बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने शेख हसीना को भारत में रहते हुए चुप रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि हसीना का भारत से राजनीतिक टिप्पणी करना एक “अमित्रतापूर्ण इशारा” है। यूनुस ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक बांग्लादेश सरकार हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध नहीं करती, दोनों देशों के बीच असुविधा से बचने के लिए उन्हें चुप रहना चाहिए।
यूनुस ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “अगर भारत उन्हें अपने पास रखना चाहता है, तो शर्त यह होनी चाहिए कि वह चुप रहें।”
यूनुस का यह बयान शेख हसीना द्वारा 13 अगस्त को दिए गए उस बयान के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने हाल के “आतंकी कृत्यों” की जांच और सजा की मांग की थी। हसीना के इस बयान ने भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना दिया है।
शेख हसीना, जो 5 अगस्त को बांग्लादेश में अभूतपूर्व सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आ गई थीं, वहां से अपने बयानों के जरिए अपनी राजनीतिक गतिविधियां जारी रखी हुई हैं। यूनुस ने इसे समस्या बताते हुए कहा, “अगर वह चुप रहतीं, तो लोग इसे भूल जाते, लेकिन भारत में बैठकर वह बोल रही हैं, जो किसी को पसंद नहीं है।”
यूनुस ने यह भी कहा कि भारत को उस कथा से आगे बढ़ने की जरूरत है, जिसमें यह माना जाता है कि शेख हसीना के बिना बांग्लादेश अस्थिर हो जाएगा और देश इस्लामिक उग्रवादियों के हाथों में चला जाएगा। उन्होंने भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए और इस तनाव को कम करना चाहिए।