तरारी विधानसभा पर अब मुकाबला महागठबंधन, NDA और जनसुराज पार्टी के बीच तगड़ा
भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट (अ.सं. 196), जो अरrah लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है, अब 2025 बिहार विधानसभा चुनावों में एक अहम मुकाबले की तैयारी कर रही है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां सामुदायिक समीकरण, जातिगत समीकरण और स्थानीय प्रभाव निर्णायक रहते हैं।

इस बार महागठबंधन, NDA (विशेषकर BJP) और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी (JSP) तीनों सक्रिय रूप से मैदान में हैं। विशेषकर जनसुराज पार्टी की एंट्री ने सियासी परिदृश्य को नया रूप दिया है।
सीट का आंकड़ों में ऐतिहासिक परिदृश्य
- 2020 चुनाव में कुल मतदाता थे लगभग 3,05,326, जिसमें 18.3% SC और 10.6% मुस्लिम वोटर थे। मतदान प्रतिशत 55.81% रहा ।
- रहीम SC/ST रेखांकन नहीं है, यह सामान्य (GEN) श्रेणी की सीट है।
- 2010 में JD(U) के नरेंद्र कुमार पांडे (Sunil Pandey) ने सीट जीती, 2015 और 2020 में CPI(ML)(Liberation) के सुदामा प्रसाद ने लगातार ही चुनाव जीतकर अहम प्रभाव बनाए रखा
- विशेष बात है कि सुदामा प्रसाद ने 2020 में 73,945 वोट पाकर लगभग 43.5% वोट शेयर के साथ पिछले निर्दलीय उम्मीदवार Sunil Pandey को 11,015 वोटों से हराया—मध्य आकर्षण था CPI(ML)(Liberation) का मजबूत आधार
2024 उपचुनाव: बीजेपी का झंडा और जनसुराज पार्टी की एंट्री
जब 2024 में सुदामा प्रसाद के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हुई, तब नवंबर 2024 में तरारी में उपचुनाव हुआ।
- BJP के विशाल प्रशांत (Sunil Pandey के पुत्र) ने लगभग 78,564 वोट पाकर भाकपा माले के राजू यादव (Raju Yadav) को लगभग 10,000 वोटों से पराजित किया। इससे BJP ने CPI(ML)(L) की मजबूत पकड़ को चुनौती दी ।
- जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार Kiran Singh ने तीसरा स्थान प्राप्त किया, लगभग 5,592 वोट हासिल किए (~3–4% वोट शेयर) और जिला स्तर पर प्रभावित विकल्पों में शामिल हुई विपक्षी गठबंधन के लिए चिंता का विषय बनी ।
- उपचुनाव परिणाम ने साफ किया—CPI(ML)(L) अब एक सुरक्षित क्षेत्र बनकर नहीं रह गया; बीजेपी के लिए यह सीट अब वांछनीय मैदान बन चुकी है।

जनसुराज पार्टी: चुनौती या अतिरिक्त वोट काटने वाली?
- प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी (JSP) को अक्टूबर 2024 में राजनीतिक रुप मिला। यह पार्टी “सही लोग, सही सोच, सामूहिक प्रयास” की नीति पर उतरी और सीधे 243 विधानसभा सीटों पर मैदान में उतरने की घोषणा की ।
- हालांकि उपचुनाव में JSP ने चारों सीटों पर हार चखा, किंतु Imamganj में उनका प्रदर्शन—22% वोट शेयर था जो अपेक्षाकृत बेहतर था। तरारी सहित अन्य सीटों पर वोट प्रतिशत 3–4% रहा।
विश्लेषण: लोक स्तर पर अभी JSP की बुनियादी मजबूती सीमित है, लेकिन तीसरे मोर्चे के रूप में इसकी उपस्थिति महागठबंधन और NDA के वोट शेयर को प्रभावित कर सकती है।
इस बार की रणनैतिक तस्वीर: किसके खाते में कितना मौका?
महागठबंधन (CPI(ML)(L) / RJD)
- CPI(ML)(L) की पकड़ पिछली दो बार की जीत में मजबूत नजर आई, लेकिन उपचुनाव में उसका खाता टूटना एक चुनौती है।
- RJD अभी तक यहां उम्मीदवार नहीं उतारी, लेकिन साझेदार गठबंधन से तालमेल जरूरत। जातीय समीकरण—SC + कुछ OBC वोट—महागठबंधन के लिए निर्णायक हो सकते हैं।
NDA (बीजेपी / JD(U))
- बीजेपी ने उपचुनाव में प्रभावशाली जीत दर्ज की है। विशाल प्रशांत को Sunil Pandey फैमिली-इफेक्ट का विशेष लाभ मिला, जिससे BJP को स्थानीय स्टार पावर के साथ पहचान मिली ।
- बैठक है कि NDA अगली बार भी उम्मीदवार उतारे—BJP की पकड़ और JD(U) के साथ गठबंधन का लाभ मिलने की संभावना।
जनसुराज पार्टी (JSP)
- JSP की युवा बीहर-युग की आवाज़ बना सकती है यदि उसने मैदान तैयार कर रखा हो। PK की बिहार बदलाो यात्रा ने कई इलाके में जनसंपर्क बढ़ाया है—लेकिन अभी तक संगठन आधार संकुचित है ।
- Reddit आलोचकों ने अव्यवस्थित टिकट वितरण (जिनमें कई उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले थे) को पार्टी की कमजोरी बताया है ।
मतभेद और सामाजिक प्रभाव
- सीट की ग्रामीण प्रकृति (91% ग्रामीण) और SC प्रतिशत (~18%) वोटर इसे विशेष प्रभावित बनाते हैं।
- बीजेपी के हालिया उपचुनाव विजेता राष्ट्रीय और स्थानीय पहचान दोनों का लाभ उठा सकते हैं।
- CPI(ML)(L) को जातीय आधार पर SC और Yadav वोट मिलता रहता था, लेकिन अब OBC और मुस्लिम को जोड़ना चुनौतीभरा हो गया है।
चुनाव प्रचार रणनीति और संभावित उम्मीदवार
- महागठबंधन: CPI(ML)(L) की नींव मजबूत है, लेकिन Mahagathbandhan को RJD और उसके सहयोगी दलों के साथ मिलकर उम्मीदवार की पृष्ठभूमि मजबूत करनी होगी।
- BJP / NDA: विशाल प्रशांत यदि दोबारा मैदान में उतरते हैं, तो संगठनात्मक अभियान, जातीय समीकरण और केंद्रीय परियोजनाओं का लाभ मिलेगा।
- जनसुराज पार्टी: JSP को क्षेत्रीय संगठन घड़ी की तरह मजबूत करना होगा—Kiran Singh जैसे उम्मीदवार तीसरे मोर्चे की भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन उन्हें स्थानीय प्रभाव भी जोड़ना पड़ेगा।
चुनावी मोड़: आगे के 5 हफ्ते महत्वपूर्ण
- JSP की बिहार बदलो यात्रा (120 दिनों की रेल-रोड मैराथन) ने जनसंपर्क को बढ़ाया है—PK Ara, Bihta, Sitab Diara जैसे स्थान पर स्थानीय जनता से सीधे जुड़े हैं।
- NDA नेताओं ने RJD पर अक्सर कटाक्ष किया है—विशेषकर Tejashwi Yadav के घोषणापत्र और शासन के आंकड़ों को लेकर आलोचना की गई है ।
- AAP भी पूरी कुर्सियों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है—यह आसपास की सीटों पर मत विभाजन बढ़ा सकती है
🔮 निष्कर्ष: तरारी का भविष्य, सियासी समीकरण और चुनावी रणनीति
तरारी विधानसभा सीट इस बार सिर्फ एक सीट नहीं—यह तीन ध्रुवीय मुकाबलों का प्रतीक बन चुकी है:
- महागठबंधन: SC व ग्रामीण वोट बैंक पर तलवार की धार बनी हुई है।
- बीजेपी / NDA: परिवार, युवा प्रत्याशी, केन्द्र-राज्य सहयोग की ताकत से वोट बढ़ाने की रणनीति।
- जनसुराज पार्टी: नया विकल्प, युवा, बदलाव की चाहत, लेकिन संगठन बना नहीं।
अगर JSP महागठबंधन को टक्कर देती है, तो NDA को बस जीतने के लिए वोट विभाजन का लाभ मिलेगा—लेकिन अगर JSP का असर सीमित रहता है, तो मुकाबला सीधे महागठबंधन और BJP के बीच होगा।
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