Monday, October 13, 2025
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पवन सिंह ने कहा पार्टी पहले, पद बाद में

पवन सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, बोले – “BJP का सच्चा सिपाही हूं, राजनीति नहीं सेवा करने आया हूं”

बिहार की राजनीति में इन दिनों चर्चाओं का दौर तेज है। भोजपुरी सुपरस्टार और बीजेपी नेता पवन सिंह ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में उन्होंने साफ कर दिया है कि वे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नहीं लड़ेंगे।
पवन सिंह ने कहा कि उन्होंने पार्टी में शामिल होने का मकसद चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि सेवा करना और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाना है।


“पार्टी में आया हूं सेवा के लिए, पद के लिए नहीं” – पवन सिंह

अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखे पोस्ट में पवन सिंह ने कहा –

“मैंने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ज्वॉइन नहीं किया था। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं और रहूंगा। बीजेपी की विचारधारा मेरे दिल में है, और मैं संगठन के हर निर्णय का सम्मान करता हूं।”

पवन सिंह के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई लोगों ने उनके निर्णय की तारीफ की और कहा कि पवन सिंह ने दिखा दिया कि राजनीति सिर्फ सत्ता की नहीं, सिद्धांत की भी हो सकती है।


राजनीति में पवन सिंह की एंट्री – भोजपुरी से बीजेपी तक का सफर

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। “लॉलीपॉप लागेलू” जैसे गानों से पूरे देश में पहचान बनाने वाले पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा था।
उनके पार्टी में शामिल होने के बाद यह अटकलें तेज हो गई थीं कि वे 2025 के विधानसभा चुनाव में किसी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं। मगर अब उनके बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि वे फिलहाल किसी चुनावी रेस में नहीं हैं।


भोजपुरी इंडस्ट्री से राजनीति तक – लोकप्रियता का असर

पवन सिंह सिर्फ एक गायक या अभिनेता नहीं, बल्कि एक जनप्रिय चेहरा हैं। उनके गाने, संवाद और सामाजिक कार्यों ने उन्हें जनता से जोड़ा है।
बीजेपी ने भी उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें पार्टी में जगह दी थी। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद थी कि पवन सिंह युवाओं और भोजपुरी बेल्ट में बीजेपी का जनाधार और मजबूत करेंगे।


राजनीतिक विश्लेषक क्या कहते हैं?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह का यह बयान एक रणनीतिक कदम है।
राजनीति विशेषज्ञ डॉ. संजीव झा कहते हैं,

“पवन सिंह जैसे लोकप्रिय चेहरे पार्टी के लिए ब्रांड एंबेसडर की तरह हैं। उनका चुनाव न लड़ना इस बात का संकेत है कि वे संगठन की रणनीति के तहत काम करेंगे। इससे पार्टी को क्षेत्र में सांस्कृतिक और जनसंपर्क दोनों मोर्चों पर लाभ मिलेगा।”


बीजेपी में ‘सच्चे सिपाही’ की छवि

पवन सिंह ने बार-बार यह कहा है कि वह पार्टी के लिए ‘सच्चे सिपाही’ हैं।
उनका यह रवैया संगठन में अनुशासन और निष्ठा का संदेश देता है।
बीजेपी के प्रदेश नेताओं ने भी उनके निर्णय की सराहना की है।
एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा,

“पवन सिंह पार्टी के प्रति समर्पित हैं। उनका फोकस संगठन को मजबूत करने पर है। ऐसे नेता बीजेपी की असली ताकत हैं।”


सोशल मीडिया पर पवन सिंह का बयान हुआ वायरल

जैसे ही पवन सिंह का पोस्ट सामने आया, सोशल मीडिया पर यह खबर आग की तरह फैल गई।
ट्विटर (X) और फेसबुक पर #PawanSingh और #BJPSipahi ट्रेंड करने लगे।
फैंस ने लिखा –

“सच्चा स्टार वही जो पार्टी के आदेश को सर्वोपरि रखे।”
“पवन सिंह ने दिखा दिया कि राजनीति में भी ईमानदारी जिंदा है।”

उनके समर्थकों ने यह भी कहा कि पवन सिंह अगर भविष्य में चुनाव लड़ते हैं, तो जनता उन्हें भारी मतों से जिताएगी।


भोजपुरी बेल्ट में बीजेपी की मजबूती

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का भोजपुरी क्षेत्र बीजेपी के लिए हमेशा अहम रहा है।
पवन सिंह जैसे कलाकारों की मौजूदगी से पार्टी को इस क्षेत्र में भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक प्रभाव दोनों का लाभ मिलता है।
बीजेपी पहले ही रवि किशन, मनोज तिवारी और दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ जैसे भोजपुरी सितारों को अपनी राजनीति में शामिल कर चुकी है।
अब पवन सिंह की मौजूदगी से पार्टी को और मजबूती मिली है।


चुनाव न लड़ने के बावजूद सक्रिय रहेंगे पवन सिंह

सूत्रों के अनुसार, पवन सिंह आने वाले समय में पार्टी के प्रचार अभियानों और जनसंपर्क कार्यक्रमों में सक्रिय रहेंगे।
वह विभिन्न जिलों में जाकर युवा मतदाताओं से संवाद करेंगे और बीजेपी की नीतियों का प्रचार करेंगे।
उनका ध्यान ‘संघटन सशक्तिकरण’ पर रहेगा न कि व्यक्तिगत टिकट या पद पर।


जनता का विश्वास जीतना ही असली राजनीति – पवन सिंह

अपने पोस्ट के अंत में पवन सिंह ने लिखा –

“राजनीति पद पाने का जरिया नहीं, समाज सेवा का माध्यम है। मैं जनता के बीच रहकर काम करता रहूंगा। बीजेपी के साथ मेरा संबंध दिल से है, पद से नहीं।”

उनके इस बयान ने यह साफ कर दिया कि वे “राजनीति की भीड़” में एक अलग तरह का चेहरा बनकर उभरना चाहते हैं – ऐसा चेहरा जो पार्टी के लिए काम करे, न कि सिर्फ टिकट के लिए।


भविष्य की राजनीति पर खुला संकेत

हालांकि फिलहाल उन्होंने विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पवन सिंह भविष्य में किसी बड़े रोल में दिख सकते हैं।
पार्टी में उनकी लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता को देखते हुए, उन्हें आने वाले वर्षों में किसी महत्वपूर्ण भूमिका में देखा जा सकता है।


भोजपुरी सुपरस्टार से “भाजपा सिपाही” तक – प्रेरक सफर

पवन सिंह की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सफलता और सेवा एक साथ चल सकती है।
भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार होने के बावजूद उन्होंने जमीन से जुड़ी राजनीति को चुना और पार्टी के लिए मेहनत करने का वादा किया।
यह कदम न केवल उनकी राजनीतिक समझ को दर्शाता है बल्कि यह भी साबित करता है कि पवन सिंह लोकप्रियता के साथ जिम्मेदारी भी समझते हैं।

यह भी पढ़ें– दिवाली क्लीनिंग मंत्र: दूर करें दरिद्रता


निष्कर्ष

पवन सिंह का यह बयान बिहार की राजनीति में एक नया संदेश लेकर आया है।
जब अधिकांश नेता टिकट और पद की दौड़ में रहते हैं, वहीं पवन सिंह ने दिखा दिया कि राजनीति सेवा का माध्यम है, सत्ता का नहीं।
उनका यह फैसला आने वाले चुनावों में बीजेपी के लिए नैतिक और संगठनात्मक रूप से एक सकारात्मक संकेत है।

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