दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है। यह पाँच दिनों का महापर्व है जिसमें सफाई, पूजा, सजावट, मिठाई और परिवार के साथ खुशियाँ बाँटना शामिल होता है। 2025 में दिवाली मंगलवार, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन की खुशियाँ पूरे देश में अलग-अलग रूपों में देखने को मिलती हैं, लेकिन इसका मूल संदेश हमेशा समान रहता है – अंधकार पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की विजय।
दिवाली के पांच दिन: क्या-क्या होता है

1. धनतेरस
दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन धातु की वस्तुएँ, खासकर सोना और चाँदी खरीदना शुभ माना जाता है। व्यापारियों और घरों में नए बर्तन, आभूषण और धन की प्रतीक वस्तुएँ खरीदी जाती हैं।
2. छोटी दिवाली
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन घरों को सजाया जाता है और मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं। यह बड़े उत्सव से पहले की शांत तैयारी का समय होता है।
3. मुख्य दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
21 अक्टूबर को मुख्य दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन रात में लक्ष्मी माता की पूजा होती है और घर-आँगन में दीपक जलाए जाते हैं। घर को रोशनी और रंगोली से सजाया जाता है। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और परिवार के सभी सदस्य मिलकर खुशियाँ मनाते हैं।
4. गोवर्धन पूजा
कुछ हिस्सों में गोवर्धन पूजा होती है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा को याद करती है। यह दिन प्राकृतिक संसाधनों और पशुओं के संरक्षण का प्रतीक भी माना जाता है।
5. भाई दूज
भाई दूज पर बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। इस दिन भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए उपहार दिए और लिए जाते हैं।
दिवाली क्यों मनाई जाती है?

दिवाली मनाने की वजह हर क्षेत्र में अलग हो सकती है:
- उत्तर भारत: भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास से लौटने का स्वागत।
- दक्षिण भारत: भगवान कृष्ण का राक्षस नरकासुर का वध।
- गुजरात: नया वित्तीय वर्ष और व्यापार की शुरुआत।
सभी जगहों पर दिवाली का मूल संदेश एक ही है – अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय।
दिवाली की तैयारी और उत्सव
दिवाली की तैयारियाँ घरों की सफाई से शुरू होती हैं। घरों को सजाने के लिए रंगोली बनाई जाती है, दीयों और लाइट्स से रोशन किया जाता है। बाजारों में मिठाई और नए कपड़े खरीदने का मजा देखने लायक होता है।
शाम के समय लक्ष्मी पूजा की जाती है। इस दौरान दीपक जलाकर देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। पूजा के बाद मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और परिवार के सभी सदस्य खुशियाँ मनाते हैं।
दिवाली के दौरान दुकानें और सेवाएँ
दिवाली पर कई स्कूल बंद रहते हैं, ऑफिस समय से पहले बंद हो सकते हैं और बाजारों में खरीदारी के लिए विशेष अवसर होते हैं। भारतीय स्टॉक मार्केट भी दिवाली के मौके पर मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए विशेष रूप से खुलता है।
दिवाली का महत्त्व और प्रतीक
दिवाली सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि एक आर्थिक और मानसिक समृद्धि का प्रतीक भी है। यह हमें निवेश और बचत की आदत सिखाता है। सोना, चांदी, नए बर्तन और उपकरण खरीदना घर में समृद्धि और शुभता लाने का संकेत माना जाता है।
दिवाली के जरूरी सामान
- दीये: बुराई को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए।
- रंगोली: घर में सौभाग्य और स्वागत के लिए।
- मिठाईयाँ: परंपरा और खुशियों का प्रतीक।
- नए कपड़े: नए वस्त्र पहनकर उत्सव की भावना बढ़ाना।
- पटाखे (आधुनिक और इको-फ्रेंडली): उत्सव का आनंद बढ़ाने के लिए।
भारत में दिवाली का अनुभव
- वाराणसी: गंगा किनारे आतिशबाजी का नजारा अद्भुत।
- जयपुर: बाजारों की सजावट और रोशनी लाजवाब।
- गोवा: तटीय दिवाली पार्टियाँ और शानदार जलस्तंभ।
- अमृतसर: स्वर्ण मंदिर की रोशनी मन को मोह लेती है।
- कोलकाता: कल्कि पूजा और सांस्कृतिक उत्सव का अनुभव।
निष्कर्ष
दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि खुशियों, समृद्धि और एकता का संदेश है। चाहे आप पारंपरिक तरीके से मनाएं या आधुनिक तरीके से, इसका उद्देश्य हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और परिवार की खुशियाँ फैलाना होता है।
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तो तैयार हो जाइए, 20 अक्टूबर 2025 को दिवाली की रौशनी में डूबने के लिए।