भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और देश के आर्थिक सुधारों के अग्रणी शिल्पकार, डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने भारतीय राजनीति और आर्थिक क्षेत्र में एक अविस्मरणीय योगदान दिया, जिसे भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।
मनमोहन सिंह का कार्यकाल भारतीय राजनीति में अनूठा था, खासकर जब उन्होंने 1991 में वित्त मंत्री के रूप में देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की नींव रखी। उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक नया स्थान दिलवाया और भारत के विकास के मार्ग को सुनिश्चित किया।
डॉ. सिंह ने 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। उनकी शांत और विचारशील नेतृत्व शैली ने उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित किया। उनका कार्यकाल ऐसे समय में था जब देश को वैश्विक आर्थिक मंदी और आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और उन्होंने कड़ी मेहनत और स्थिरता से इन समस्याओं का समाधान किया।
उनकी प्रमुख उपलब्धियों में 1991 में भारत के पहले आर्थिक उदारीकरण का नेतृत्व करना, विदेशी निवेश को आकर्षित करना और भारत को एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करना शामिल है।
मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक गहरा शोक है, लेकिन उनका योगदान भारतीय समाज और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अमूल्य रहेगा। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने निर्णयों से देश को नई दिशा दी और उसे एक सशक्त राष्ट्र बनाने में मदद की।
उनके नेतृत्व में भारत ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाया, जहां औद्योगिकीकरण, वैश्विक व्यापार, और निजीकरण के रास्ते खोले गए। आर्थिक उदारीकरण की दिशा में किए गए उनके कदमों ने देश को न केवल आर्थिक मजबूती दी, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी एक नई पहचान दिलाई।
मनमोहन सिंह की छवि एक ईमानदार, सुसंस्कृत और दूरदृष्टि वाले नेता के रूप में स्थापित हुई। उन्होंने हमेशा नीतिगत निर्णयों में संतुलन और समग्र दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी। उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज में हमेशा याद किया जाएगा।
उनकी यादें हमेशा भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र में एक प्रेरणा के रूप में जीवित रहेंगी।