पाकिस्तान हॉकी महासंघ (PHF) के अध्यक्ष तारिक बुगती ने FIH और एशियाई हॉकी महासंघ (AHF) को लिखे पत्र में साफ शब्दों में कहा:
उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि मौजूदा राजनीतिक माहौल और सुरक्षा स्थिति को देखते हुए खिलाड़ियों में भय व्याप्त है, जिससे भारत में खेलने की इच्छा नहीं है। PHF ने खेल से ऊपर इस चिंता को रखकर FIH‑AHF से जवाब मांगा कि क्या उन्हें भारत में खेलने की गारंटी मिल सकती है।
आयोजन स्थल: राजगीर, बिहार
तारीख़: 27 अगस्त – 7 सितंबर, 2025
मुकाबलों की संख्या: 8 टीमें
उद्देश्य: हॉकी वर्ल्ड कप 2026 के लिए क्वालीफिकेशन
1. समसामयिक पृष्ठभूमि
भारत-पाकिस्तान के बीच भौगोलिक सीमाएँ जितनी संकुचित हैं, उतनी ही राजनैतिक और खेल के रिश्ते तनावपूर्ण भी। हालिया “पहल्गाम हमला” और “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे घटनाक्रमों ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय तनाव को और तेज किया है। इतना ही नहीं, सिर्फ बल्लेबाज़ी के मैदान ही नहीं, हॉकी जैसे पारंपरिक मुकाबलों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। इसका ताजगी उदाहरण है — पाकिस्तान की हॉकी टीम ने आगामी एशिया कप में भाग लेने को लेकर स्पष्ट “संशय” जताया है।

2. PHF ने क्यों जताई है सुरक्षा की चिंता
● पत्राचार में उठाए गए सवाल
पाकिस्तान हॉकी महासंघ (PHF) के अध्यक्ष तारिक बुगती ने FIH और AHF को लिखे पत्र में स्पष्ट कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत में खेलने को खिलाड़ी “सुरक्षित” महसूस नहीं कर रहे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मौजूदा राजनैतिक तनाव ने सुरक्षा का माहौल प्रभावित किया है।
● फेडरेशन की चिंता – खेल या जीवन?
PHF अध्यक्ष का कहना है कि खिलाड़ियों का मनोबल टूर्नामेंट की तुलना में कहीं अधिक कीमती है। वे “क्वालिफाइंग टूर्नामेंट” में खेलना चाहते हैं, लेकिन सुरक्षा अनिश्चय की स्थिति में इसे जोखिम बनाने से बचना जरूरी मानते हैं।
3. सरकार ने भी जताई आस्पष्ट ‘ना’
चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान सरकार ने भी टीम भेजने को लेकर अभी “स्पष्ट ना” की स्थिति प्रकट की है। विदेश मंत्रालय और खेल मंत्रालय दोनों ने पाकिस्तान राष्ट्रीय टीम की भागीदारी को लेकर हरी झंडी देने में संशय दिखाया है।
4. वर्ल्ड कप की राह पर असर

● क्वालीफाइंग टर्नामेंट का महत्व
एशिया कप सिर्फ महज़ चैम्पियनशिप नहीं है — यह FIH हॉकी वर्ल्ड कप 2026 (नीदरलैंड और बेल्जियम में) के लिए क्वालीफाइंग टूर्नामेंट भी है। पाकिस्तान के भाग न लेने से टीम सीधे तौर पर विश्व कप की राह से ठोकर खा सकती है।
● रैंकिंग और प्रतिस्पर्धा पर दबाव
पाकिस्तान फ़िलहाल 15वीं रैंक पर फ़िस्कली लड़खड़ा रही है, और इस एशिया कप की भूमिका उससे कहीं अहम है। टूर्नामेंट में गैर-उपस्थिति से न सिर्फ़ मैचों की प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी, बल्कि पाकिस्तान को टीम के विकास में भारी खोफ़ का सामना करना पड़ सकता है।
5. FIH और AHF की भूमिका
PHF की “ट.ball in their court” की अप्रोच के मुताबिक FIH और AHF को अब पाकिस्तान को सुरक्षा आश्वासन देना होगा। PHF स्पष्ट पूछ रहा है: “भारत में हमारे खिलाड़ी को सुरक्षित माहौल कैसे मिलेगा, वह खेल पर फोकस कैसे कर सकेंगे?”
टर्नामेंट आयोजक और अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन को यह सुनिश्चित करना होगा कि:
- खिलाड़ियों की निजी सुरक्षा सुनिश्चित हो
- वीज़ा और आवागमन में कोई अड़चने न आएं
- सरकार की ओर से किसी भी मुश्किल स्थिति की भरपाई हो
6. भारत की तैयारी और Hockey India की स्थिति
● Hockey India का आधिकारिक रुख
Hockey India ने पहले स्पष्ट किया था कि वह सरकार की गाइडलाइंस का पालन करेगा। PHF की चिंताओं के बावजूद Hockey India टूर्नामेंट को सुरक्षित आयोजित करने का भरोसा दे रहा है।
● राजगीर में इंतज़ाम
27 अगस्त से शुरू होने वाले टूर्नामेंट की मेजबानी राजगीर, बिहार कर रहा है — जहाँ की सुरक्षा और कार्यपरिवेश पर विशेष फोकस है। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के निर्देश जारी किए हैं।
7. इतिहास और राजनैतिक खेल – बैकग्राउंड
● भारत‑पाकिस्तान हॉकी इतिहास
1948 से लेकर अब तक भारत और पाकिस्तान की हॉकी में intense rivalry रही है। 181 मैचों में से पाकिस्तान का रिकॉर्ड बेहतर है — 82 जीत इसके पक्ष में, जबकि भारत ने 67 मुकाबले जीते।
विशेष रूप से, फॉर्च्यून चैलेंज-सीरीज़ से लेकर ओलंपिक और एशियाई गेम्स तक दोनों के बीच कई यादगार मुठभेड़ हुई है, जिसमें 1975 का विश्व कप फाइनल भी शामिल है।
● राजनीतिक तनाव का असर
2008 मुंबई हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय खेल सीमित हो गए, जिसमें हॉकी भी शामिल है। Cricket का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थगन हुआ, और हॉकी टूर्नामेंट में भी अड़चनें आने लगीं।
8. संभावित हल और अगला कदम
- सरकारी स्तर से वार्ता: पाकिस्तान सरकार से जांच करें कि क्या सुरक्षा एजेंसियों के साथ मजबूत उपाय किए गए हैं।
- FIH/AHF की प्रतिक्रिया: इन्हें पाकिस्तान की चिंताओं का गंभीरता से जवाब देना होगा — आतंकवाद, सोशल मीडिया भय, वीज़ा, अन्य इवेंट्स में भागीदारी का उदाहरण
- संयुक्त यात्रा/लॉजिस्टिक शेड्यूल: पाकिस्तान टीम को अन्य देशों की यात्रा के माध्यम से भारत लाया जाए जिसके जरिये टीम को मनोवैज्ञानिक सुखद माहौल मिले।
- बीमा और स्पॉर्मीट्स हेल्थ कवर: खिलाड़ियों को मेडिकल और सुरक्षा बीमा कवर दिया जाए, जिससे दौड़ और तनाव में राहत मिले।
9. संभावित अनुमति नहीं मिलने पर विकल्प
- पाकिस्तान की अनुपस्थिति: यदि टीम भाग नहीं लेती, तो FIH को पूल में फेरबदल करना होगा। Reddit पर चर्चा शुरू हो चुकी है कि पाकिस्तान की अनुपस्थिति से Group में imbalance हो सकता है और रद्द्रॉ की संभावना बढ़ जाएगी।
- खेल कथानक पर असर: जापान, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और भारत की भूमिका पर असर।
- विश्व कप क्वालीफिकेशन खतरे में: पाकिस्तान विश्व कप की दौड़ से बाहर हो सकता है, इससे उनके खिलाड़ियों का मनोबल भी प्रभावित होगा।
10. निष्कर्ष: खेल के मैदान पर राजनीति का दंश
इस बार एशिया कप हॉकी क्रिकेट की अपेक्षा कहीं अधिक महत्वपूर्ण बन गया है — क्योंकि यह भारत-पाकिस्तान संबंधों के तनाव और सुरक्षा चिंताओं का ज्वलंत उदाहरण है। PHF की पहल सकारात्मक हो सकती है, बशर्ते FIH, AHF और हॉकी इंडिया समय रहते प्रभावी कदम उठाएं।
राजगीर, बिहार को इस परिस्थिति में एक विराट मंच की तरह तैयार होना होगा — जहां खिलाड़ी बिना डर, सिर उठाकर खेल सकें। इसके लिए:
- सुरक्षा गारंटी होनी चाहिए
- सरकारी सहमति स्पष्ट होनी चाहिए
- मनोवैज्ञानिक माहौल सुरक्षित होना चाहिए
अन्यथा यह टूर्नामेंट सिर्फ एक खेल इवेंट नहीं रहेगा, यह एक राजनीतिक विवाद में तब्दील हो सकता है।
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