शतरंज की बिसात पर भारत एक बार फिर से इतिहास लिखने की तैयारी में है। 23 साल के लंबे इंतज़ार के बाद विश्व शतरंज कप (Chess World Cup) भारत की धरती पर लौट रहा है। गोवा के नीले समंदर और सुनहरी रेत के बीच, 30 अक्टूबर से 27 नवंबर 2025 तक यह महाकुंभ आयोजित होगा। दुनिया भर से 90 से अधिक देशों के धुरंधर खिलाड़ी भारत में शतरंज का जलवा बिखेरेंगे।
इस आयोजन को लेकर खिलाड़ियों, प्रशंसकों और आयोजकों के बीच भारी उत्साह है। अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) के अध्यक्ष आर्केडी ड्वोर्कोविच ने इसे “शतरंज का उत्सव और दुनिया के लिए अविस्मरणीय अनुभव” बताया है।
2002 से 2025 तक: भारत की शतरंज यात्रा
आखिरी बार भारत ने 2002 में हैदराबाद में इस टूर्नामेंट की मेजबानी की थी। तब भारतीय शतरंज के लिए यह गौरव का क्षण था, क्योंकि महान ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने खिताब अपने नाम किया था।

2002 से अब तक भारतीय शतरंज ने लंबी दूरी तय की है।
- तब भारत में चुनिंदा ग्रैंडमास्टर ही थे,
- आज भारत दुनिया के शीर्ष शतरंज देशों में गिना जाता है।
- देश ने प्रज्ञानानंदा, अर्जुन एरिगेसी, निहाल सरीन और गुकेश जैसे युवा सितारे दिए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचा रहे हैं।
इस बीच शतरंज अब सिर्फ किताबों या छोटे क्लबों तक सीमित नहीं रहा। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया और स्कूल प्रोग्राम्स ने शतरंज को नए युग में पहुँचा दिया। भारत में यह खेल अब क्रिकेट और बैडमिंटन जैसी लोकप्रियता की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
टूर्नामेंट का स्वरूप: जीत या घर वापसी
फिडे के मुताबिक, वर्ल्ड कप का प्रारूप बेहद रोमांचक और चुनौतीपूर्ण है।

- नॉकआउट प्रणाली अपनाई गई है: हर दौर जीतो या घर जाओ।
- कुल आठ दौर होंगे।
- हर मैच में दो क्लासिकल गेम खेले जाएंगे।
- अगर दोनों बराबरी पर रहते हैं, तो रैपिड और ब्लिट्ज प्लेऑफ होंगे।
- शीर्ष 50 वरीय खिलाड़ी सीधे दूसरे दौर से शुरुआत करेंगे, यानी उन्हें पहले दौर में बाई मिलेगी।
इससे टूर्नामेंट का हर मैच न केवल खिलाड़ियों के लिए परीक्षा होगा बल्कि दर्शकों के लिए भी दिलचस्प अनुभव बनेगा।
भारत की उम्मीदें: युवा और दिग्गज दोनों मैदान में

भारत के 21 खिलाड़ियों को प्रवेश सूची में जगह मिली है। इनमें सबसे बड़ा नाम है – पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद।
- आनंद ने जून 2025 की फिडे रेटिंग सूची से क्वालीफाई किया है।
- हालांकि उन्होंने लंबे समय से क्लासिकल शतरंज नहीं खेला है, जिससे उनकी भागीदारी को लेकर कुछ असमंजस है।
- लेकिन अगर वे खेलते हैं तो भारतीय प्रशंसकों के लिए यह किसी त्योहार से कम नहीं होगा।
वहीं भारत के युवा सितारे भी इस बार अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए तैयार हैं –
- प्रज्ञानानंदा: 2023 में कार्लसन को हराकर सुर्खियों में आए।
- अर्जुन एरिगेसी: अपनी आक्रामक शैली के लिए मशहूर।
- निहाल सरीन: रैपिड और ब्लिट्ज में अपनी तेज़ चालों से प्रतिद्वंद्वियों को चौंकाते हैं।
इन खिलाड़ियों ने दिखा दिया है कि भारत केवल परंपरा और दिग्गजों पर निर्भर नहीं है, बल्कि नए युग के सितारे भी चमकने को तैयार हैं।
गुकेश का सवाल
दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन डी. गुकेश कैंडिडेट्स क्वालीफिकेशन दौड़ का हिस्सा नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि वे इस टूर्नामेंट में केवल पुरस्कार राशि और रेटिंग अंकों के लिए खेल सकते हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे भाग लेते हैं और अगर लेते हैं तो उनका प्रदर्शन किस स्तर का रहता है।
90 से अधिक देशों की भागीदारी

इस टूर्नामेंट में 90 से अधिक देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।
- यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका – सभी महाद्वीपों से खिलाड़ी आएंगे।
- इसमें विश्व के शीर्ष रैंकिंग वाले खिलाड़ी भी शामिल होंगे।
- कई ऐसे उभरते ग्रैंडमास्टर होंगे जो इस मंच पर खुद को साबित करने की कोशिश करेंगे।
फिडे का कहना है कि यह प्रतियोगिता शतरंज के इतिहास की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली प्रतियोगिताओं में से एक होगी।
गोवा: खेल और संस्कृति का संगम
गोवा में इस आयोजन का होना अपने आप में खास है।
- यहां के पर्यटन स्थल, समुद्र तट और सांस्कृतिक माहौल टूर्नामेंट को अलग पहचान देंगे।
- दर्शक न केवल शतरंज का आनंद लेंगे, बल्कि गोवा की खूबसूरती और संस्कृति से भी रूबरू होंगे।
- राज्य सरकार और आयोजन समिति मिलकर इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से सजाने में जुटी है।
पुरस्कार राशि और प्रतिष्ठा
हालांकि आधिकारिक पुरस्कार राशि का ऐलान अभी बाकी है, लेकिन अनुमान है कि यह अब तक की सबसे बड़ी प्राइज मनी में से एक होगी।
- विजेता खिलाड़ी को न केवल खिताब मिलेगा बल्कि रेटिंग अंकों में भी भारी बढ़त होगी।
- इसके साथ ही यह खिताब किसी भी खिलाड़ी के करियर में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
भारतीय शतरंज: सुनहरा भविष्य
पिछले कुछ सालों में भारतीय शतरंज ने अभूतपूर्व विकास किया है।
- 1988 में आनंद भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने थे।
- 2025 आते-आते भारत के पास 85 से ज्यादा ग्रैंडमास्टर हैं।
- भारत अब रूस और अमेरिका जैसे देशों को टक्कर दे रहा है।
शतरंज अब भारतीय बच्चों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनने लगा है। कई स्कूलों ने इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया है। ऑनलाइन टूर्नामेंट्स और ऐप्स ने भी इसकी लोकप्रियता को नई ऊंचाई दी है।
विशेषज्ञों की राय
शतरंज विश्लेषकों का मानना है कि भारत में वर्ल्ड कप की वापसी केवल खेल आयोजन भर नहीं है, बल्कि यह “भारत की नई पहचान” का प्रतीक है।
- खेल पत्रकारों का कहना है कि गोवा में होने वाला यह टूर्नामेंट भारतीय खिलाड़ियों को घरेलू समर्थन और आत्मविश्वास देगा।
- कोच मानते हैं कि यह टूर्नामेंट आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
निष्कर्ष
23 साल बाद भारत में लौट रहा यह चेस वर्ल्ड कप केवल खेल का आयोजन नहीं है, बल्कि भारतीय शतरंज की ताकत, जुनून और यात्रा का उत्सव है।
- 2002 में आनंद की जीत से लेकर 2025 में प्रज्ञानानंदा और गुकेश जैसे सितारों तक, यह सफर भारतीय शतरंज की उभरती ताकत को दर्शाता है।
- 30 अक्टूबर से 27 नवंबर तक गोवा की धरती पर शतरंज के मोहरे केवल खिलाड़ी ही नहीं चलाएंगे, बल्कि भारत का गर्व, उम्मीदें और सपने भी उनके साथ बिसात पर सजेंगे।
यह टूर्नामेंट भारतीय खेल इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा – जहां भारत केवल मेजबान ही नहीं, बल्कि खिताब का प्रबल दावेदार भी होगा।
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