Monday, January 13, 2025
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ब्रिटिश शोषण का राज, PM मोदी ने किया उजागर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में हुए शोषण और अत्याचारों को उजागर करते हुए एक जोरदार बयान दिया। प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश साम्राज्य के काले इतिहास को सामने रखते हुए बताया कि किस प्रकार भारत के लोगों को अत्यधिक शोषण और कष्ट झेलने पड़े। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शहादतों को याद करते हुए ब्रिटिश शासन के काले दौर की सच्चाई को सार्वजनिक किया।

ब्रिटिश शासन के दौरान शोषण का इतिहास

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा कि ब्रिटिश शासकों ने भारत में शोषण की न केवल राजनीतिक और आर्थिक साजिशें रचीं, बल्कि भारतीयों की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी नुकसान पहुंचाया। भारत में हुए आर्थिक शोषण, विकास की अनदेखी, और कृषि संकट को लेकर मोदी ने विस्तार से अपनी बातें रखी। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटिश शासन ने भारत की प्राकृतिक संपत्तियों का दोहन किया और भारतीयों को केवल निरंतर संघर्ष और गरीबी में ही ढकेल दिया।

ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय कृषि, उद्योग, और व्यापार को जो क्षति हुई, उसका प्रभाव आज भी समाज में देखा जाता है। दीन-हीन हालत, कर्ज के जाल और भ्रष्ट शासन ने भारतीयों की स्थिति को और भी विकट बना दिया था। प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे ब्रिटिश साम्राज्य ने अपने फायदे के लिए भारत को एक सौदागर देश बना दिया और यहां के संसाधनों का पूरी तरह से शोषण किया।

ब्रिटिश साम्राज्य के काले पक्ष को उजागर करना

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हमारे क़ीमती संसाधनों का दोहन किया गया, हमारी औद्योगिक क्षमता को नष्ट किया गया, और हमारी संस्कृति को अपमानित किया गया।” उन्होंने उस समय के कुख्यात लूट और तस्करी को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें भारतीय धन का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटिश साम्राज्य को भेजा गया था, जिससे हमारे लोगों को कुछ भी नहीं मिला।

आधुनिक भारत का संकल्प

प्रधानमंत्री ने इस पूरे संदर्भ में आधुनिक भारत के संकल्प को भी जोड़ा और कहा, “आज भारत एक मजबूत और आत्मनिर्भर देश के रूप में खड़ा है। हम अपने इतिहास को समझते हुए अपनी ताकत को पहचानते हैं। अब हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारे देश में कोई भी दूसरा शोषण न हो, और हम अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में जो शहीद हुए, उनकी शहादतों को सम्मानित करते हुए हम यह कसम खाते हैं कि भारत को कभी भी वहीं कमजोर स्थिति में नहीं जाने देंगे, जैसा कि पहले ब्रिटिश साम्राज्य के शोषण में हुआ था।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर ब्रिटिश शोषण का मुद्दा उठाना

प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ब्रिटिश शासन के दौरान हुए शोषण और अत्याचारों की सच्चाई को उजागर करने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे भारत के खिलाफ किये गए अन्याय के लिए माफी मांगे और इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज को हुए नुकसान की भरपाई करें।

कृषि संकट और लाखों मौतें

मोदी ने यह भी बताया कि ब्रिटिश शासकों के गलत नीतियों के कारण भारत में अकाल और खाद्य संकट ने लाखों भारतीयों की जान ले ली। कृषि संकट, भ्रष्ट सरकारी तंत्र, और अत्यधिक करों के चलते भारतीय किसान और गरीब वर्ग शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान थे। प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे बंगाल का बड़ा अकाल और देश भर में फैली महामारी ब्रिटिश शासन के दौरान अविचारपूर्ण नीतियों का परिणाम थीं।

आधिकारिक रिपोर्टों का हवाला

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कुछ अहम ब्रिटिश रिपोर्टों और दस्तावेजों का भी हवाला दिया, जिनसे यह साबित होता है कि ब्रिटिश शासक भारत से धन की अवैध निकासी करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि संपत्ति की लूट और श्रम की भारी शोषण के कारण भारत लंबे समय तक विकास की प्रक्रिया से बाहर रहा। इन तथ्यों को प्रधानमंत्री ने एक गहरे इतिहास के रूप में प्रस्तुत किया, जो आज भी हमारी समाज और राजनीति को प्रभावित करता है।

ब्रिटिश साम्राज्य की निरंकुशता

प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश साम्राज्य की निरंकुशता पर भी तीखा हमला किया। उनका कहना था कि अंग्रेजों ने भारत में सांस्कृतिक लूट, शासन का अत्याचार और शोषण की मानसिकता के कारण भारतीयों की पहचान और स्वतंत्रता को दबाया। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीयों को केवल उपभोक्ता बना दिया और यहां के व्यापार को पूरी तरह से नियंत्रण में लिया।

आधुनिक भारत और सशक्त राष्ट्र

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि आज भारत, एक सशक्त राष्ट्र बनकर उभरा है, जो न केवल आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बना चुका है। यह बदलाव उस स्वतंत्रता संग्राम की विरासत से आया है, जिसमें हर भारतीय ने भाग लिया था और उन ब्रिटिश अत्याचारों का विरोध किया था।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के शोषण के खिलाफ एक तगड़ा कदम था, बल्कि यह भारतीय जनता के अधिकारों और गौरव को फिर से स्थापित करने का एक संकेत था। मोदी जी ने यह स्पष्ट किया कि भारत का वर्तमान और भविष्य पहले के इतिहास से कहीं ज्यादा मजबूत है और देश अपनी आंतरिक ताकत पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ेगा।

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