भारतीय राजनीति में अक्सर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है, लेकिन जब बात किसानों की ज़मीन की होती है, तो यह मुद्दा और भी संवेदनशील बन जाता है। हाल ही में, भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के दामाद, रॉबर्ट वाड्रा पर किसानों की ज़मीन हड़पने का गंभीर आरोप लगाया है। भा.ज.पा. के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने वाड्रा पर राजस्थान में किसानों की ज़मीन हड़पने का आरोप लगाते हुए उन्हें “कट्टर पापी परिवार” का सदस्य बताया।

आरोपों का विवरण
गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2008 से 2013 तक राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान, किसानों से 125 बीघा ज़मीन खरीदी गई और उसे दो व्यक्तियों, हरिराम और नाथराम को आवंटित किया गया। भाटिया का आरोप है कि यह ज़मीन वाड्रा की कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों से छीनकर दी गई।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भा.ज.पा. ने इस मामले को गंभीर भ्रष्टाचार का मामला बताते हुए राजस्थान सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। भा.ज.पा. के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि “कानून अपना काम करेगा” और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कानूनी पहलू
राजस्थान सरकार ने इस मामले में 374.44 हेक्टेयर ज़मीन को अवैध रूप से निजी व्यक्तियों के नाम पर ट्रांसफर होने के कारण रद्द कर दिया था। इस कार्रवाई को भा.ज.पा. ने “कानून की जीत” बताया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भा.ज.पा. किसानों के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे आरोप लगा रही है।
निष्कर्ष
किसानों की ज़मीन से जुड़े इस विवाद ने एक बार फिर से भारतीय राजनीति में भू-राजनीति को प्रमुखता से उभारा है। भा.ज.पा. और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है। हालांकि, इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि किसानों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
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