Monday, January 13, 2025
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मकर संक्रांति 2025: सही तारीख जानें, 14 या 15 जनवरी?

मकर संक्रांति, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल जनवरी में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है, जिसे सौर वर्ष का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन को लेकर हमेशा एक सवाल उठता है: क्या यह 14 जनवरी को मनाई जाएगी या 15 जनवरी को? इस साल भी यही सवाल लोगों के मन में है, और इस लेख में हम जानेंगे कि मकर संक्रांति 2025 की सही तारीख क्या होगी, और इसे कैसे मनाना चाहिए।


मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष महत्व है। यह दिन नए उत्साह और समृद्धि का प्रतीक होता है। खासकर उत्तर भारत में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, जो कि दिन लंबा होने का संकेत है और रातों का समय छोटा होने लगता है। इसी के साथ, कृषि कार्यों की शुरुआत होती है, खासकर रबी की फसल कटाई का समय है। इसलिए इसे कृषि और कड़ी मेहनत का प्रतीक भी माना जाता है।

मकर संक्रांति को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं, जिनमें से एक यह है कि इस दिन से दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। विशेषकर तिल, गुड़, कपड़े, बर्तन आदि का दान करना शुभ माना जाता है।


मकर संक्रांति 2025: 14 या 15 जनवरी?

मकर संक्रांति के सही दिन का निर्धारण हिंदू पंचांग की गणना के आधार पर किया जाता है। हर साल, यह तारीख एक दिन या दो दिन बदल सकती है, क्योंकि यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर निर्भर करता है। 2025 में, मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन, सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा और दिन की लंबाई बढ़ने लगेगी। हालांकि, इस दिन का आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों में एक जैसी तारीख पर नहीं होता है, क्योंकि कुछ स्थानों पर इसे 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह विशेषत: समय की गणना और पंचांग के अनुसार बदलता है।

यदि हम पंचांग पर नजर डालें तो, इस साल मकर संक्रांति का अवसर 14 जनवरी 2025 को सुबह 8:56 बजे से लेकर अगले दिन 15 जनवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगा। इसका मतलब है कि मकर संक्रांति का सही समय 14 जनवरी को सुबह 8:56 बजे से प्रारंभ होगा, लेकिन कुछ स्थानों पर इसे 15 जनवरी को मनाया जाएगा, ताकि इसे सही मुहूर्त के तहत मनाया जा सके।


मकर संक्रांति के साथ जुड़ी हुई खास परंपराएं

  1. उज्जवल सूर्य की पूजा:
    मकर संक्रांति का दिन सूर्य देवता की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं और उसका धन्यवाद करते हैं, क्योंकि यह उन्हें जीवन की ऊर्जा और समृद्धि प्रदान करते हैं।
  2. तिल और गुड़ का महत्व:
    मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ का सेवन करने की परंपरा है। तिल को खासकर इसलिए खाया जाता है क्योंकि इसे सर्दी में गर्मी प्रदान करने वाली खाद्य सामग्री माना जाता है। इसके अलावा तिल से बनी तिलकुट (गुड़ और तिल की मिठाई) का वितरण भी बड़े धूमधाम से होता है।
  3. पतंगबाजी:
    उत्तर भारत, खासकर गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी का आयोजन एक प्रमुख आकर्षण होता है। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाई जाती हैं, जो मकर संक्रांति के आनंद को दोगुना कर देती हैं।
  4. स्नान का महत्व:
    मकर संक्रांति के दिन गंगा, यमुन, नर्मदा, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। इसे पापों से मुक्ति पाने और पुण्य अर्जित करने का तरीका माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन क्या करें?

  1. पवित्र नदियों में स्नान करें:
    ज्यादातर लोग मकर संक्रांति के दिन नदियों या तालाबों में स्नान करते हैं। यदि यह संभव न हो, तो घर में स्नान करने के बाद ताजे कपड़े पहनें और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करें।
  2. दान करें:
    दान की परंपरा इस दिन को खास बनाती है। खासतौर पर तिल, गुड़, कपड़े और बर्तन का दान करने से पुण्य मिलता है। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन देना भी बहुत शुभ माना जाता है।
  3. पतंग उड़ाएं:
    अगर आप उत्तर भारत में रहते हैं, तो मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी का आनंद लें। यह एक मजेदार और पारंपरिक गतिविधि है जो आपको इस दिन को खास बनाने का अवसर देती है।
  4. खास पकवान बनाएं:
    मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बने विभिन्न पकवान जैसे तिलकुट, गुड़ और तिल के लड्डू, हलवा आदि बनाएं और परिवार के साथ उनका आनंद लें।

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निष्कर्ष

मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति के गहरे अर्थ और महत्व को दर्शाता है। यह न केवल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, बल्कि एक नई शुरुआत, समृद्धि और सकारात्मकता का भी संदेश देता है। मकर संक्रांति 2025, 14 जनवरी को मनाई जाएगी, हालांकि कुछ स्थानों पर इसे 15 जनवरी को मनाने की परंपरा है। इस दिन को सही तरीके से मनाकर आप जीवन में खुशहाली और समृद्धि ला सकते हैं।

इस पर्व को सही तरीके से मनाकर, हम न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी एकजुट हो सकते हैं और एक-दूसरे के साथ अच्छे संबंधों की नींव रख सकते हैं।

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