अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अक्सर सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं, और एक ऐसा ही सवाल हाल ही में कनाडा के रक्षा मंत्रालय के समक्ष खड़ा हुआ है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्थापित “आयरन डोम” (Iron Dome) की रक्षा प्रणाली को लेकर कनाडा में गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। क्या कनाडा इस रक्षा तकनीकी प्रणाली का समर्थन करेगा या फिर इससे दूरी बनाए रखेगा? इस सवाल का जवाब अब कनाडा के रक्षा मंत्री हर्गीत सज्जान ने अपनी हालिया बयानबाजी में दिया है, जिसने इस मुद्दे पर बहस को नया मोड़ दिया है।
आयरन डोम क्या है?
“आयरन डोम” एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे इजरायल ने विकसित किया है। यह सिस्टम छोटी और मध्यम रेंज की मिसाइलों और अन्य हवाई खतरों से रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे पहली बार 2011 में इजरायल द्वारा इस्तेमाल किया गया था, और तब से यह सिस्टम कई बार युद्ध और संकट के समय इजरायल की रक्षा में कारगर साबित हुआ है। यह सिस्टम बेहद सटीकता से दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है और इजरायल की रक्षा की रीढ़ के रूप में काम करता है।
ट्रंप और आयरन डोम:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में, अमेरिका ने इजरायल को “आयरन डोम” की प्रणाली को और भी अधिक मजबूत बनाने में मदद की। ट्रंप प्रशासन ने इस रक्षा प्रणाली के लिए इजरायल को वित्तीय सहायता भी प्रदान की, जिससे यह और अधिक प्रभावी हो सका। ट्रंप का इजरायल के प्रति समर्थन हमेशा स्पष्ट रहा है, और उन्होंने इजरायल को वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा।

अब, जब अमेरिकी राजनीति में बदलाव आ चुका है और राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव हो रहा है, तो कनाडा जैसी शक्तियाँ यह सवाल उठा रही हैं कि क्या इस प्रणाली को समर्थन देने का समय आ गया है, या फिर इसका विरोध किया जाए।
कनाडा का रुख:
कनाडा ने हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि, इस बार रक्षा मंत्री हर्गीत सज्जान ने “आयरन डोम” को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कुछ अहम बिंदु उठाए। सज्जान ने कहा, “हमारा लक्ष्य हमेशा शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना रहा है। हम यह समझते हैं कि इजरायल को अपनी सुरक्षा के लिए आधुनिक रक्षा प्रणालियों की जरूरत है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि हम इसके वैश्विक प्रभावों पर विचार करें। हम किसी भी प्रणाली को स्वीकार करने से पहले इसके अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और मानवाधिकारों पर प्रभाव का गहराई से मूल्यांकन करेंगे।”
यह बयान कनाडा की सरकार के समग्र सुरक्षा दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालांकि, रक्षा मंत्री सज्जान ने यह भी साफ किया कि कनाडा इजरायल के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है, लेकिन यह तय करना कि “आयरन डोम” प्रणाली को समर्थन दिया जाए, एक लंबी प्रक्रिया होगी, जो विभिन्न विशेषज्ञों और राजनीतिक नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद ही संभव होगी।
कनाडा के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में आयरन डोम
कनाडा, जो संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और अंतर्राष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थ के रूप में खुद को पेश करता है, उसे यह समझने की आवश्यकता है कि आयरन डोम का समर्थन केवल इजरायल की रक्षा तक सीमित नहीं रहेगा। इस रक्षा प्रणाली का समर्थन करने से कनाडा का कद और वैश्विक रुख प्रभावित हो सकता है, खासकर पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व में।
यहां तक कि कनाडा के कुछ मानवाधिकार संगठन इस प्रणाली को लेकर सशंकित हैं। उनका मानना है कि यह प्रणाली इस्राइल को अधिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान कर सकती है, जिससे क्षेत्रीय संघर्ष और तनाव बढ़ सकते हैं। कनाडा के इन संगठनों ने यह चेतावनी दी है कि अगर कनाडा “आयरन डोम” का समर्थन करता है, तो उसे वैश्विक स्तर पर इसका आकलन करना होगा और इस्राइल के साथ उसके संबंधों को लेकर बहुत ध्यान से काम करना होगा।
इजरायल के साथ कनाडा का रिश्ता:
कनाडा और इजरायल के बीच हमेशा एक मजबूत और सहयोगी रिश्ता रहा है। दोनों देशों ने व्यापार, सुरक्षा, और विज्ञान के क्षेत्र में आपसी सहयोग को हमेशा बढ़ावा दिया है। हालांकि, कनाडा अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है, और उसे हमेशा यह सुनिश्चित करना होता है कि उसके फैसले अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में उसके रुख को प्रभावित न करें।
इजरायल ने हमेशा अपने सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए अमेरिकी और अन्य देशों के समर्थन की अपील की है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कनाडा किस दिशा में कदम उठाता है और क्या वह इस तकनीकी प्रणाली का समर्थन करने के लिए तैयार होता है।
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कनाडा के फैसले का वैश्विक प्रभाव
अगर कनाडा “आयरन डोम” को समर्थन देने का फैसला करता है, तो इसका वैश्विक राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा। इस कदम से कनाडा की नीति का और अधिक वैश्विक स्तर पर मूल्यांकन होगा, खासकर पश्चिमी एशिया के देशों और संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में।
दूसरी ओर, यदि कनाडा इस प्रणाली का विरोध करता है, तो यह इजरायल और कनाडा के रिश्तों में कुछ तनाव पैदा कर सकता है, हालांकि दोनों देशों के बीच यह रिश्ता बहुत मजबूत है।
निष्कर्ष:
कनाडा के रक्षा मंत्री हर्गीत सज्जान द्वारा उठाए गए सवालों और उनके बयान से यह स्पष्ट है कि “आयरन डोम” को लेकर कनाडा का रुख अभी तय नहीं हुआ है। हालांकि, कनाडा की सरकार ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श और आकलन के बाद ही कोई निर्णय लेने का संकेत दिया है। “आयरन डोम” जैसी रक्षा प्रणालियों का समर्थन करने का निर्णय अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, मानवाधिकारों, और क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। कनाडा के भविष्य के फैसले वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है।