भारत में जहरीली सिपों की त्रासदी: बच्चों की मौतों पर WHO ने जताई गहरी चिंता, CDSCO को दिया समर्थन
📌 पृष्ठभूमि — क्या हुआ?
- मध्य प्रदेश और राजस्थान में 250 से कम आयु के बच्चों की मौतें हुईं हैं, जो कि गले की बीमारी के इलाज में दी गई सिपों के सेवन के बाद गुर्दे की विफलता से मरे।
- मुख्य संदिग्ध है ColdRif नाम की कफ सिरप, जिसमें परीक्षणों में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) मिले — जो कि अत्यधिक विषैला औद्योगिक रसायन है।
- अन्य सिप — Respifresh TR और ReLife — भी संदिग्ध पाए गए हैं जिनमें DEG की मात्रा क्रमशः लगभग 1.342% और 0.616% मिली है। इन सभी सिपों को वापिस बुलाए जाने का आदेश जारी किया गया है।
- भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि ColdRif सिरप में DEG की सीमा अनुमेय स्तर से बहुत अधिक है।
- CDSCO (Central Drugs Standard Control Organisation) ने बताया है कि दोषपूर्ण सिपों का उत्पादन रोकने और सभी मेडिकल उत्पादों का उत्पादन बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
🌐 WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की भूमिका और प्रतिक्रिया

- WHO ने इस घटना पर “गहरी संवेदना” व्यक्त की है और प्रभावित परिवारों को अपनी संवेदनाएँ भेजी हैं।
- संगठन ने यह स्पष्ट किया कि वह भारतीय अधिकारियों को जांच और प्रतिक्रिया में समर्थन करने के लिए तैयार है।
- WHO ने इस घटना में नियामक अंतराल (regulatory gap) की ओर ध्यान खींचा है, विशेषकर घरेलू बाज़ार में बेचे जाने वाले दवाओं में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और एथाइलीन ग्लाइकोल (EG) की जांच न करने में कमी।
- WHO ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि ऐसी दूषित दवाएँ अनियंत्रित चैनलों से विदेशों में प्रवेश करें तो यह वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम बन सकती हैं।
- CDSCO को भेजे गए संवाद में WHO ने तीन प्रमुख नामों की पुष्टि की — ColdRif, Respifresh TR, और ReLife — जिनमें DEG पाए गए हैं। इन दवाओं को तुरंत वापस बुलाने और उत्पादन बंद करने का आदेश दिया गया है।
- CDSCO ने WHO को बताया कि इन दोषपूर्ण सिपों का निर्यात नहीं किया गया।
🧪 डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) एवं एथाइलीन ग्लाइकोल (EG) — शत्रु छिपा दुष्कर्म
- DEG और EG, औद्योगिक रसायन हैं, जिन्हें कभी-कभी दवाओं में घोल के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला सुरक्षित घटक ग्लिसरीन या प्रोपलेन ग्लाइकोल के स्थान पर असुरक्षित या कम लागत वाले विकल्प के रूप में मिलाने की कोशिश की जाती है।
- जब बच्चों द्वारा इन्हें सेवन किया जाता है, तो यह तेजी से गुर्दे की तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है, जिससे acute kidney injury (AKI), मेटाबॉलिक एसिडोसिस, और अंततः मृत्यु हो सकती है।
- इस तरह के विषाक्त इंजेक्शन पिछले वर्षों में अन्य देशों में भी दर्ज किए गए, जैसे कि गाम्बिया, पाकिस्तान, इंडोनेशिया आदि।
🔍 निहित चुनौतियाँ और लीक हो रही कमियाँ

- नियमित जांच का अभाव
भारत में दवाओं के प्रमुख घटकों (excipients) जैसे ग्लिसरीन या प्रोपलेन ग्लाइकोल पर DEG/EG जांच अनिवार्य नहीं थी, जिससे यह एक बड़े नियामक छेद बन गया। WHO ने इस नियामक अंतराल को चिंताजनक बताया है। - आपूर्ति श्रृंखला की अस्पष्टता
कई बार घटक आपूर्तिकर्ता द्वारा दिए गए COA (Certificate of Analysis) पर भरोसा कर लिया जाता है, लेकिन वास्तविक स्वच्छता परीक्षण नहीं होते। - ग़ैर नियन्त्रित / अनियंत्रित चैनल
दोषपूर्ण दवाएं अनियंत्रित विक्रेताओं, ग़ैर मान्यता प्राप्त फार्मेसियों या ऑनलाइन अवैध व्यापार मार्गों से अन्य राज्यों या देशों तक पहुंच सकती हैं। WHO ने इस संभावना को चेतावनी दी है। - दुर्भाग्यपूर्ण रिकॉर्ड और पारदर्शिता की कमी
घटना से जुड़े जावकायनत्रण, वितरण विवरण, निर्माण प्रक्रिया और दोष पहचान में पारदर्शिता का अभाव है, जिससे दोषियों की पहचान और उन्हें जवाबदेह ठहराना मुश्किल हो रहा है।
🏛️ भारत की प्रतिक्रिया: CDSCO और अन्य कदम
- CDSCO ने तीन नामित सिपों (ColdRif, Respifresh TR, ReLife) को रोकने, वापिस बुलाने, और उन कंपनियों को उत्पादन बंद करने का आदेश दिया है।
- राज्य स्तर पर कई इकाइयों की फ़ार्मास्यूटिकल गुणवत्ता जांच बढ़ाई गई है।
- स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्य सरकारों ने दोषियों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है और मामले की जांच को मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है।
- केरल सरकार ने चेतावनी दी कि कफ सिरप बिना डॉक्टर की नुस्खे के नहीं बेची जाएंगी, और संदिग्ध सिपों की जब्ती की प्रक्रिया शुरू की है
- फार्मा इकाइयों के निरीक्षण पर जोर बढ़ाया गया है — कई यूनिट्स को निर्माण ठहराने का आदेश मिल चुका है।
🌱 आगे की राह: सुधार और पुनर्स्थापन
✅ सुझाव और अनुशंसाएँ
- DEG / EG जांच को अनिवार्य करें
हर दवा निर्माण प्रक्रिया में इन रसायनों की पहचान की जानी चाहिए।
U.S. FDA ने इसी तरह की गाइडलाइंस जारी की हैं — दवा घटकों में DEG/EG पूरी तरह से स्क्रीनेबल हो। - सप्लायर योग्यता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करें
घटक आपूर्तिकर्ताओं की गुणवत्ता, COA सत्यापन, और ट्रेसबिलिटी (chain of custody) सुनिश्चित करना आवश्यक है। - परीक्षण लैबरटोरी नेटवर्क सुदृढ़ करें
राज्य और केंद्र स्तर पर आधुनिक परीक्षण सुविधाएँ हों, ताकि संदिग्ध सैंपलों की त्वरित जाँच हो सके। - पारदर्शिता और दोषी जवाबदेही
निर्माण प्रक्रिया, आपूर्तिकर्ताओं, वितरण चेन — सभी का लेखा-जोखा सार्वजनिक होना चाहिए। दोष पाए जाने पर आपराधिक मामला दर्ज हो। - नियमित अंडर कर्ब निगरानी (Post-market surveillance)
बाजार से सैंपल लेना, याददाश्त दर को कम करना, और उपयोगकर्ता शिकायतों को गंभीरता से लेना आवश्यक है। - जनसंपर्क और चेतना अभियान
माता-पिता और चिकित्सा समुदाय को जागरूक करना — कि सिर्फ नुस्खे के बिना दवाएं नहीं लेनी चाहिए। डॉक्टर निर्देशों का पालन करना चाहिए। - अंतरराष्ट्रीय तालमेल और सूचना साझेदारी
WHO, अन्य देशों और ड्रग नियंत्रण एजेंसियों के साथ साझा डेटा, चेतावनियाँ और जांच सहायता होनी चाहिए। WHO ने कहा है कि वह भारतीय अधिकारियों को इस जांच में समर्थन देने के लिए तैयार है।
🏁 निष्कर्ष
यह दर्दनाक त्रासदी हमें यह याद दिलाती है कि दवा सिर्फ नाम नहीं, जीवन है। मानवीय सुरक्षा से खेलना अतिशय खतरनाक है।
WHO की चेतावनी — “नियामक अंतराल” — इस घटना को वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा मानदंडों की दृष्टि से भी गंभीर बनाती है।
भारत को इस घटना से मजबूत शिक्षा लेने की जरूरत है — न केवल दोषियों को पकड़ने की, बल्कि भविष्य में इसे रोकने की व्यवस्था बनाने की।
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एक माँ, एक बच्चा, एक परिवार की आँखों में चमक लाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।
और अगर हम दवाओं के निर्माण, निरीक्षण और वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी लाएँ, तो डॉक्टर की दवाइयाँ हमें बचाने के बजाय मारने का ज़रिया नहीं बनेंगी।