ननई दिल्ली: अक्टूबर आते ही दिल्ली की गलियां और मार्केट्स दिवाली की रौनक में डूबने लगती हैं। राजधानी का ऐतिहासिक चांदनी चौक इस समय पूरे देश का केंद्र बन जाता है। यहां हर तरफ दिवाली की खरीदारी का महौल नजर आता है। दिवाली से पहले की यह मार्केट खासतौर पर पटाखों, रंग-बिरंगी लाइट्स, दीयों और सजावट की चीजों से जगमगा उठती है।
चांदनी चौक में हर साल की तरह इस साल भी दुकानदार और ग्राहक दोनों ही उत्साहित हैं। गलियों में सजी दुकानों की रोशनी और रंग-बिरंगी सजावट देखने लायक होती है। पटाखों की दुकानों पर हर उम्र के लोग अपने लिए और बच्चों के लिए खरीदारी करते दिखते हैं। छोटे-छोटे लाल, हरे, नीले और पीले पटाखे रंगीन रोशनी की झलक बिखेरते हैं और माहौल को त्योहार जैसा बना देते हैं।
दिवाली मार्केट की खासियत: लाइट्स और सजावट
दिवाली मार्केट की सबसे खास बात हैं रोशनी की सजावट। LED लाइट्स, लाइटिंग स्ट्रिंग्स और झिलमिलाते दीपक मार्केट की गलियों को रात में चमकदार बना देते हैं। दुकानदार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए लाइटिंग की नए नए डिज़ाइन और पैकेज पेश कर रहे हैं।

कुछ स्टॉल्स पर हैं थीम आधारित दिवाली लाइटिंग जैसे फूल, मोर और पारंपरिक आकृतियाँ। इन लाइट्स और सजावट की झिलमिलाहट से गलियां और भी आकर्षक दिखाई देती हैं। बच्चे और बड़े सभी इस रौनक में खो जाते हैं। लोग अपने घरों के लिए अलग-अलग डिज़ाइन की लाइट्स खरीदते हैं।
खरीदारी का उत्साह
चांदनी चौक में सिर्फ लाइट और पटाखे ही नहीं, बल्कि गिफ्ट आइटम्स, मिठाई, रंगोली पाउडर, कपड़े और घरेलू सजावट की भी भरमार रहती है। परिवार और दोस्त मिलकर खरीदारी करते हैं।
बच्चों की खुशी देखने लायक होती है, जब वे अपने पसंदीदा पटाखे, खिलौने और गिफ्ट आइटम चुनते हैं। दुकानदार बताते हैं कि दिवाली से लगभग एक सप्ताह पहले से ही ग्राहक अपनी लिस्ट बनाकर मार्केट में आने लगते हैं।
मिठाइयों और स्वाद का महौल
चांदनी चौक की गलियों में मिठाइयों की खुशबू और फलों की ताजगी भी लोगों को आकर्षित करती है। खासकर काजू कतली, लड्डू और बर्फी जैसी मिठाइयों की भीड़ रहती है। दुकानदारों का कहना है कि दिवाली की मिठाइयों की बिक्री इस दौरान साल की सबसे अधिक होती है।
इसके अलावा, कई लोग अपने घरों के लिए सजावटी आइटम और रंगोली पाउडर भी खरीदते हैं। रंग-बिरंगे रंगोली पाउडर की खुशबू और चमक मार्केट में अलग ही माहौल बना देती है।
सुरक्षा और भीड़ का इंतजाम
हालांकि दिवाली की रौनक और खरीदारी की लहर बहुत आकर्षक है, वहीं सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने मार्केट के आस-पास यातायात और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।

सुरक्षा अधिकारी बता रहे हैं कि सुरक्षित दूरी, मास्क और अनुशासन का पालन करना जरूरी है। इसके अलावा, आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए फायर सेफ्टी की तैयारियां भी की गई हैं। दुकानदार और ग्राहक दोनों ही सुरक्षा नियमों का पालन कर रहे हैं, ताकि त्योहार का जश्न सुरक्षित तरीके से मनाया जा सके।
दिवाली की खरीदारी: परंपरा और आधुनिकता का संगम
दिवाली का त्योहार हमेशा से ही खरीदारी और त्योहारी खरीदारी का प्रतीक रहा है। अब आधुनिक समय में यह सिर्फ सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि व्यापारिक अवसर भी बन गया है।

ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स साइट्स भी दिवाली से पहले सुपर सेल्स और डिस्काउंट ऑफर लेकर आती हैं। इसके बावजूद, चांदनी चौक जैसी स्थानीय मार्केट्स का आकर्षण अलग ही होता है। यहाँ का त्योहार का माहौल, खरीदारी का अनुभव और लोकसंस्कृति डिजिटल खरीदारी से कहीं अधिक जीवंत और मनमोहक लगता है।
परिवार और बच्चों के लिए खास
दिवाली का महौल परिवार और बच्चों के लिए सबसे खास होता है। बच्चे नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई खाते हैं और पटाखों की चमक में आनंद लेते हैं। परिवार के लोग साथ बैठकर दिवाली की तैयारी करते हैं।
इस दौरान लोग लक्ष्मी पूजा और दीयों की सजावट की भी तैयारी करते हैं। यह त्योहार सिर्फ खरीदारी का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक अनुभव का भी प्रतीक है।
लोक संस्कृति और बाजार की रौनक
चांदनी चौक की दिवाली मार्केट केवल खरीदारी का केंद्र नहीं है, बल्कि यहाँ लोक संस्कृति और परंपरा की झलक भी देखने को मिलती है।
- गलियों में सजावट और लाइटिंग स्थानीय हस्तशिल्प और कलात्मक डिज़ाइन को दर्शाती है।
- दुकानदार पुराने समय से चली आ रही परंपरागत विक्रय कला को आज भी जीवित रखते हैं।
- बाजार में संगीत और त्योहार का माहौल लोगों को उत्साहित करता है।
इस तरह, चांदनी चौक दिवाली के समय सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का मेल बन जाता है।
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निष्कर्ष
दिल्ली के चांदनी चौक की दिवाली मार्केट न केवल खरीदारी का केंद्र है, बल्कि यहाँ के पटाखों, लाइट और सजावट की चमक दिवाली की असली रौनक को दर्शाती है। यह मार्केट स्थानीय संस्कृति, परंपरा और त्योहार की खुशी का जीवंत प्रमाण है।
चांदनी चौक की गलियां त्योहार के आगमन के साथ अपने पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाती हैं। यह मार्केट दर्शाता है कि कैसे परंपरा और आधुनिकता साथ में मिलकर त्योहार को और भी विशेष बनाती हैं।