भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेजी से विकास के साथ-साथ ‘डार्क डेटा’ की समस्या भी गहराती जा रही है। डार्क डेटा, यानी वह डेटा जो संग्रहित तो होता है लेकिन इसका सही उपयोग या विश्लेषण नहीं किया जाता, आज के डिजिटल युग में एक बड़ी चुनौती बन गया है।
क्या है ‘डार्क डेटा’?
डार्क डेटा वे जानकारी है जो संगठनों द्वारा एकत्रित की जाती है, लेकिन जिसका उपयोग नहीं होता या जिसे अनदेखा किया जाता है। इसमें अनुपयोगी लॉग फाइलें, पुरानी ईमेल्स, और बेतरतीब तरीके से संग्रहीत डेटा शामिल हो सकते हैं। यह डेटा AI प्रणालियों के प्रशिक्षण और विश्लेषण में अज्ञात और अनदेखी समस्याओं का स्रोत बन सकता है।
भारत में स्थिति
भारत में, जहाँ डिजिटल डेटा की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, डार्क डेटा की समस्या भी बढ़ती जा रही है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में डेटा का प्रबंधन और विश्लेषण एक बड़ी चुनौती बन गया है। बहुत सारी कंपनियाँ और संस्थान डेटा को संचित करने के बाद उसे उचित तरीके से उपयोग में नहीं ला पा रहे हैं।
समस्याएं और परिणाम
- विश्लेषण की कमी: डार्क डेटा का सही तरीके से विश्लेषण न होने की वजह से महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टियों की कमी हो रही है। इससे व्यवसायों को अपने ग्राहकों और बाज़ार की बेहतर समझ प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
- सुरक्षा जोखिम: अनावश्यक डेटा का संग्रहण सुरक्षा खतरों को जन्म दे सकता है। यह संवेदनशील जानकारी लीक होने या हैकर्स के द्वारा अनधिकृत एक्सेस की संभावना को बढ़ाता है।
- विवाद और नियमों का उल्लंघन: डार्क डेटा के अनियमित प्रबंधन से डेटा सुरक्षा नियमों और कानूनों का उल्लंघन हो सकता है, जो कानूनी समस्याओं का कारण बन सकता है।
समाधान के उपाय
- डेटा प्रबंधन रणनीतियाँ: कंपनियों को अपने डेटा प्रबंधन और विश्लेषण के तरीकों को सुधारना चाहिए। AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करके डार्क डेटा की पहचान और उपयोग को सुविधाजनक बनाया जा सकता है।
- डेटा क्लींनिंग और संगठन: नियमित अंतराल पर डेटा क्लींनिंग और संगठन की प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इससे अवांछित डेटा को हटाया जा सकता है और उपयोगी डेटा को संरक्षित किया जा सकता है।
- सुरक्षा प्रोटोकॉल: डेटा सुरक्षा के लिए मजबूत प्रोटोकॉल और नियमों का पालन आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि संवेदनशील जानकारी सुरक्षित और संरक्षित रहे।
AI और डार्क डेटा की समस्या का समाधान भारत में डिजिटल क्रांति के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। इस दिशा में उठाए गए ठोस कदम और नीतियाँ इस चुनौती को पार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।