भारत में हर साल चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होती है। इस बार 2025 में चैत्र नवरात्रि 28 मार्च से शुरू हो रही है, जो 6 अप्रैल तक जारी रहेगी। नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह लोगों को मानसिक शांति और आत्मशुद्धि की दिशा में प्रेरित भी करता है। इस बार के नवरात्रि के लिए पूजा का सही मुहूर्त और व्रत विधि जानना आवश्यक है, ताकि इस महापर्व का आनंद सही तरीके से लिया जा सके।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से देवी शक्ति की पूजा का पर्व है। इसे “वसंत नवरात्रि” भी कहा जाता है, क्योंकि यह वसंत ऋतु के दौरान मनाई जाती है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और विशेष रूप से घट स्थापना (कलश स्थापना) के माध्यम से घरों में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की जाती है। इस समय देवी के नौ रूपों की पूजा करके लोग जीवन के हर पहलू में समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
यह समय आत्मा को शुद्ध करने, पुराने बुरे कर्मों से मुक्ति पाने और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करने का होता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में विशेष रूप से व्रत, उपवास, साधना, और देवी की भक्ति की जाती है।

नवरात्रि पूजा के शुभ मुहूर्त
नवरात्रि की पूजा के लिए सबसे शुभ समय घट स्थापना (कलश स्थापना) का होता है। इस बार 2025 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 28 मार्च से हो रही है, और पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 6:11 बजे से 7:56 बजे तक रहेगा। इस दौरान देवी दुर्गा की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- घट स्थापना मुहूर्त: 28 मार्च 2025, सुबह 6:11 बजे से 7:56 बजे तक।
- अच्छा समय: सुबह का समय व्रत और पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। खासतौर पर इस समय किए गए मंत्र जाप और पूजा का विशेष फल मिलता है।
- सिद्ध मुहूर्त: इस समय देवी की पूजा विधिपूर्वक करने से हर प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
नवरात्रि व्रत की विधि
चैत्र नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा की विधि में कुछ खास बातें होती हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। इस बार व्रत करने वाले लोग अपनी इच्छा के अनुसार एकादशी व्रत या नौ दिवसीय व्रत रख सकते हैं।

1. व्रत की तैयारी
- घर की सफाई: नवरात्रि से पहले घर की सफाई करना शुभ माना जाता है। यह न केवल घर को शुद्ध करता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
- पवित्र स्थल का चयन: पूजा करने के लिए एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां आप ध्यान और साधना कर सकें।
- साधना की शुरुआत: नवरात्रि के पहले दिन से ही ध्यान और साधना का सिलसिला शुरू करें। देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और मन से नकारात्मकता को दूर करने का संकल्प लें।
2. घट स्थापना (कलश स्थापना)
- कलश का महत्व: घट स्थापना के लिए एक स्टैंड पर एक कलश रखा जाता है, जिसमें जल, सुपारी, सिक्का और ताजे पत्तों का उपयोग किया जाता है। कलश पर देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रखकर उनकी पूजा की जाती है।
- स्थान: कलश को घर के पूजा स्थल पर रखा जाता है, और इसके चारों ओर धागा बांधकर उसका पूजन किया जाता है।
- विधि: सबसे पहले, विधिपूर्वक गंगाजल से घर को शुद्ध करें और फिर कलश में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर रखें। इसके बाद देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और पूरे नवरात्रि के लिए उपवास रखने का संकल्प लें।
3. नौ दिनों की पूजा विधि
- पहला दिन: नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा करें। इस दिन गेंहू के आटे से बनाए गए लड्डू देवी को अर्पित करें।
- दूसरा दिन: देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। इस दिन व्रति लोग विशेष रूप से फलाहार करते हैं।
- तीसरा दिन: देवी चंद्रघंटा की पूजा करें और इस दिन विशेष रूप से नंदिनी व्रत करें।
- चौथा दिन: देवी कूष्मांडा की पूजा करें, जो घर के सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाली मानी जाती हैं।
- पाँचवा दिन: देवी स्कंदमाता की पूजा करें और खासकर इस दिन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कामना करें।
- छठा दिन: देवी कात्यायनी की पूजा करें। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है।
- सातवाँ दिन: देवी कालरात्रि की पूजा करें, जो संसार के समस्त कष्टों का नाश करने वाली मानी जाती हैं।
- आठवाँ दिन: देवी महागौरी की पूजा करें। इस दिन विशेष रूप से ध्यान और साधना का महत्व होता है।
- नवाँ दिन: देवी सिद्धिदात्री की पूजा करें। इस दिन व्रति देवी के चरणों में भक्ति अर्पित कर, जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति की कामना करें।
4. व्रत का पालन
- फलाहार: इस दौरान व्रति फलाहार कर सकते हैं, लेकिन मांसाहार, शराब, और तामसी आहार से दूर रहना चाहिए।
- नित्य पूजा: नवरात्रि के हर दिन देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और उनके मंत्रों का उच्चारण करें।
- सप्ताहिक आरती: इस दौरान देवी दुर्गा की आरती का पाठ करें और उनके चरणों में भक्ति अर्पित करें।
5. व्रत तोड़ने की विधि
नवरात्रि के अंतिम दिन, अर्थात नवमी को व्रत तोड़ने का एक खास तरीका है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद घर के सभी सदस्य मिलकर व्रत का पूजन समाप्त करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।
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समापन
चैत्र नवरात्रि एक ऐसी पावन बेला है, जब हम देवी दुर्गा की आराधना करके अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता ला सकते हैं। इस दिन से लेकर नौ दिनों तक की पूजा विधि और व्रत न केवल हमें शारीरिक रूप से शुद्ध करते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक दृष्टि से भी हमें ऊंचा उठाते हैं। इस बार की चैत्र नवरात्रि के शुभ मुहूर्त और व्रत विधि का पालन करके आप अपने जीवन में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव कर सकते हैं।