नई दिल्ली: अब तक आप अगर एटीएम से अपनी ज़रूरत का पैसा निकालते थे तो एक निश्चित सीमा तक यह सुविधा मुफ़्त थी, लेकिन अब इसका खर्च बढ़ने वाला है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एटीएम से कैश निकालने की फीस बढ़ाने का ऐलान किया है, जिसके बाद बैंक ग्राहकों के लिए एटीएम से पैसा निकालना अब महंगा साबित हो सकता है। इस नई घोषणा ने देशभर के ग्राहकों को हैरान कर दिया है और वित्तीय दुनिया में हलचल मचा दी है।

एटीएम शुल्क में बढ़ोतरी का कारण
RBI द्वारा एटीएम से पैसा निकालने की फीस बढ़ाने का कदम कई कारणों से उठाया गया है। दरअसल, बढ़ती महंगाई और बैंकों के संचालन खर्चों को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने यह फैसला लिया है। इसके अलावा, एटीएम नेटवर्क की रखरखाव लागत, और तकनीकी सुधारों की दिशा में किए जा रहे निवेश को देखते हुए बैंक अब ग्राहकों से अधिक शुल्क लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।
RBI ने एटीएम से पैसे निकालने पर बढ़ी हुई शुल्क की सीमा को लेकर स्पष्ट जानकारी दी है और कहा है कि यह कदम वित्तीय संस्थानों के लिए उनके संचालन में मददगार साबित होगा। हालांकि, अब यह सवाल उठता है कि इस फैसले का ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा और कैसे इस बढ़ी हुई फीस का भुगतान ग्राहकों को करना पड़ेगा।
बढ़ी हुई फीस की जानकारी
नए नियम के मुताबिक, वेतनभोगी और पेंशनभोगी खातों से साल में 5 बार मुफ्त एटीएम निकासी की सुविधा उपलब्ध रहेगी, लेकिन इसके बाद हर निकासी पर शुल्क लिया जाएगा। वहीं, अन्य ग्राहकों के लिए यह संख्या साल में 3 बार तक सीमित होगी। इन सीमाओं के बाद हर निकासी पर शुल्क में वृद्धि हो गई है।
फीस का स्ट्रक्चर इस प्रकार होगा:
- Rural ATM में निकासी: अगर आप ग्रामीण इलाकों से एटीएम के जरिए पैसा निकालते हैं, तो 1 नवंबर, 2025 से प्रति ट्रांजैक्शन शुल्क ₹20 होगा।
- Urban ATM में निकासी: शहरी क्षेत्रों में शुल्क ₹15 होगा।
- Inter-bank ATM (मल्टी-बैंक एटीएम): यदि आप दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं तो शुल्क ₹25 प्रति ट्रांजैक्शन लिया जाएगा।
इस तरह से एटीएम से पैसे निकालने के प्रति शुल्क में यह बढ़ोतरी ग्राहकों के लिए काफ़ी भारी साबित हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए बार-बार एटीएम का इस्तेमाल करते हैं।
ग्राहकों पर प्रभाव
इस नए आदेश से बैंक ग्राहक परेशान हैं। कई ग्राहकों ने इस बदलाव के खिलाफ अपनी नाराज़गी व्यक्त की है और इसे उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में एक और आर्थिक बोझ के रूप में देखा है। यदि कोई व्यक्ति महीने में कई बार पैसे निकालता है, तो अब उसे अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ेगा। कई ग्राहक इसे खुदरा लेन-देन में बढ़ोतरी और जीवनशैली पर होने वाले खर्च का हिस्सा मान रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इसके परिणामस्वरूप नकद लेन-देन में कमी आ सकती है, क्योंकि लोग अब ज्यादा से ज्यादा डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने की ओर रुख कर सकते हैं। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक ने कई कदम उठाए हैं, और ये बढ़ी हुई एटीएम फीस उन कदमों को और बढ़ावा दे सकती है।
ATM से निकासी की प्रचलित सीमा पर भी असर
RBI के फैसले के मुताबिक, अब एटीएम से हर महीने मुफ्त निकासी की सीमा में भी बदलाव किया जाएगा। पहले जहां कुछ बैंकों में प्रति माह 5 बार मुफ्त निकासी की सुविधा थी, वहीं अब इसे घटाकर 3 बार किया जाएगा। इससे ग्राहकों को अपनी जरूरत के हिसाब से एटीएम से पैसे निकालने में अधिक सोच-समझ कर काम करना होगा।
इसके अलावा, कई ग्राहक अपनी हर छोटी-बड़ी जरूरत के लिए एटीएम से पैसे निकालते हैं, जैसे कि छोटे भुगतान, घर के किराए की राशि, या फिर अन्य दैनिक खर्च। अब बढ़ी हुई फीस से ग्राहक इन ट्रांजैक्शंस को लेकर ज्यादा सजग होंगे, और यह भी हो सकता है कि वे अधिकतर डिजिटल तरीकों से पैसे ट्रांसफर करने की ओर अग्रसर हों।
बैंकिंग प्रणाली पर असर
रिज़र्व बैंक का यह कदम बैंकिंग सेक्टर में नए बदलाव की शुरुआत हो सकता है। पहले से ही बैंक डिजिटल पेमेंट्स और ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने में जुटे हुए थे, और इस कदम के साथ वे कैश के इस्तेमाल को कम करने के लिए ग्राहकों को प्रेरित कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, बैंक अब एटीएम नेटवर्क की बढ़ती लागत को देखते हुए, ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क ले रहे हैं, जिससे उनके लाभ में बढ़ोतरी हो सके। इसके साथ ही, बैंकों को उम्मीद है कि यह बदलाव उन्हें अपने बुनियादी ढांचे में सुधार करने और अधिक उन्नत तकनीकी प्रणालियों को स्थापित करने में मदद करेगा।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं
इस फैसले के बाद, सरकार और रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया कि यह कदम केवल बैंकों के लिए नहीं, बल्कि ग्राहकों के लिए भी दीर्घकालिक लाभकारी होगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से वित्तीय संस्थानों को अपने नेटवर्क को सुरक्षित रखने और अधिक आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, सरकार डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। जैसे कि यूपीआई (Unified Payments Interface) और अन्य मोबाइल बैंकिंग सेवाओं का प्रचलन बढ़ाना, ताकि लोग एटीएम से कैश निकालने के बजाय डिजिटल पेमेंट्स के माध्यम से अपनी खरीदारी कर सकें।
सरकार का यह मानना है कि भविष्य में डिजिटल भुगतान के माध्यम से लोग अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से लेन-देन करेंगे, जिससे नकद लेन-देन में कमी आएगी और बैंकिंग क्षेत्र में लागत घटेगी।
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निष्कर्ष
RBI के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि वित्तीय क्षेत्र में डिजिटल क्रांति आ चुकी है। एटीएम से कैश निकालने पर बढ़े हुए शुल्क के बाद, अब बैंकिंग सेवा का उपयोग करने वाले ग्राहकों के लिए अधिक डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर रुख करना अनिवार्य हो सकता है। हालांकि यह कदम ग्राहकों के लिए थोड़ी मुश्किलें पैदा कर सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह वित्तीय संस्थानों के लिए एक सशक्त कदम हो सकता है।
ग्राहकों को अब अपनी वित्तीय योजनाओं को ध्यान में रखते हुए खर्चों की समीक्षा करनी होगी, और शायद डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि वे बढ़ी हुई एटीएम फीस से बच सकें।