. समुदाय का विरोध और प्रतीकात्मक प्रदर्शन

5 जुलाई 2023 को लगभग 2,000 ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवकों ने लमका (Lamka) में एक बड़ी रैली निकाली। रैली Tipaimukh Road, IB Road से शुरू होकर Wall of Remembrance (Tuibong) पर समापन हुई। प्रदर्शनकारियों ने काले व ब्राउन वर्दी पहनकर नारों की झड़ी लगाई, जैसे:

  • “Enough with Meitei mob rule”
  • “We will not sacrifice even an inch of our land”
  • “Ban anti‑India Meira Paibis”
    और मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेतृत्व की प्रतिकात्मक पुतला जलाने की कार्रवाई भी की गई

6. राजनीतिक हस्तक्षेप: विधायक मांगें, सरकार खामोश

10 Kuki-Zomi विधायक, जिनमें से 7 भाजपा से थे, ने इस हत्या के प्रभाव के तहत CBI/NIA जांच की मांग की। उन्होंने केन्द्र सरकार से हस्तक्षेप की अपील की, लेकिन राज्य सरकार ने इसे ठुकरा दिया ।


7. चयनात्मक न्याय—जातीय भेदभाव की त्रासदी

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि अन्य घिनौने मामलों जैसे Jiribam हिंसा, Meitei महिलाओं के साथ यौन हिंसा, आदि में पुलिस ने तेज कार्रवाई की—लेकिन डेविड की हत्या जैसी स्पष्ट घटना में कार्रवाई क्यों नहीं हुई? Reddit उपयोगकर्ताओं ने लिखा:

“75 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा…”
“बहुत से कुकि‑जो लोगों को मार्च तक गिरफ्तार नहीं किया गया…”
इससे स्पष्ट होता है कि न्याय प्रणाली में जातीय आधार पर भेदभाव है ।


8. पृष्ठभूमि: मणिपुर संघर्ष की व्यापक तस्वीर

3 मई 2023 को Tribal Solidarity March के बाद मणिपुर में जातीय संघर्ष भड़क उठा, जिसमें मई–नवंबर 2024 तक:

Interior of an empty courtroom with gavel, law books and sounding block on the desk.
  • कम से कम 258 मौतें,
  • 60,000 से अधिक लोग विस्थापित,
  • हजारों घर, चर्च मंदिर जलाए गए—ऐसी घटना हुई

प्रत्येक समुदाय दावा करता रहा कि दूसरे समुदाय ने हिंसा भड़काई—लेकिन दोनों ओर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। मीडिया सेंसरशिप, इंटरनेट बंद, और सीमित कवरेज के कारण खबरें सेंसर होती रहीं ।


9. डेविड थिक की व्यक्तिगत कहानी: संघर्ष और अंत

New Indian Express में बताया गया कि डेविड थिक कोविड के दौरान मुंबई से मणिपुर लौटे। परिवार को पालना, पिता की देखभाल करना उनके जीवन का हिस्सा था। बचपन में मां खोने के बाद उन्होंने गांव में स्कूल छोड़ा और मेहनताना काम किया। हिंसा बढ़ने पर उन्होंने सुरक्षा स्वयंसेवक के रूप में काम शुरू किया—जिसकी आड़ में उन्हें निशाना बनाया गया ।


10. दो वर्ष बाद स्थिति: शून्य न्याय

अगस्त 2025 तक,

  • कोई गिरफ्तारी नहीं,
  • परिवार को कोई सूचना नहीं,
  • चार्जशीट या फोरेंसिक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई।

पुलिस ने दावा नहीं किया कि दोषियों के खिलाफ कोई कदम उठाया गया हो। परिवार अब Saikot जैसे सुरक्षित क्षेत्र में है, लेकिन वे न्याय की आह आज भी भर रहे हैं।


11. निष्कर्ष: न्याय में विलंब और भागीदारी की ज़रूरत

यह रिपोर्ट श्रृंखला “Least Manipur Forgets Them” का पहला भाग है। यह उजागर करता है कि किस तरह जातीय विभाजन, प्रशासनिक पक्षपात और राजनीतिक डर ने एक निर्दोष परिवार को न्याय से वंचित रखा। डेविड की हत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं—यह मणिपुर की न्याय व्यवस्था, संवैधानिक संकट, मानवाधिकारों की उपेक्षा और सरकार की स्पष्ट उदासीनता का प्रतीक बन चुकी है।

केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट, मानवाधिकार आयोग, और स्वतंत्र जांच एजेंसियों को इस केस में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। अन्यथा यह हत्या एक अधूरा इतिहास बनकर रह जाएगी—जिसकी पीड़ा को केवल समुदाय याद रखता रहेगा।

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