31 जुलाई 2025 | निर्देशक: गौतम तिन्नानुरी | लेखक: गौतम तिन्नानुरी & के. वासंथ कुमार
कलाकार: विजय देवरकोंण्डा (सुरी), सत्यदेव (सिवा), भाग्यश्री बोर्से
निर्माता: एस. नागा वामसी & साईं सौजन्या | संगीत: अनिरुद्ध रविचंद्रर | कैमरा: गिरीश गंगाधरन, जोमोन टी. जॉन | बजट: ~₹100 करोड़
‘किंगडम’ की शुरुआत होती है 1947–1980 के बीच, भारतीय सीमावर्ती इलाकों में आदिवासी समूहों पर होने वाले अत्याचार और नरसंहार की भयावह दुनिया से। ये हिंसा गांवों को तबाह कर देती है, हजारों लोगों को विस्थापित करती है और त्रासदियां नए नेताओं को जन्म देती हैं
1. पृष्ठभूमि और निर्माण सफर
गौतम तिन्नानुरी, जिन्होंने ‘जेर्सी’ जैसी हिट फिल्में दी हैं, ‘किंगडम’ में स्पाई थ्रिलर की नई परतों को सामने लाए हैं
यह प्रोजेक्ट जनवरी 2023 में ‘VD12’ के रूप में घोषित हुआ, और फरवरी 2025 में आधिकारिकतौर पर ‘किंगडम’ नाम दिया गया

फिल्म की 80% शूटिंग जून 2023 से जनवरी 2025 तक हैदराबाद, विशाखापत्तनम, केरल, श्रीलंका में पूरी की गई । अंतरराष्ट्रीय लोकेशंस ने इसे एक पैन‑इंडिया स्तर का अनुभव दिया है।
2. दो भागों की रणनीति
निर्माता नागा वामसी ने बताया कि ‘किंगडम’ को दो भागों में रिलीज करने की योजना बनाई गई है ताकि कहानी का हर मोड़ स्पष्ट और स्मूद हो
इससे पहला भाग आंशिक क्लाइमेक्स पर खत्म होगा और दूसरा उससे जुड़ा शुरू होगा।
3. कथानक: इतिहास, वॉर, और एक नेता की पैदाइश
🔥 सहलते जख्मों की शुरुआत
फिल्म की शुरुआत 1947–1980 के कालखंड में होती है, जब भारत–श्रीलंका बॉर्डर इलाकों में रहने वाले आदिवासी–शरणार्थी घमासान नरसंहारों का शिकार होते हैं ।
युवा सुरी (विजय देवरकोंड़ा) अपने परिवार और गांव को खोकर आत्मरक्षा संगठन में शामिल होता है, जहाँ उसे कठोर ट्रेनिंग मिलती है।

🎭 दोहरा चरित्र
बड़े होकर सरी अपनी पहचान छुपाकर दरिंदे, तालेवार अध्यक्ष, गुप्त एजेंट के रूप में उभरता है, पर असल में वह भारतीय खुफिया (इंटेलिजेंस) के लिए काम कर रहा है
उसकी रणनीति धोखे, रणनीति और डर से संपन्न होती है—जहाँ वह माफिया, चरित्र भीतरी साज़िशों, और सरकारी ताकतों को चित करता है।
🎯 मिशन और क्लाइमेक्स
पहले भाग में हम देखते हैं:
- कैसे सुरि ने गुप्त छद्म केसिंग और आत्मकुर्बानी का रास्ता अपनाया।
- उसका टकराव आदिवासी उत्पीड़न के लीडर्स, द्वितीय चरित्र सिवा (सत्यदेव?) से शुरू होता है।
- भाग्यश्री बोर्से का किरदार गुप्त प्रेम/मिशन सहयोगिनी की भूमिका में उसकी नैतिक तरफ को छूता है
- पहला भाग विविध मंचों की राजनीति, बदले, अपराध-जैसे मोड़ों के साथ समाप्त होता है—जहां सुरि उस गेम का अहम् भाग बन गया है।
4. तकनीकी ताकत और विज़ुअलाइजेशन
- कैमरामैन: गिरीश गंगाधरन और जोमोन टी. जॉन ने ग्रेनी क्लाइमेट, बैटल सीन्स और वॉरफील्ड को सिनेमैटिक गहराई दी है
- एडिटिंग: नविन नूली की तेज कट्स, लम्बे शॉट्स और इमोशनल ब्रेक – कहानी को अखंड बनाए रखते हैं
- संगीत: अनिरुद्ध रविचंद्रर के बैकग्राउंड स्कोर ने इमोशनल-एक्शन सीन को दसगुणा प्रभावी बनाया है; गाने “Hridayam Lopala” और “Anna Antene” भावनाओं को बढ़ाते हैं
5. थ्रिलर तत्व और पुनर्जन्म का विषय
टीज़र और प्रीव्यू में “रिइन्कार्नेटेड लीडर” की बात कही गई है—जो एक अमिट आत्मा को जन्म देती है जो युद्ध और नैतिक स्थिरता का मार्गदर्शन करती है
यह दृष्टिकोण जयावंत पंथ कथा, ‘हनुमान की लंका जलाई’ जैसी पौराणिक भावनाओं से प्रेरित प्रतीत होता है
6. किरदार और परस्पर संबंध
किरदार | अभिनेता | भूमिका और संबंध |
---|---|---|
सुरी | विजय देवरकोंड़ा | युवा नेता, गुप्त एजेंट, आदिवासी उत्पीड़न का मुकाबला करता है। |
सिवा | सत्यदेव | सुरी का कम्पटीशन/ब्रदर, देश और रणनीतिक जुड़ाव का द्वंद विच्छेद करता है। |
अज्ञात स्त्रीचरित्र | भाग्यश्री बोर्से | सुरी की साथिनी—मिशन/प्रेम/मनोवैज्ञानिक भूमिका निभा रही है। |
सिवा के रूप में सत्यदेव का रोल ‘सब कुछ जानने वाले, भरोसेमंद’ से ‘शत्रु या भाई’ तब्दील हो सकता है
7. रिलीज़ शेड्यूल और OTT डील
- थिएट्रिकल: सिनेमाघरों में 31 जुलाई 2025 को धमाकेदार रिलीज़ ।
- पहली रिलीज़ की कोशिशें: मूल रूप से 30 मई, फिर 4 जुलाई को स्थगित हुई थी ।
- OTT राइट्स: हिंदी वर्ज़न ‘साम्राज्य’ के नाम से Netflix के साथ ₹50 करोड़ में डील
8. कहानी की मजबूत बिंदु
- इतिहास + पौराणिकता: युद्ध-कथाओं को आधुनिक काल के संदर्भ में जोड़ती है।
- अंतरराष्ट्रीय पैन-इंडिया दृष्टिकोण: लोकेशंस, संगीत, भाषा और स्पाई फॉर्मुला ग्लोबल अपील को बढ़ाता है।
- थ्रिलर-ड्रामा संतुलन: व्यक्तिगत दर्द, जासूसी चालें और युद्ध की कहानी एक सूत्र में बांधती है।
- ग्रेन मूल्यांकन: कुछ दृश्य ‘KGF’, ‘सालार’ जैसी फिल्में याद दिला सकते हैं, लेकिन इसके गहरे पौराणिक तत्व इसे अलग बनाते हैं ।
9. पहले रुझान और दर्शकों की प्रत्याशाएँ
- USA में एडवांस बुकिंग ने इशारा दिया कि ‘किंगडम’ एक विशिष्ट ‘कमबैक’ बनाने जा रही है ।
- टॉलरेंसलैंड ग्रुप कनेक्शन – विरुद्ध सामाजिक-राजनीतिक लड़ाई के प्रेमी दर्शक इसका स्वागत कर सकते हैं।
- स्पाई थ्रिलर पहचाने: भारत में पहले सेंसर-लेवल बिग डिस्कवरी नहीं हैं, यह नया ट्रेंड हो सकता है।
10. निष्कर्ष – एक साम्राज्य-यात्रा की शुरुआत
‘किंगडम’ केवल एक फिल्म नहीं; यह एक मिशन, और एक भावनात्मक युद्ध है। यह कहानी व्यक्तिगत दर्द से उठकर समाज-राजनीति, युद्ध और जासूसी तक जाती प्रतीत होती है। दो भागों में इसका होना इसे सिनेमाई ब्रह्मांड बनाता है।
31 जुलाई को पर्दे पर यह कहानी एक लैजेंड की पुनरावृत्ति, एक नई शक्ति की पैदाइश, और शायद एक नए भविष्य के साम्राज्य की शुरुआत करेगी।
क्या सोचते हैं आप?
- क्या ‘किंगडम पार्ट 2’ में सिद्धांत बताएगा कि सुरी ने आरंभिक रणनीतियों की मास्टरप्लान कैसे रचा?
- क्या भाग्यश्री बोर्से किरदार नायक की नैतिकता और भावनात्मक कुंजी साबित होगा?
- कैसे यह फिल्म स्पाई एक्सपोज़र को भारतीय सामाजिक विवेक से जोड़ती है?
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