ई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने आगामी वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए देश की GDP वृद्धि का अनुमान 6.3% जताया है, जो RBI के अनुमान से थोड़ा कम है। SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इस आंकड़े को देश की आर्थिक स्थिति और विकास दर के संदर्भ में पेश किया है। वहीं, RBI(Reserve Bank of India) ने आगामी वर्ष के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.5% रखा था।
GDP वृद्धि का अनुमान: SBI ने क्या कहा?
SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने अपने शोध में कहा कि FY25 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.3% हो सकती है। उनके मुताबिक, यह वृद्धि दर RBI के अनुमानित 6.5% से कम है। यह अनुमान भारतीय अर्थव्यवस्था के आगामी विकास को लेकर उम्मीदों के साथ-साथ चुनौतियों का भी संकेत है, खासकर व्यापार, नौकरी और उधारी से संबंधित क्षेत्र में।
SBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आर्थिक गतिविधियों में नरमी के संकेत मिल रहे हैं, जैसे उपभोक्ता खर्च में कमी और निवेश के धीमे स्तर। इसके बावजूद, सरकार के आर्थिक सुधार और वृद्धि योजनाओं के चलते विकास दर में हल्की वृद्धि की उम्मीद जताई गई है।
आर्थिक वृद्धि का नया अनुमान
SBI के मुताबिक, FY25 में भारत की GDP में 6.3% की वृद्धि होगी, जो वैश्विक आर्थिक मंदी और घरेलू चुनौतियों को देखते हुए एक सतर्क लेकिन स्थिर वृद्धि का संकेत देती है। यह अनुमान RBI के 6.5% के अनुमान से थोड़ी कम है, जो यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास में मामूली मंदी आ सकती है।
SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार, निर्यात में गिरावट, व्यापारिक गतिविधियों में धीमापन, और कृषि क्षेत्र में उतार-चढ़ाव जैसे कारणों से 6.3% की वृद्धि संभव हो सकती है। हालांकि, आधुनिक सेवाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में वृद्धि की उम्मीदें इस अनुमान को सकारात्मक बनाए रखती हैं।
निर्यात और उपभोक्ता खर्च की भूमिका
SBI के अनुमान के अनुसार, देश के निर्यात क्षेत्र को ग्लोबल मंदी और अन्य अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, उपभोक्ता खर्च और निवेश गतिविधियों में बढ़ोतरी का आकलन किया गया है, जो GDP वृद्धि को कुछ हद तक सहारा देगा। हालांकि, घरेलू बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली में सुधार और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों से कुछ सुधार की उम्मीद की जा रही है।
RBI का दृष्टिकोण
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने GDP वृद्धि का अनुमान 6.5% रखा था, जो एक सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालांकि, SBI के मुताबिक स्मॉल सेक्टर और कृषि क्षेत्र में कुछ दबाव देखने को मिल सकता है। इस तरह, SBI और RBI के अनुमान में मामूली अंतर आने के बावजूद दोनों ही भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति का संकेत देते हैं।
SBI का वैश्विक दृष्टिकोण
SBI के रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय स्थिति और वैश्विक व्यापार पर दबाव बने रहने के बावजूद, भारत का आर्थिक दृष्टिकोण अन्य विकासशील देशों की तुलना में बेहतर रहने की उम्मीद है। SBI के मुताबिक, आने वाले समय में भारत की मजबूत आंतरिक मांग, वृद्धि दर, और विकसित सेक्टर के प्रभाव से देश के आर्थिक विकास की गति जारी रहने की संभावना है।
RBI का अनुमान और SBI का फर्क
RBI ने अपनी वर्षिक मौद्रिक नीति रिपोर्ट में FY25 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.5% रखा था, जबकि SBI ने इसे 6.3% तक सीमित किया है। दोनों संस्थाओं के बीच इस मामूली अंतर का कारण विभिन्न आर्थिक परिस्थितियों और वैश्विक कारकों को लेकर उनके अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं।
SBI के अनुसार, इस वृद्धि दर को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक वैश्विक मुद्रास्फीति, आर्थिक अनिश्चितताएं, और उधारी दरों में बदलाव हो सकते हैं। इसके अलावा, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में अपेक्षित वृद्धि से भी विकास की दिशा तय हो सकती है।
आर्थिक चुनौतियाँ और उम्मीदें
SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था को आगामी समय में बढ़ती महंगाई और वैश्विक मंदी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, आधिकारिक नीति सुधार और सरकारी योजनाओं के चलते, भारत आर्थिक स्थिरता की दिशा में बढ़ सकता है।
हालांकि, एसबीआई ने कहा कि निर्यात, निवेश और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से वृद्धि दर में सुधार हो सकता है। यदि सरकार इन क्षेत्र में मजबूती से कदम उठाती है, तो GDP वृद्धि को और बेहतर किया जा सकता है।
क्या मतलब है SBI के अनुमान से?
SBI का 6.3% का अनुमान भारत की वृद्धि दर के लिए एक सकारात्मक संकेत है, हालांकि यह RBI द्वारा जताए गए अनुमानों से थोड़ा कम है। ऐसे में, आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि सरकार और रिजर्व बैंक किस तरह से आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए कदम उठाते हैं।
यह आंकड़ा व्यापार, निवेश और सरकारी योजनाओं की सफलता पर भी निर्भर करेगा, जो नौकरी और उधारी के क्षेत्र में नए अवसर उत्पन्न कर सकते हैं। SBI का यह अनुमान आर्थिक रणनीतियों को दिशा देने के लिए एक मार्गदर्शक हो सकता है।
निष्कर्ष
SBI का अनुमान दर्शाता है कि FY25 में भारत की GDP में 6.3% की वृद्धि होगी, जो कि RBI के अनुमान से थोड़ी कम है। हालांकि, देश की आर्थिक वृद्धि के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक संकेत बने हुए हैं, और आने वाले समय में इस अनुमान में कोई बदलाव भी हो सकता है। अब देखना यह है कि इन आर्थिक अनुमानों और वित्तीय योजनाओं के प्रभाव से भारत की अर्थव्यवस्था किस दिशा में बढ़ेगी।