जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले में बिना धुएँ वाला तंबाकू उत्पाद ‘कूल लिप’ बैन, जिलाधिकारी का सख्त आदेश
कठुआ (जम्मू-कश्मीर) —
बढ़ती नशे की लत और युवाओं के बीच फैलती तंबाकू संस्कृति पर लगाम लगाने के लिए कठुआ जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को जिलाधिकारी राजेश शर्मा ने एक आदेश जारी करते हुए ‘कूल लिप’ (Cool Lip) नामक स्मोकलेस तंबाकू-आधारित उत्पाद की भंडारण, बिक्री, प्रदर्शन और वितरण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।
यह निर्णय बच्चों और युवाओं में तेजी से बढ़ती इसके सेवन की प्रवृत्ति और उससे होने वाले शारीरिक-मानसिक दुष्प्रभावों को देखते हुए लिया गया है। आदेश के अनुसार, यह प्रतिबंध जनस्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में तत्काल प्रभाव से लागू होगा और आगामी आदेश तक जारी रहेगा।
कूल लिप क्या है?
एक बयान में, श्री रामदास ने कहा कि नई दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में निर्मित, छोटे फ़िल्टर्ड पेपर में भरा तंबाकू ‘कूल लिप’, कर्नाटक के रास्ते तमिलनाडु में तस्करी किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह तंबाकू उत्पाद स्कूलों में लोकप्रिय है और स्कूली बच्चे इसका बड़ा बाज़ार हैं
⚖️ कानूनी आधार: BNSS 2023 की धारा 163 के तहत कार्रवाई
जिलाधिकारी ने यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita – BNSS), 2023 की धारा 163 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया है।
आदेश में कहा गया है —
“जनस्वास्थ्य एवं सुरक्षा के हित में, मैं ‘कूल लिप’ जैसे तंबाकू-आधारित उत्पादों के भंडारण, बिक्री, प्रदर्शन और वितरण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाता हूँ।”
यह आदेश न केवल प्रशासनिक निर्देश है बल्कि यह समाज के स्वास्थ्य की रक्षा का एक सख्त संकेत भी देता है कि ऐसे उत्पादों के लिए कठुआ ज़िले में कोई जगह नहीं है।
🧠 बच्चों और युवाओं में “कूल लिप” का बढ़ता प्रचलन
पिछले कुछ महीनों से कठुआ ज़िले के स्कूलों और आस-पास के इलाकों में यह चिंता बढ़ रही थी कि बच्चे “कूल लिप” नामक उत्पाद का सेवन कर रहे हैं।

यह एक छोटा सा पाउच (pouch) होता है जिसमें निकोटिन और तंबाकू के अर्क मिलाए जाते हैं। इसे होठों के नीचे (under the lip) रखकर नशे का अनुभव किया जाता है।
🎯 यह क्यों ख़तरनाक है:
- इसमें निकोटिन की मात्रा अधिक होती है, जो लत लगाने वाली होती है।
- इसके मुख्य दुष्प्रभाव में मुंह का संक्रमण, मसूड़ों की सूजन, दांतों का नुकसान और कैंसर का खतरा शामिल है।
- बच्चों में इसका सेवन एक प्रारंभिक नशे की लत के रूप में विकसित होता है, जो आगे चलकर अन्य नशे की चीजों तक ले जा सकता है।
🚨 “माता-पिता और शिक्षकों की शिकायतों से खुला मामला”
कठुआ जिला प्रशासन को अभिभावकों, शिक्षकों और सामाजिक प्रतिनिधियों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ दुकानों में बच्चों को “कूल लिप” नामक उत्पाद आसानी से बेचा जा रहा है।

शिकायतों में बताया गया कि कई छात्र स्कूल के दौरान या बाद में इस उत्पाद का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनके व्यवहार और पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
एक स्थानीय शिक्षक ने कहा —
“कई बच्चे अब सामान्य से अधिक चुप या विचलित दिखने लगे थे। जब हमने कारण जाना तो पता चला कि वे ‘कूल लिप’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह हमारे लिए बेहद चिंता का विषय था।”
👮♂️ प्रशासनिक अमला हुआ सक्रिय
आदेश जारी होते ही जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP), मुख्य शिक्षा अधिकारी (CEO), तहसीलदार, नायब तहसीलदार और खाद्य सुरक्षा अधिकारी को आदेश दिया गया है कि वे इस प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करें।
निरीक्षण और निगरानी
- स्कूलों के आस-पास की दुकानों की विशेष रूप से जांच की जाएगी।
- खाद्य सुरक्षा विभाग सभी किराना, पान और जनरल स्टोर्स की जांच करेगा।
- नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
📜 खाद्य सुरक्षा नियमों का हवाला
जिलाधिकारी ने अपने आदेश में खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विक्रय पर प्रतिबंध और निषेध) विनियम, 2011 की धारा 2.3.4 का उल्लेख किया है, जिसके तहत —
“किसी भी खाद्य उत्पाद में तंबाकू या निकोटिन का उपयोग अवैध है।”
इसका मतलब है कि कोई भी निर्माता या विक्रेता जो ऐसे उत्पादों को खाद्य वस्तु के रूप में पेश करता है, वह सीधे कानून का उल्लंघन कर रहा है।
🩺 स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय: “कूल लिप” सिर्फ नशा नहीं, बीमारी का रास्ता
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि “कूल लिप” जैसे उत्पादों को अक्सर “स्मोकलेस” यानी धुएं रहित बताया जाता है, लेकिन यह उतना ही हानिकारक है जितना सिगरेट या गुटखा।
डॉ. वीना शर्मा (दंत रोग विशेषज्ञ, जम्मू) कहती हैं:
“कूल लिप में मौजूद निकोटिन और फ्लेवर एजेंट मुंह की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं। इससे कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। बच्चों के लिए यह बेहद खतरनाक है क्योंकि उनके शरीर में निकोटिन का असर बहुत जल्दी दिखता है।”
मानसिक प्रभाव भी गंभीर
- बच्चे धीरे-धीरे नशे पर निर्भर होने लगते हैं।
- ध्यान की कमी, मूड स्विंग्स, और स्कूल प्रदर्शन में गिरावट देखी जाती है।
- लत लगने के बाद इसे छोड़ना कठिन हो जाता है।
📣 प्रशासन ने शुरू की जनजागरूकता मुहिम
आदेश जारी करने के साथ ही जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया, स्थानीय अख़बारों और रेडियो चैनलों के ज़रिए जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है।
मुख्य संदेश:
- “कूल लिप से दूरी बनाएं – ये सेहत का दुश्मन है।”
- “अपने बच्चों को सुरक्षित रखें, नशे से बचाएं।”
स्कूलों में जागरूकता
शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि स्कूलों में स्पेशल असेंबली और सेमिनार आयोजित किए जाएँ ताकि छात्रों को इस उत्पाद के खतरों के बारे में बताया जा सके।
🏫 समाज की भूमिका: “केवल कानून नहीं, सामूहिक ज़िम्मेदारी भी ज़रूरी”
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल प्रशासनिक आदेश काफी नहीं हैं। समाज, परिवार और शिक्षकों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
माता-पिता को क्या करना चाहिए:
- बच्चों के व्यवहार में बदलाव पर ध्यान दें।
- स्कूल बैग, जेब या कमरे में संदिग्ध पाउच मिलने पर बात करें।
- डराने के बजाय समझाने की कोशिश करें।
- नशे के खतरे को खुले संवाद के ज़रिए समझाएं।
समाज का योगदान
स्थानीय दुकानदारों और समाजसेवी संगठनों को इस दिशा में सहयोग करना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन न करे।
📊 “कूल लिप” पर राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता
यह सिर्फ कठुआ की समस्या नहीं है।
देश के कई हिस्सों में इस तरह के स्मोकलेस तंबाकू उत्पाद तेजी से फैल रहे हैं।
- महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह के उत्पाद पहले जब्त किए जा चुके हैं।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 2024 में ऐसे उत्पादों की बिक्री पर सख्त टिप्पणी की थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर इस पर नीति बनाएं, तो बच्चों में नशे की शुरुआत को रोका जा सकता है।
📢 जनता की प्रतिक्रिया
कठुआ के निवासियों ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया है।
राहुल शर्मा, स्थानीय अभिभावक कहते हैं —
“हमारे बच्चों की सेहत से बड़ा कुछ नहीं। अगर प्रशासन ने यह कदम उठाया है, तो यह बहुत जरूरी था। अब दुकानों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
संध्या रैना, कॉलेज छात्रा ने कहा —
“कई बार दोस्तों के बीच ‘कूल लिप’ को मज़ाक-मस्ती के तौर पर लिया जाता है, लेकिन असल में यह ज़हर है। अब जब इसे बैन कर दिया गया है, तो उम्मीद है कि कोई इसे खुलेआम नहीं बेचेगा।”
⚠️ क्या है “कूल लिप”
- प्रकार: स्मोकलेस तंबाकू उत्पाद
- रूप: छोटा पाउच, जिसे होठों के नीचे रखा जाता है
- मुख्य तत्व: निकोटिन, फ्लेवर एजेंट, बेस पाउडर
- प्रभाव: हल्का नशा, दिमागी उत्तेजना
- दुष्प्रभाव: कैंसर, मसूड़ों की सूजन, मानसिक निर्भरता
यह उत्पाद युवाओं में “कूल” छवि के कारण लोकप्रिय हुआ, लेकिन इसके परिणाम बेहद गंभीर हैं।
🔚 निष्कर्ष
कठुआ प्रशासन का यह कदम न केवल कानूनी कार्रवाई है बल्कि सामाजिक जागरण का प्रतीक भी है।
“कूल लिप” जैसे उत्पादों पर रोक लगाना भविष्य की पीढ़ी को नशे के अंधकार से बचाने की दिशा में एक साहसिक पहल है।
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अब ज़रूरत है कि अन्य जिलों और राज्यों में भी इस मॉडल को अपनाया जाए, ताकि पूरे देश में बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।